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आज से लगभग बीस साल पहले तक मोबाइल फ़ोन केवल एक कल्पना थी, वहीं आज बीस
साल बाद लगभग 6 इंच डिस्प्ले वाली यह मशीन, हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई
है। चूंकि यह तरक्की डिजिटल क्षेत्र में हुई जिस कारण हम इसके विकास को स्पष्ट रूप से
देख भी पाए, और आसानी से अपना भी लिया। परंतु इसके अलावा वनस्पति विज्ञान
(Botany) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी, मानवता ने अभूतपूर्व तरक्की की है। यह विकास
अचंभित भी करता है, और स्वयं के देखे बिना इसकी सत्यता को प्रमाणित करना भी
मुश्किल लगता है। आज के वनस्पति विज्ञानं की उपलब्धियों को हम पौधे उगाने के
एरोपोनिक सिस्टम (Aeroponic System) के उदाहरण से बेहतर समझ सकते हैं।
हम सभी जानते हैं कि दुनियाभर में पानी की कमी से त्राहिमाम मचना शुरू हो गया है। आज
घर के दैनिक काम करना तो दूर, बल्कि कई देशों में लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध
नहीं हो पा रहा है। और ऐसे हालातों में खेतों में पानी से सिंचाई करने का विचार तो आप
त्याग ही दीजिए। लेकिन चूंकि हर समस्या अपने साथ एक समाधान तथा संभावना लेकर
आती है, अतः बिना मिट्टी और बेहद कम पानी की सहायता से की जाने वाली खेती
एरोपोनिक फार्मिंग, एक कारगर समाधान और भविष्य की संभावना के रूप में देखी जा रही
है। एरोपोनिक्स पतली हवा में सब्जियां उगाने की एक नई अवधारणा है। इस विधि द्वारा
बेहद कम समय में गुणवत्ता युक्त बीजों का उद्पादन जाता है।
इस तकनीक को पहली बार 1940 के दशक में पश्चिम में खोजा गया था। इस विधि के
अंतर्गत स्वस्थ पोंधों को मिट्टी रहित सांचों के अंदर लगाया, अथवा लटकाया जाता है, और
उन पोंधों की जड़े अँधेरे डिब्बों के भीतर लटकती और बढ़ती रहती हैं। पौधे ऊपर की और
सूरज की रौशनी में फलते-फूलते रहे हैं, जड़े डिब्बों के भीतर हवा में लटकी और बढ़ती रहती
हैं। पोंधों की जड़ों के नीचे सभी जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर तरल अथवा जल का छिड़काव
निश्चित अंतराल पर किया जाता है। पौधे के लिए हानिकारक कीटों से बचाव के लिए यह
प्रणाली आमतौर पर ग्रीन हाउस के भीतर विकसित की जाती है।एरोपोनिक्स सिस्टम में,
बीजों को छोटे-छोटे गमलों में भरकर फोम के टुकड़ों में "लगाया" जाता है, जो ऊपर के छोर
पर प्रकाश और नीचे के छोर पर पोषक तत्व धुंध के संपर्क में रहते हैं।
कृषि की यह प्रणाली जल संचयन के संदर्भ में बेहद लाभदायक साबित होती है, क्यों की
इसमें खुली धुप में उगाये जाने वाले पोंधों की तुलना में 95 प्रतिशत कम जल की मात्रा का
प्रयोग किया जाता है। साथ ही पोषक तत्वों से भरे जल का पुनः नवीनीकरण भी हो जाता है,
अर्थात उस पानी को दोबारा फिर से उन पर छिड़का जा सकता है।
अपनी इन्ही खसियतों के कारण ही खेती की यह प्रणाली कम क्षेत्र में बड़ी मात्रा में भोजन
उगा सकती है, साथ ही सीमित क्षेत्र लेने के कारण यह शहरों में भी बेहद लोकप्रिय हो रही है।
पोंधों को उगाने की इस प्रक्रिया में भोजन सीधे खेत से प्लेट में जाता है, जिससे पर्यावरण
संरक्षण तथा समय और खरीदार की लागत भी बचती है। चूंकि इस विधि में पानी को
