बिजली की कमी से जूझता उत्तरप्रदेश

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
09-05-2019 10:45 AM
बिजली की कमी से जूझता उत्तरप्रदेश

आज देश की सम्पूर्ण जनसंख्या ऊर्जा के संसाधनों पर निर्भर है। कुछ नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भर हैं तो कुछ अनवीकरणीय स्रोतों पर। वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या के कारण ऊर्जा स्रोतों की मांग भी बढ़ती जा रही है। कई क्षेत्रों में ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से उपलब्ध हो जाते हैं किन्तु कुछ स्थानों पर इनका अभाव देखने को मिलता है। भारत का उत्तरप्रदेश राज्य भी इन्हीं में से एक है। भारत की आबादी का 16.5% हिस्सा उत्तर प्रदेश में निवास करता है। लेकिन आज भी, भारत के कुल बिजली उत्पादन का केवल 5.7% इस राज्य को उपलब्ध हो पाता है। नवीकरणीय स्रोतों से राज्य में केवल 20% ऊर्जा का ही उत्पादन किया जाता है। जबकि कुछ हिमालयी राज्यों जैसे हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में 70% से भी अधिक नवीकरणीय बिजली उपयोग में लायी जाती है। यहां तक कि तमिलनाडु और केरल में भी आज 50% से अधिक ऊर्जा उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से ही किया जाता है। उ.प्र. में अभी भी कोयला ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। भारत में कुल 10 कोयला संयंत्र हैं, जिनमें से 2 बड़े संयंत्र उ.प्र. में ही हैं। देशव्यापी बिजली आपूर्ति की स्थिति पर एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के बाद उत्तर प्रदेश, देश का सबसे अधिक बिजली कमी वाला राज्य बन गया है। उ.प्र. पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL – Uttar Pradesh Power Corporation Limited) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अगर राज्य अब प्रतिबंधित / सीमित मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है, तो भविष्य में सभी गांवों और शहरों को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराना आसान नहीं होगा।" सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA – Central Electricity Authority) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 और मार्च 2018 के बीच उ.प्र. में बिजली की औसत मांग 20,274 मेगावॉट थी जबकि बिजली की उपलब्धता केवल 18,061 मेगावॉट ही थी। और राज्य 2,213 मेगावॉट की अतरिक्त मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं था। राज्य में बिजली की शीर्ष कमी 10.9% थी जो न केवल पूरे भारत के 2% औसत कमी से अधिक थी बल्कि यह जम्मू और कश्मीर (जहाँ शीर्ष कमी 20% थी) के बाद देश का सबसे अधिक बिजली की कमी वाला राज्य था। रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी क्षेत्र के राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में शीर्ष कमी क्रमशः 0.4%,1.4%,1.3% थी, जबकि शेष राज्यों - पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़ में बिजली की कोई कमी ही नहीं पायी गयी। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों के दौरान उ.प्र. में स्थिति धीरे-धीरे सुधरी थी, इससे पहले शीर्ष कमी लगभग 25% या उससे भी अधिक हुआ करती थी।

नवंबर 2015 तक उत्तरप्रदेश में बिजली का आवंटन निम्न प्रकार से रहा:

भारत की 65% से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता थर्मल पावर प्लांट (Thermal Power Plant) पर निर्भर है, जिसमें से लगभग 85% हिस्सा कोयले पर आधारित है। भारत में 10 सबसे बड़े थर्मल पावर प्लांट कोयला आधारित हैं, जिनमें से सात राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) द्वारा संचालित किये जाते हैं। उत्तरप्रदेश में भी 2 थर्मल पावर स्टेशन हैं जो भारत के सबसे बड़े कोयला आधारित थर्मल पावर स्टेशनों में से एक हैं, फिर भी उत्तर प्रदेश राज्य बिजली जैसी मुख्य समस्या से जूझ रहा है।

उत्तरप्रदेश के थर्मल पावर प्लांट्स का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार से है:
एनटीपीसी दादरी, उत्तर प्रदेश:

एनटीपीसी (NTPC) दादरी या राष्ट्रीय राजधानी पावर स्टेशन (NCPS – National Capital Power Station) का स्वामित्व और संचालन एनटीपीसी द्वारा किया जाता है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 48 किमी दूर उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले में स्थित है। इस पावर स्टेशन की संस्थापित क्षमता 2,637 मेगावाट है जो 1,820 मेगावाट कोयले पर आधारित और 817 मेगावाट गैस पर आधारित है। भारत में यह छठा सबसे बड़ा थर्मल प्लांट है। पावर स्टेशन में छह कोयले से चलने वाली इकाइयाँ (चार 210 मेगावाट इकाइयाँ और दो 490 मेगावाट इकाइयाँ) और छह गैस-आधारित उत्पादक इकाइयाँ (चार 130.19 मेगावाट गैस टर्बाइन और दो 154.51 मेगावाट स्टीम टर्बाइन) हैं। पहली कोयला आधारित इकाई अक्टूबर 1991 में शुरु की गई थी और अंतिम इकाई जुलाई 2010 में शुरु की गई थी। गैस आधारित उत्पादन इकाइयाँ 1992 से 1997 के बीच शुरु की गई थीं। एनटीपीसी दादरी के लिए कोयला झारखंड के पिपरवार खदान से लिया जाता है और गैस गेल हजीरा-बीजापुर-जगदीशपुर (GAIL HBJ) पाइपलाइन से ली जाती है। थर्मल पावर स्टेशन के लिए पानी ऊपरी गंगा नहर से प्राप्त किया जाता है।

रिहंद थर्मल पावर स्टेशन, उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रिहंदनगर में रिहंद थर्मल पावर स्टेशन भारत के नौवें सबसे बड़े थर्मल पावर प्लांट के रूप में जाना जाता है। 2,500 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ कोयला आधारित इस बिजली संयंत्र का स्वामित्व और संचालन भी एनटीपीसी (NTPC) द्वारा किया जाता है। रिहंद थर्मल पावर प्लांट में 500 मेगावाट क्षमता की पांच उत्पादक इकाइयाँ हैं। पहली इकाई मार्च 1988 में शुरू की गई थी जबकि पांचवीं इकाई मई 2012 में शुरू की गई थी। रिहंद थर्मल पावर स्टेशन के लिए कोयला, मध्य प्रदेश के अमलोरी और दुधिचुआ खदानों से लिया जाता है। संयंत्र के लिये जल की आपूर्ति सोन नदी पर निर्मित रिहंद जलाशय द्वारा की जाती है।

31/03/2019 तक उत्तरप्रदेश की संस्थापित क्षमता:

संदर्भ:
1. https://bit.ly/307p4cS
2. https://en.wikipedia.org/wiki/States_of_India_by_installed_power_capacity
3. https://bit.ly/2LsfSwc
4. https://bit.ly/2DUt1YQ
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2Jz0VpL