लखनऊ में पाया जा सकता है ब्लैक-बेलीड टर्न, पर कब तक?

पक्षी
16-11-2019 11:26 AM
लखनऊ में पाया जा सकता है ब्लैक-बेलीड टर्न, पर कब तक?

भारत को विविधताओं का देश माना जाता है चाहे वह विविधता वनस्पतियों की हो या जीव-जंतुओं की। सभी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सभी जीवों के बीच संतुलन होना बहुत आवश्यक है। किंतु दिन-प्रतिदिन जीवों की घटती संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। ब्लैक-बेलीड टर्न (Black bellied tern) या दरियाई अबाबील भी वर्तमान में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए लड़ रहा है।
यह पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी नदियों के पास पाया जाता है जिसकी सीमाएं केवल भारत तक ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, नेपाल और म्यांमार तक फैली हुई हैं। इस पक्षी को लखनऊ में भी देखा जा सकता है। किंतु अपनी सीमा के पूर्वी भाग में बहुत दुर्लभ होने के कारण प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने इसे संकटग्रस्त जीव की श्रेणी में सूचीबद्ध किया है। यह पक्षी 32 से 35 से.मी. की लंबाई तक बढ़ता है।

ब्लैक-बेलीड टर्न विशिष्ट रूप से तराई की नदियों और दलदले स्थानों में निवास करता है। यह पूरी तरह से एक अंतर्देशीय प्रजाति है जो तटों पर नहीं पाई जाती है। प्रजनन करने वाले वयस्कों में नारंगी रंग की चोंच तथा काले रंग का मुकुट होता है। गैर-प्रजनन पक्षी का पेट सफेद रंग का होता है तथा चोंच नारंगी रंग की होती है। हालांकि इसके पंख लंबे होते हैं किंतु फिर भी इसकी उड़ान धीमी होती है। यह पानी की सतह पर तैरता है तथा भोजन के लिए ज़मीन से कीड़े-मकोड़ों को उठाता है। इन पक्षियों में प्रजनन प्रायः फरवरी से अप्रैल माह के बीच होता है।

दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्सों में नदी के किनारे जिन क्षेत्रों में ये पक्षी निवास करते हैं वे क्षेत्र खतरे में हैं जिस कारण आवास की अनुपलब्धता के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है। हालांकि इसकी विभिन्नता व्यापक है किंतु दक्षिणी चीन, नेपाल, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में यह प्रायः विलुप्त हो चुका है। केवल पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं जहां यह प्रजाति बड़ी आबादी में है। किंतु विभिन्न कारणों के चलते इनकी संख्या में दिन-प्रतिदिन कमी आती जा रही है।

इस जीव को जिन खतरों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें द्वीपों का क्षरण और उन पर होने वाली रेत का बहाव शामिल है। उचित भोजन का उपलब्ध न हो पाना, कुत्तों और बिल्लियों का शिकार बन जाना, नदी पर बांध निर्माण, स्थानीय मछुआरों की वजह से मछली (भोजन) की कमी, प्रदूषण आदि ऐसे कारक हैं जो इन जीवों की संख्या को प्रभावित कर रहे हैं। प्रजनन के निवास स्थान का विनाश, उद्योग से बढ़ता प्रदूषण, बांध निर्माण आदि ऐसे कारक हैं जो इस पक्षी की संख्या में आ रही गिरावट का मुख्य कारण माने जाते हैं। अतः इन पक्षियों के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि उपरोक्त सभी कारकों का निवारण किया जाए ताकि इस पक्षी की विविधता को बचाया जा सके।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Black-bellied_tern
2. https://avibase.bsc-eoc.org/species.jsp?avibaseid=807E1277B4640875
3. https://nmcg.nic.in/birds.aspx