सीमित क्षेत्र में लगातार संचारित किया जाता है, जिस कारण यह खेती आस-पास के नदी
नालों को भी दूषित नहीं करती।
एरोपोनिक्स सिस्टम को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए थोड़ी सावधानी की भी
आवश्यकता होती है:
1. पानी के पोषक तत्व सटीक मापदंडों के अनुसार सही मात्रा में डालने चाहिए,
अन्यथा आपके उपकरण की थोड़ी सी खराबी भी फसल को बड़ा नुकसान पहुंचा
सकती है।
2. बिजली का प्रवाह भी निरंतर बना रहना चाहिए, क्यों की उपकरणों के न चलने पर
पानी का छिड़काव नहीं होने से जड़े जल्द ही सूख जाती हैं।
3. पानी में खनिज जमा होने से रोकने के लिए प्रणाली को नियमित सफाई की
आवश्यकता होती है।
4. बिजली की अधिक खपत पर्यावण की दृष्टि से भी इस प्रणाली की खामी हो सकती है,
लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए सौर ऊर्जा या अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का
उपयोग किया जा सकता है।
एरोपोनिक्स, हाइड्रोपोनिक्स का एक उन्नत रूप है, और
सब्जियां/फसल या फूल उगाने के लिए एक अभिनव तरीका प्रदान करता है। इन प्रणालियों
में टमाटर या अन्य बेल के पौधे को उगाया जाता है, जहां टमाटर को 1-2 फसल के बजाय
सालाना कम से कम 5-6 बार काटा जा सकता है। यहां पारंपरिक जड़ी बूटियों जैसे
अजवायन, तुलसी, ऋषि, मेंहदी, स्कल्कैप (Scallops), स्टिंगिंग बिछुआ, अदरक और येर्बा
मानसा को भी एरोपोनिक्स बगीचों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसके अलावा
एरोपोनिक्स प्रणाली से पत्तेदार साग: जैसे रोमेन लेट्यूस (romaine lettuce), बटरहेड
लेट्यूस (butterhead lettuce), रेड लीफ लेट्यूस (red leaf lettuce), टस्कन काले
(Tuscan kale) आदि को भी उगाया जा सकता हैं।
एरोपोनिक्स को जड़ रोगों के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है, जो विशेष रूप से
उन फसलों के लिए फायदेमंद होती है, जो मिट्टी के रोगजनकों और बैक्टीरिया से ग्रस्त हैं।
एरोपोनिक्स सिस्टम में फल और सब्जियां भी आराम से उगाई जा सकती हैं, जिसमे
चुकंदर, गोभी, गाजर, फूलगोभी, मक्का, ककड़ी, बैंगन, अंगूर, खरबूजे, प्याज, मटर, मिर्च,
आलू, मूली, स्ट्रॉबेरी, शकरकंद, टमाटर और तरबूज जैसी बहुत सारी सब्जियां और फल
शामिल हैं।
भारत में एरोपोनिक्स अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। कोयंबटूर स्थित एक कृषि
अभियंता ने 10 वर्षों के अनुसंधान और विकास के बाद इस तकनीक में महारत हासिल की
है। यहां के एक जागरूक किसान प्रभु शंकर ने एरोपोनिक्स का उपयोग करके 18 से अधिक
प्रकार की विभिन्न सब्जियां उगाई हैं। जो परंपरागत कृषि से 15 गुना अधिक है।
संदर्भ
https://bit.ly/3Ebymbt
https://bit.ly/3E9O9rt
https://bit.ly/3C4MbXz
चित्र संदर्भ
1. एरोपोनिक सिस्टम से हवा में हो रही है खेती को संदर्भित करता एक चित्रण (Future Food Systems)
2. स्टैंडअलोन कमर्शियल एरोपोनिक्स सिस्टम (Standalone Commercial Aeroponics System) 2020 के 3डी डायग्राम का एक चित्रण (wikimedia)
3. एरोपोनिक्स प्रणाली का अवलोकन करते किसान का एक चित्रण (foodrevolution)
4. एरोपोनिक प्रणाली से उगाई गई सब्जियों का एक चित्रण (i.ytimg)