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 हिंदी साहित्य के महान लेखक, मुंशी प्रेमचंद्र और भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन दोनों ही एकदम विपरीत क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। किंतु यह आवश्यक नहीं है कि इन साहित्यकारों एवं गणितज्ञों की रुचि अपने से विपरीत विषय में कदापि न हो अथवा दोनों के दर्शक और पाठक भी अलग-अलग रूचि रखते हों, एक ही पाठक की रूचि समान रूप से दोनों ही विषयों में भी हो सकती है। असमानताओं के बावजूद गणित एवं साहित्य के बीच एक ऐसा प्रबल चुंबकीय आकर्षण मौजूद है, जो शुरुआत से ही दोनों विषयों को आपस में मजबूती से जोड़े हुए है।
पहली नजर में गणित और साहित्य दोनों ही बहुत अलग-अलग क्षेत्र प्रतीत होते हैं। गणित को अक्सर एक विज्ञान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन वास्तव में गणित विज्ञान से बढ़कर है और यह विशुद्ध रूप से स्वतः विकसित हुआ है। 
हालांकि, गणित और साहित्य के बीच मूलभूत अंतर होते हैं। जैसे एक गणितज्ञ के रूप में, आपको एक ऐसी समस्या को दूर करना पड़ता है, जिसका कोई ओर-छोर ही नहीं होता। ऐसा करना यकीनन बेहद पीड़ादायक हो सकता है। इसके अलावा, गणितज्ञ सप्ताहों या कई बार महीनों तक समाधान की झलक देखे बिना भी स्वयं को दिन-रात किसी समस्या में झोंके रहते हैं। यह कदापि आसान नहीं है। गणित में कोई प्रगति कभी भी दिखाई नहीं देती है। साथ ही आप कागज पर कोई आड़ी-तिरछी लकीरें खीचकर कुछ भी रचनात्मक नहीं बना सकते है। वहीं इसके विपरीत, एक साहित्यिक लेखक अपने पृष्ठ को धीरे-धीरे शब्दों से भरते हुए देख सकता है,और अपनी इस दृश्यमान प्रगति को देखकर उसे सुकून मिलता है।
हालांकि, लेखन की भी अपनी चुनौतियाँ (खासकर शुरुआत में) होती हैं। लिखते समय पुस्तक या लेख का प्रारंभिक भाग सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान लेखक को अस्पष्ट विचारों के दलदल से एक स्पष्ट सार निकालने की आवश्यकता होती है। हालाँकि, लेखन के अंतर्गत लेखक अपनी कल्पनाओं का तड़का लगा सकता है। 
दूसरी ओर, गणित एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें या तो कोई अपने प्रमेय को पूर्ण रूप से सिद्ध कर सकता है या बिल्कुल भी कुछ नहीं कर सकता। गणित के मामले में पूरा सिद्धांत सौ प्रतिशत स्पष्ट होना चाहिए, जिसमें त्रुटि की कोई संभावना नहीं है ।
यद्यपि गणित और साहित्य को आमतौर पर पूरक विषयों के रूप में नहीं माना जाता है, लेकिन गणितज्ञ सारा हार्ट (Sara Hart) अपनी एक किताब ‘वन्स अपॉन ए प्राइम’ (Once Upon A Prime) में तर्क देती हैं कि वास्तव में गणित और साहित्य दोनों क्षेत्र घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। अपनी पुस्तक में वह लिखती हैं कि “मानव जीवन और ब्रह्मांड में हमारे स्थान को समझने के लिए गणित और साहित्य को एक ही खोज के पूरक भागों के रूप में देखकर, हम दोनों क्षेत्रों को असीम रूप से समृद्ध कर सकते हैं।" उदाहरण देते हुए वह कहती हैं कि एलेनोर कैटन (Eleanor Catton) की बुकर पुरस्कार (Booker prize) विजेता पुस्तक ‘द ल्यूमिनरीज़’ (The Luminaries) की संरचना गणित पर आधारित है, वही ‘ऐलिस एडवेंचर्स इन वंडरलैंड’ (Alice’s Adventures in Wonderland) जैसी साहित्यिक कृति में, जोकि  गणित के एक प्रोफेसर द्वारा लिखी गई पुस्तक है,  में गणित की पहेलियाँ बिखरी हुई हैं। एक अन्य उदाहरण के तौर पर वह मेलविल  (Melville) के महाकाव्य मोबी-डिक (Moby-Dick) के बारे में बताती हैं कि यह साहित्यिक कृति भी गणितीय विचारों से भरी पड़ी है ।
