21वी सदी में भी लिंगभेद के कारण नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए बढ़ती चुनौतियां

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
30-04-2022 07:55 AM
21वी सदी में भी लिंगभेद के कारण नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए बढ़ती चुनौतियां

लिंक्डइन ऑपर्च्युनिटी इंडेक्स 2021 (LinkedIn Opportunity Index 2021) के अनुसार, भारत में नौकरी करने वाली महिलाएं, विश्व स्तर पर अपने समकक्षों की तुलना में कोविड-19 (covid-19) महामारी से अधिक प्रभावित हुई हैं और एशिया-प्रशांत देशों (Asia-Pacific Countries) में महिलाएं सबसे ज्यादा मात्रा में लिंग भेदभाव से जूझ रही हैं तथा इसके साथ साथ पुरुषों की तुलना में समान वेतन और अवसर दोनों के लिए लड़ रही हैं।
भारत की 85% कामकाजी महिलाएं यह दावे के साथ कहती हैं कि वे औसतन 60% कार्य क्षेत्रों में अपने लिंग के कारण वेतन वृद्धि, पदोन्नति, या काम के प्रस्ताव से चूक जाती हैं। अपने आजीविका में आगे बढ़ने के अवसरों से नाखुश होने के कारणों के मामले में भारत में 22% नौकरी करने वाली महिलाओं ने कहा कि उनकी कंपनियां किसी भी कार्य को लेकर महिलाओं की तुलना में पुरुषों के प्रति अनुकूल भेदभाव दर्शाती हैं। एक रिपोर्ट द्वारा हमें यह भी पता चलता है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए बाजार में उपलब्ध अवसरों की धारणा में भी काफी अंतर पाया जाता है। भारत की 37% कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें किसी भी कार्य को करने के लिए पुरुषों की तुलना में कम अवसर दिए जाते हैं, जबकि केवल 25% पुरुष ही महिलाओं की इस बात से सहमत होते हैं। इसी प्रकार असमान वेतन प्राप्ति की इस असमानता पर भी बातचीत की जाए तो लिंग भेदभाव का एक और पहलू हमारे सामने आता है। महिलाओं का कहना है कि लिंगभेद के कारण समान कार्य को करने के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, लेकिन केवल 21% पुरुष ही महिलाओं की इस बात से सहमत होते हैं।
एक निरीक्षण के दौरान हमें यह पता चलता है कि 10 में से सात से अधिक कामकाजी महिलाओं और कामकाजी माताओं को लगता है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों का प्रबंधन व्यवसाय के विकास के रास्ते में विरोध के रूप में आता है। इसी प्रकार भारत की लगभग दो-तिहाई कामकाजी महिलाओं और कामकाजी माताओं का कहना है कि उन्हें पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। भारत में कामकाजी महिलाओं के लिए नौकरी की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन वे उस नियोक्ता को अधिक महत्व दे रही हैं, जिसके साथ वे काम करना चाहती हैं। महिलाएं सक्रिय रूप से ऐसे नियोक्ताओं की तलाश कर रही हैं जो उनके साथ बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार करें।
अपोलो हॉस्पिटल्स (Apollo Hospital) की संयुक्त प्रबंध निदेशक संगीता रेड्डी ने टाइम्स नेटवर्क के प्रमुख कार्यक्रम भारत आर्थिक सम्मेलन (India Economy Conclave) में "महिलाओं द्वारा भारत के विकास मिशन का नेतृत्व कैसे किया जाएगा" (How women will leads India's Growth Mission) विषय पर एक पैनल डिस्कशन में कहा किकार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ज्ञान अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी स्तर की होनी चाहिए। रेड्डी ने कहा, "सिर्फ एक जागरूकता की आवश्यकता है कि महिलाएं एक बड़ी अप्रयुक्त संसाधन हैं, और अगर हम भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं, तो यह लक्ष्य कार्यबल में केवल पुरुषों के अलावा महिलाओं की शक्ति को उजागर करने से ही पूर्ण होगा।"

संदर्भ:
https://bit.ly/38phSBk
https://bit.ly/3Mwf7wT
https://bit.ly/39lMgx0

चित्र संदर्भ
1  बेंगलुरु में गारमेंट फैक्ट्री में कीरन ड्रेक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. महिला स्वास्थ कर्मी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. महिला कर्मचारियों को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)