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उत्तर प्रदेश, भारत में सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक है। हमारा राज्य, देश के कुल गेहूँ उत्पादन का 25% से अधिक हिस्सा उत्पादित करता है। गेहूँ को लंबे समय तक अच्छी स्थिति में बनाए रखने के लिए इसका उचित रूप से भंडारण करना बहुत ज़रूरी है। भारत में गेहूँ और अन्य खाद्यान्नों का भंडारण कई एजेंसियों द्वारा किया जाता है। इनमें भारतीय खाद्य निगम ( एफ़ सी आई (Food Corporation of India)), केंद्रीय भंडारण निगम (Central Warehousing Corporation (CWC)), , राज्य भंडारण निगम और निजी गोदाम मालिक शामिल हैं।
2022 में, एफ़ सी आई द्वारा पूरे देश में 2,199 गोदाम संचालित किए गए। इनमें से कुछ गोदाम एफ़ सी आई के अपने थे, जबकि कुछ किराए पर लिए गए थे। उत्तर प्रदेश में कुल 248 गोदाम थे, जिनमें मेरठ जैसे शहरों के गोदाम भी शामिल हैं।
आज के इस लेख में हम भारत की खाद्यान्न भंडारण प्रणाली को विस्तार से समझेंगे। सबसे पहले, जानेंगे कि एफ़ सी आई गोदामों का चयन कैसे करता है और राज्य में इनका वितरण कैसे होता है। इसके बाद, चर्चा करेंगे कि यूपी के गोदामों में गेहूँ की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए क्या-क्या प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं। अंत में, खाद्यान्न भंडारण से जुड़े मुख्य मुद्दों और चुनौतियों पर बात करेंगे।
भारत में लगभग 60-70% खाद्यान्न छोटे किसान, अनाज को अपने घरों में ही संग्रहित करते हैं। इसके लिए वे मोराई, मिट्टी कोठी आदि जैसे पारंपरिक भंडारण तरीकों का उपयोग करते हैं।
२. इसके अलावा भारत में सरकारी एजेंसियाँ भी कार्यरत हैं जो अनाज भंडारण की सुविधा प्रदान करती हैं!
इन भंडारण एजेंसियों में शामिल हैं:
a. भारतीय खाद्य निगम: भारतीय खाद्य निगम या एफ़ सी आई की शुरुआत 1965 में एक संसद अधिनियम के तहत हुई। यह भारत में खाद्यान्न भंडारण की प्रमुख संस्था है। एफ़ सी आई पूरे देश में गोदाम, साइलो और कवर और प्लिंथ संरचनाएँ संचालित करती है।
b. केंद्रीय भंडारण निगम: केंद्रीय भंडारण निगम की स्थापना 1962 में भंडारण निगम अधिनियम के तहत हुई। इसका काम कृषि उपज और अन्य विशेष वस्तुओं को संग्रहीत करना है।
c. राज्य भंडारण निगम: राज्य भंडारण निगम, राज्य कानूनों के तहत बनाए जाते हैं। ये हर राज्य में कुछ खास वस्तुओं के भंडारण को नियंत्रित करते हैं।
3. एफ़ सी आई निजी मालिकों से गोदाम किराए पर भी लेता है। इससे भंडारण के लिए अधिक विकल्प और लचीलापन मिलता है।
4. अन्य हितधारक: खाद्यान्न प्रबंधन में अन्य समूह भी शामिल हैं। इनमें वेयरहाउस डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehouse Development Regulatory Authority (WDRA)), रेलवे और राज्यों के नागरिक आपूर्ति विभाग शामिल हैं। ये समूह मिलकर खाद्यान्न के भंडारण और वितरण को बेहतर बनाने का काम करते हैं।
आइए अब जानते हैं कि एफ़ सी आई भारत में खाद्य भंडारण गोदामों का चयन कैसे करता है?
भारतीय खाद्य निगम सबसे पहले अपनी भंडारण क्षमता का मूल्यांकन करता है। ज़रुरत के हिसाब से यह खाली स्थानों की पहचान करता है। इसके बाद एफ़ सी आई या तो नए गोदाम बनाता है या किराए पर लेता है।
एफ़ सी आई भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ अपनाता है! इनमें शामिल है:
- निजी उद्यमी गारंटी (PEG) योजना।
- केंद्रीय क्षेत्र योजना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत साइलो का निर्माण।
- केंद्रीय भंडारण निगम और राज्य भंडारण निगम से गोदाम किराए पर लेना।
- निजी भंडारण योजना के तहत गोदाम किराए पर लेना।
2022 में, एफ़ सी आई पूरे भारत में 2,199 गोदामों का प्रबंधन कर रहा था। इनमें से कुछ गोदाम एफ़ सी आई के स्वामित्व में थे, जबकि बाकी किराए पर लिए गए थे।
भारत के शीर्ष तीन राज्यों में अनाज भंडारण गोदामों की संख्या:
1. पंजाब: 611 गोदाम
2. हरियाणा: 297 गोदाम
3. उत्तर प्रदेश: 248 गोदाम
1 जनवरी 2022 तक, पूरे देश में एफ़ सी आई के गोदामों की संख्या इस प्रकार थी:
बिहार: 80
झारखंड: 48
ओडिशा: 46
पश्चिम बंगाल: 30
सिक्किम: 2
अरुणाचल प्रदेश: 15
असम: 40
मणिपुर: 9
नागालैंड: 6
त्रिपुरा: 7
मिजोरम: 6
मेघालय: 6
दिल्ली: 6
हरियाणा: 297
हिमाचल प्रदेश: 18
जम्मू और कश्मीर: 26
लद्दाख: 6
पंजाब: 611
चंडीगढ़: 1
राजस्थान: 173
उत्तर प्रदेश: 248
उत्तराखंड: 20
आंध्र प्रदेश: 40
अंडमान और निकोबार: 1
कर्नाटक: 62
लक्षद्वीप: 1
केरल: 25
तमिलनाडु: 68
पुडुचेरी: 3
तेलंगाना: 72
छत्तीसगढ़: 63
गुजरात: 36
दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव: 0
मध्य प्रदेश: 36
गोवा: 2
महाराष्ट्र: 89
इस प्रकार एफ़ सी आई पूरे भारत में कुल 2,199 गोदाम प्रबंधित करता है।
गोदामों में रखे गेहूँ की गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जाती है। इसे बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए जाते हैं।
1. नमी की जाँच: गेहूँ को रखने से पहले उसकी नमी मापी जाती है। हर दो सप्ताह में ढेर के बाहर से नमूने लेकर नमी की फिर से जाँच होती है। गेहूँ निकालने से पहले भी नमी की एक बार और जाँच की जाती है।
2. गुणवत्ता के मानदंड: हर दो सप्ताह में गेहूँ की गुणवत्ता की जाँच की जाती है। इस दौरान फीके, खराब या घुन लगे अनाज की पहचान होती है। नमूने हमेशा ढेर के बाहरी हिस्से से लिए जाते हैं।
3. संक्रमण की जाँच: हर महीने कीट संक्रमण की जाँच की जाती है। इसके लिए ढेर के किनारों से नमूने लेकर स्थिति का आकलन किया जाता है।
4. अनाज का वजन: हर महीने 1,000 गेहूँ के दानों का वजन मापा जाता है। नमूने, ढेर के बाहरी हिस्से से लिए जाते हैं।
5. कृंतक और कीट नियंत्रण: गोदाम के कर्मचारी मासिक निरीक्षण करते हैं। इस दौरान कृंतकों, पक्षियों, बंदरों और घुन के संकेतों की जाँच की जाती है।
6. स्प्रे और धूम्रीकरण: स्प्रे और धूम्रीकरण का रिकॉर्ड, नियमित रूप से रखा जाता है। ढेर के बाहरी हिस्सों पर हर दो सप्ताह में मैलाथियान का स्प्रे किया जाता है।
7. छलकने वाले अनाज का प्रबंधन: गिरा हुआ अनाज हर 15 दिन में इकट्ठा किया जाता है। इसे पल्ला बैग नामक एक बैग में सुरक्षित रखा जाता है।
8. चोरी की घटनाएं: चोरी जैसी किसी भी स्थिति में डिपो अधिकारी तुरंत अधिकृत एजेंसी को सूचना देते हैं।
9. माइक्रोबियल लोड की जाँच: ज़रुरत पड़ने पर गेहूँ के नमूनों में माइक्रोबियल लोड की जाँच तिमाही आधार पर की जाती है।
10. माइकोटॉक्सिन की जाँच: माइकोटॉक्सिन की जाँच तभी की जाती है जब इस पर विशेष संदेह हो।
इन सभी उपायों से सुनिश्चित किया जाता है कि भंडारण के दौरान गेहूँ की गुणवत्ता बनी रहे। यह प्रक्रिया अनाज को सुरक्षित रखने और नुकसान से बचाने में मदद करती है। हालांकि इन सभी भंडारण सुविधाओं के बावजूद भारत में गेहूं भंडारण से जुड़ी कई समस्याएं और चुनौतियां अक्सर देखी जाती हैं!
इनमें शामिल हैं:
1. खराब कृषि भंडारण सुविधाएं: भारत में कृषि भंडारण की सुविधाएं अक्सर अच्छी या
उन्नत नहीं होतीं। इनकी वजह से अनाज को कीट और कीड़ों से नुकसान पहुचंता है। ऐसे भंडारण केंद्र लंबे समय तक अनाज को सुरक्षित नहीं रख पाते।
2. भंडारण क्षमता का असंतुलन: भारतीय खाद्य निगम ने अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाई है। लेकिन, फिर भी भंडारण में असंतुलन बना हुआ है। 2013 की सी ए जी रिपोर्ट बताती है कि उपभोक्ता राज्यों में भंडारण स्थान की कमी है। कुल भंडारण का 64% पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे खरीद राज्यों में केंद्रित है।
3. खुले स्थानों पर अनाज का भंडारण: खरीद के समय, पर्याप्त भंडारण स्थान न होने से अनाज को खुले में रखा जाता है। इससे अनाज खराब होने का खतरा बना रहता है। बारिश, बाढ़ और ज़मीन से पानी रिसने की वजह से अनाज की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
4. भंडारण सुविधाओं का कमज़ोर ढांचा: कई गोदामों में भंडारण के लिए ज़रूरी सुविधाएं नहीं होतीं। इनमें तापमान और नमी नियंत्रण का अभाव होता है। इससे अनाज की गुणवत्ता खराब हो जाती है। खराब भंडारण की वजह से फ़फ़ूंद और कीड़ों का खतरा बढ़ जाता है। 2013 की सी ए जी रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में खराब भंडारण के कारण केंद्रीय पूल में रखे अनाज को बड़ा नुकसान हुआ।
इन सभी समस्याओं से साफ़ नज़र आता है कि भारत में गेहूं और अन्य अनाज को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर और आधुनिक भंडारण सुविधाओं की सख्त ज़रुरत है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/23pqjeg5
https://tinyurl.com/2xhvet7a
https://tinyurl.com/yc2sny6e
https://tinyurl.com/225hr7ku
चित्र संदर्भ
1. एक विशाल अनाज भंडार इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. भारतीय खाद्य निगम के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सी डब्ल्यू सी के गोदाम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. गेहूं की बालियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. अनाज रखने के लिए एक साइलो टावर (Silo Tower) को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)