 हार्ट का मानना है कि गणित और अन्य रचनात्मक कलाओं के बीच असमानता हाल के दशकों में जन्मी है; इतिहास में तो गणित हर शिक्षित व्यक्ति की सांस्कृतिक जागरूकता का हिस्सा हुआ करता था। इसलिए ये लेखक गणितीय विचारों का उपयोग करने में सहज महसूस करते थे। ‘स्कूली गणित के लिए सिद्धांत और मानक: एक अवलोकन’ (Principles And Standards For School Mathematics: An Overview)" नामक एक अन्य पुस्तक में यह कहा गया है कि जहां गणितीय कौशल की कमी से कई सुनहरे अवसर छूट सकते हैं, वहीं साहित्य पढ़ने से हमारे दिमाग और नई दुनिया के द्वार खुल सकते हैं। गणित हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसीलिए जिन लोगों में गणित कौशल की कमी होती है, वे महत्वपूर्ण अवसरों से चूक सकते हैं। दूसरी ओर, पढ़ना भी आवश्यक है! साहित्य हमारे दिमाग, नौकरी के अवसरों और व्यक्तिगत आकांक्षाओं के बंद द्वारों को खोल सकता है। इसलिए, दोनों विषयों में रुचि उत्पन्न करने के लिए गणित और साहित्य के प्रतिच्छेदन का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, कहानियों और अन्य साहित्य में सन्निहित गणितीय अवधारणाओं की खोज और अन्वेषण करके, दोनों विषयों को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है।
गणित और साहित्य को जोड़ने से सीखने की प्रक्रिया को अधिक आसान तथा लचीला बनाया जा सकता है, और पढ़ने की समझ में सुधार हो सकता है। साहित्य में समस्याओं को हल करने हेतु गणित का संदर्भ भी प्रदान किया जा सकता है। साथ ही गणितीय अवधारणाओं के साथ समृद्ध साहित्य के अध्ययन में प्रवेश करने से पहले यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक कक्षा स्तर पर बच्चों को गणित की कौन सी अवधारणाओं को विकसित करने की आवश्यकता है। गणित को साहित्य की कक्षा में शामिल करके, शिक्षक तार्किक समझ और उत्साह के माहौल का निर्माण कर सकते हैं तथा नई गणितीय अवधारणाओं की खोज कर सकते हैं।
छात्रों को सक्रिय रूप से पाठ्य सामग्री के साथ जुड़ने और महत्वपूर्ण सोच कौशल विकसित करने में मदद करने के लिए पूछताछ-आधारित शिक्षा और समस्या-समाधान का उपयोग किया जा सकता है। 
कुल मिलाकर मुंशी प्रेमचंद्र और श्रीनिवास रामानुजन भले ही अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन गणित और साहित्य के प्रतिच्छेदन से यह साबित होता है कि ये दो अलग-अलग प्रतीत होने वाले लोग भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। गणित और साहित्य दोनों व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए आवश्यक हैं, और दोनों का एकीकरण सीखने के अनुभवों को बढ़ा सकता है और छात्रों में जिज्ञासा को प्रेरित कर सकता है। इन दो क्षेत्रों के बीच तालमेल को अपनाकर, हम एक अधिक व्यापक शिक्षा का निर्माण कर सकते हैं जो महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता और समस्या को सुलझाने के कौशल को बढ़ावा देती है।
 
 
संदर्भ  
https://bit.ly/3L4U31m 
https://bit.ly/3V9fX8k 
https://bit.ly/3LwdmC5 
 
चित्र संदर्भ 
1. कक्षा में बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr) 
2. गणितीय सवालों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 
3. ‘हिंदी पुस्तकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
4. सारा हार्ट (Sara Hart) की किताब ‘वन्स अपॉन ए प्राइम’ को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon) 
5. पुस्तक पढ़ते साधु को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay) 
6. पुस्तक में डूबे हुए बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)