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                                            एलर्जीक श्वसन संबंधी विकारों (Allergic respiratory disorders) की उपस्थिति लोगों में
अत्यधिक बढ़ती जा रही है, जो केवल कुछ क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौजूद है।
हालांकि बच्चों में इस समस्या के उत्पन्न होने का एक कारण आनुवांशिकी हो सकता है, लेकिन
शहरीकरण,वायु प्रदूषण, तंबाकू का धुआं आदि ऐसे कारक हैं, जो श्वसन संबंधी विकारों को बढ़ाने
या प्रेरित करने में अत्यधिक योगदान देते हैं। भारत के 131 करोड़ लोगों में से लगभग 6%
बच्चे और 2% वयस्क ऐसे हैं, जो अस्थमा के रोग से ग्रसित हैं।
इनमें से अधिकांश लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं भी मौजूद नहीं है। जो स्वास्थ्य
सुविधा अमीर लोगों को प्राप्त होती हैं, तथा जो गरीब लोगों को प्राप्त होती हैं, उसमें भी व्यापक
अंतर मौजूद है। फार्मेसियों के पास लगभग सभी प्रकार के इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Inhaled
corticosteroids), β2- एगोनिस्ट (β2-agonist) और इनहेलर्स (Inhalers)के संयोजन मौजूद
हैं,लेकिन ये मौखिक सूत्रीकरण की तुलना में बहुत महंगे हैं।
2017 में अस्थमा की दर
श्वास सम्बंधी विकारों के अनेकों कारण मौजूद हैं, जिनमें से एक कारण शहरीकरण भी है।
ग्रामीण आबादी की तुलना में शहरी क्षेत्र अस्थमा के अधिक प्रसार को दर्शाते हैं। हालांकि,यह
अस्पष्ट है कि शहरीकरण की प्रक्रिया की कौन सी विशिष्ट विशेषताएं अस्थमा के अधिक प्रसार
के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। शहरीकरण और श्वास सम्बंधी विकारों के बीच एक मजबूत
सम्बंध देखने को मिलता है, क्यों कि शहरीकरण उन समस्याओं को उत्पन्न करता है, जो श्वास
सम्बंधी विकारों में वृद्धि करती हैं।उदाहरण के लिए शहरीकरण की वजह से लोगों के बीच
खाद्यान्न के वितरण में कमी आने लगती है, जिसकी वजह से पोषण की गुणवत्ता घटने लगती
है। इसके अलावा शहरीकरण में वृद्धि से यातायात और उद्योगों का भी विस्तार होता है, जो
वायु प्रदूषण जैसे कारकों का नेतृत्व करता है। परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण के कारक लोगों में
श्वसन संबंधी विकारों की तीव्रता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
शहरीकरण कैसे अस्थमा को प्रभावित करता है, इसकी बेहतर समझ के लिए प्रासंगिक घरेलू और
व्यक्तिगत संकेतकों का उपयोग करते हुए शहरीकरण के विभिन्न आयामों को समझने के लिए
एक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। एक अध्ययन के अनुसार वे बच्चे जो भारी यातायात वाले
क्षेत्रों में मौजूद स्कूलों में जाते हैं, उनमें एलर्जीक श्वसन संबंधी विकारों की उपस्थिति होने की
संभावना बढ़ जाती है। इसके विपरीत वे बच्चे जो कम यातायात वाले क्षेत्रों में मौजूद स्कूलों में
जाते हैं, वे एलर्जीक श्वसन संबंधी विकारों का कम शिकार होते हैं।यूं तो अस्थमा की समस्या
लगभग सभी देशों में दिखने को मिलती है, किंतु इसकी व्यापकता निम्न आय और मध्यमआय
वाले देशों में अधिक देखी जा रही है। उच्च आय वाले देशों में अस्थमा से ग्रसित लोगों की
संख्या में गिरावट आंकी गयी है।
यह एक जटिल रोग है, जो रोगी के न केवल शारीरिक कल्याण को बल्कि मानसिक,सामाजिक
और मनोवैज्ञानिक कल्याण को भी प्रभावित करता है। अस्थमा, श्वसन लक्षण और क्रोनिक
ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis) महामारी विज्ञान के भारतीय अध्ययन के अनुसार, 2007
और 2009 के बीच अस्थमा की व्यापकता दर 2.05% थी। 2011 में अस्थमा का अनुमानित
बोझ लगभग 1.723 करोड़ था।दुनिया में कुल जितने अस्थमा रोगी मौजूद हैं, उनका 1/10 वाँ
भाग भारत में रहता है। भारत में अस्थमा के रोगियों में बच्चे से लेकर वृद्ध तक सभी लोग
शामिल हैं।किंतु इनके उपचार के समक्ष आर्थिक लागत एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है।2012
से लेकर 2016 तक अस्थमा के इलाज की कीमतों में 43% की वृद्धि हुई है। साथ ही जिन्हें
अस्थमा की गंभीर समस्या है, उनके उपचार की लागत और भी अधिक होने की संभावना है।
लंग इंडिया (Lung India), द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दक्षिण भारत के एक
निजी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में अस्थमा के इलाज की लागत लगभग 18,737 रुपये है। इसके
अलावा अस्थमा रोगियों के लिए गरीब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का केवल
1.2% ही खर्च करती है। सामाजिक-आर्थिक स्थिति का ठीक न होना अस्थमा के इलाज में एक
बड़ी बाधा बना हुआ है।
 इस प्रकार इसके उपचार में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है।एलर्जी
संबंधी विकार रोगों (जैसे - अस्थमा,राइनाइटिस (Rhinitis),एक्जिमा (Eczema)) की संख्या
मृत्यु दर और आर्थिक बोझ में अत्यधिक योगदान दे रहे हैं। अधिकांश देशों में अस्थमा अधिक
सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां उत्पन्न कर रहा है।
भारत में गरीबी, खराब शिक्षा और जागरूकता, स्वास्थ्य देखभाल पर कम खर्च, सुविधाओं में
असमानता,पर्यावरणीय बाधाएँ आदि अस्थमा के इलाज में बाधा बन रही हैं। यदि अस्थमा के
रोगियों को प्रारंभिक उपचार और देखभाल की सुविधा प्रदान की जाती है, तो अस्थमा के आर्थिक
बोझ को कम किया जा सकता है। आपातकालीन विभागों के बजाय प्राथमिक देखभाल स्वास्थ्य
प्रदाताओं के द्वारा भी अस्थमा के आर्थिक बोझ को कम किया जा सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/2W2VAPE
https://bit.ly/2W7Hf4q
https://bit.ly/3xVbj0o
https://bit.ly/3y1yGph
चित्र संदर्भ 
1. अस्थमा से पीड़ित मरीज तथा शहर का एक चित्रण (flickr)
2. 2017 में अस्थमा की दर का एक चित्रण (wikimedia)
3. अस्पताल में भर्ती अस्थमा के रोगी का एक चित्रण (pulmonologyadvisor)