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                                            कई दशकों से कैंसर (Cancer) अनुसंधान पर अरबों का निवेश और खर्च किया जा रहा है, इसलिए यह सवाल पूछना अनुचित नहीं है कि हमारे द्वारा कैंसर का अभी तक सटीक उपचार क्यों नहीं हो पाया है? हालाँकि, जैसे-जैसे शोध आगे बढ़ा, यह पता चला कि कैंसर एक जटिल रोग है। ऐसा पाया गया है कि यह कोई एक रोग नहीं है, बल्कि इसके 200 से अधिक प्रकार मौजूद हैं, जिसका इलाज एक ही प्रयास में कर पाना असंभव है।
कैंसर का रोग समय के साथ बढ़ने वाले रोगों में से एक है। हर रोगी में समय के साथ कैंसर की कोशिकाएं आणविक और आनुवांशिक बदलावों से गुज़रती हैं। ये परिवर्तन इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर की कोशिकाएं कैसी दिखती हैं और कैसा व्यवहार करती हैं। हालांकि जल्द पता चलने वाली कैंसर की कोशिकाओं को रोकने के लिए विभिन्न उपचारों को खोज लिया गया है, लेकिन फिर भी देर से पता चलने वाले कैंसर के रोगों का इलाज कर पाना काफी मुश्किल है।
बीबीसी (BBC) की एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार, ब्रिटिश (British) वैज्ञानिकों द्वारा गलती से एक ऐसी प्रतिरक्षा कोशिका की खोज की गयी जो कैंसर की अधिकांश कोशिकाओं को मारने में मदद करती है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी (Cardiff University) के शोधकर्ताओं द्वारा यह खोज तब की गई थी जब वे वेल्स (Wales) में रक्त बैंक में प्रतिरक्षा कोशिकाओं (जो बैक्टीरिया से लड़ सके) की तलाश करने के लिए एक रक्त का विश्लेषण कर रहे थे, तभी उन्हें एक पूरी तरह से नए प्रकार का टी-सेल रिसेप्टर (T-cell receptor) प्राप्त हुआ। ये कोशिका स्वस्थ कोशिकाओं को अनदेखा कर अधिकांश कैंसर की कोशिकाओं को पहचानकर मारती है।
भारत में हर साल 6 लाख से अधिक लोग कैंसर के शिकार होते हैं। भारत में पुरुषों में सबसे आम पाए जाने वाले कैंसर ओरल (Oral), फेफड़े और गले के कैंसर हैं जबकि महिलाओं में स्तन, गर्भाशय और ग्रीवा कैंसर पाए जाते हैं। वृद्धों में आंत, प्रोस्टेट (Prostate) और गुर्दे के कैंसर आम हैं। और तो और अन्य तरह के कैंसर के कारणों का अभी तक पता भी नहीं चल पाया है।
कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए उपचार हर देश में मौजूद हैं, लेकिन भारत में इस रोग का इलाज कितना उच्च और सुविधाजनक है? भारतीय डॉक्टरों का कहना है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अस्पतालों के बराबर है। फिर भी, लोग इसके इलाज के लिए विदेश क्यों जाते हैं? हम में से अधिकांश लोगों ने यह सुना होगा कि कैंसर से पीड़ित कई लोगों (जैसे, युवराज सिंह, रितु नंदा और अन्य कई मशहूर हस्तियाँ) ने विदेश में अपना इलाज करवाया है। लेकिन ऐसा क्यों? क्या भारत में कैंसर का इलाज करने के लिए चिकित्सकों, उपकरणों और दवाओं की कमी है?
वास्तव में भारत में भी कैंसर के लिए वही उपचार प्रदान किया जाता है जो बाहर विदेशों में दिया जाता है। बस अंतर इतना ही है कि ऑन्कोलॉजी (Oncology) का अध्ययन करने में लंबा समय लगता है और एमबीबीएस के छात्र अन्य विशेषज्ञता को चुनना पसंद करते हैं। विदेश में, अधिक डॉक्टर और कम मरीज़ होते हैं और शायद इस वजह से विदेश जाने में सक्षम लोग कैंसर का इलाज कराने के लिए विदेश जाते हैं। दूसरी ओर कुछ भारतीय चिकित्सकों का यह भी कहना है कि कई लोग अपनी इस बीमारी के बारे में अन्य लोगों को नहीं बताना चाहते हैं इसलिए विदेश में इलाज कराने जाते हैं।
कैंसर का उपचार उसमें लगने वाले समय और उसके वर्तमान चरण पर निर्भर करता है। भारत में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैंसर उपचार में सर्जरी (Surgery), रसायनोपचार, विकिरण चिकित्सा, इम्यूनो थेरेपी (Immuno therapy), हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy), स्टेम सेल (Stem cell) प्रत्यारोपण, टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) और सटीक दवाएं शामिल हैं। वहीं कैंसर के इलाज में लगने वाला खर्च उसके प्रकार, चरण और अस्पताल के आधार पर भिन्न होता है।
संदर्भ:
1. https://www.roswellpark.org/cancertalk/201909/cure-cancer-whats-taking-so-long
2. https://bit.ly/2RWGYwP
3. https://www.worldwidecancerresearch.org/stories/2019/september/why-havent-we-cured-cancer/
4. http://www.vims.ac.in/blog/cancer-treatment-in-india/
5. https://bit.ly/2Or5pjB
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-ojdhx