तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
13-01-2019 10:00 AM

भारत में फिलहाल राजनीति की लहर दिखाई पड़ रही है। कुछ लोग इसके लिए अति उत्साहित होते हैं तो वहीं कुछ इससे दूर ही रहना चाहते हैं। एक ही नेता के जहाँ कई समर्थक होते हैं, वहीं उसके अनेक विरोधी भी होते हैं। परन्तु आज हम एक ऐसे नेता के बारे में बात करने वाले हैं जिनको शायद ही कोई भारतीय एक आदर्श के रूप में न देखता हो। जी हाँ, बात की जा रही है नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की।

सुभाष चंद्र बोस (23 जनवरी 1897 - 18 अगस्त 1945) एक भारतीय राष्ट्रवादी थे जिनकी उद्दंड देशभक्ति ने उन्हें भारत में एक नायक बना दिया था। नेताजी एक कट्टरपंथी नेता थे जिन्हें 1938 में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया लेकिन गांधी और पार्टी के अन्य सदस्यों से मतभेद के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। बोस की सोच गाँधी की अहिंसक सोच से मेल नहीं खाती थी। सुभाष चंद्र बोस भारत के सबसे लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जो हमारे औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते थे।

जहाँ बोस का नाम आ गया वहां, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। यह पंक्ति उनके द्वारा बर्मा में 4 जुलाई 1944 में दिए गए एक काफी मशहूर भाषण का एक हिस्सा थी। उन्होंने यह भाषण आज़ाद हिन्द फ़ौज के सामने दिया था। आइये इस पूरे भाषण के बोल जानें। ऊपर दिए गए विडियो पर क्लिक करें और महसूस करें कैसे इस महान नेता ने आज़ादी के दीवानों के भीतर एक नई जान फूंक दी।

सन्दर्भ:

1.https://www.youtube.com/watch?v=wDRQmCtKEGc