गुरु रविदास जी जाति व्यवस्था के उन्मूलन में अपने प्रयासों के लिए जाने जाने वाले एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उन्होंने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह संत कबीर जी के करीबी सहयोगी और शिष्य माने जाते थे। प्रसिद्ध कवयित्री और भक्त मीराबाई भी गुरु रविदास की शिष्या थीं।
गुरु रविदास के भक्ति गीत निर्गुण और सगुण की अवधारणाओं को दर्शाते हैं, जो हिंदू धर्म के भीतर नाथ योग दर्शन के केंद्र में हैं। उनके “निर्गुण” भजन भगवान के प्रति अनंत प्रेम और समर्पण के रस से भरपूर हैं । उनकी कविता के विषय सिख परंपरा में गुरु नानक देव जी के निर्गुण भक्ति विचारों से तुलनीय हैं। उनकी जयंती के इस विशेष अवसर पर, आइए हम निर्गुण और सगुण की अवधारणा को मूर्त रूप देने वाली एक कृति को सुनते हैं।