आइए समझें, लोग टीकाकरण से क्यों हिचकिचाते हैं

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
18-01-2025 09:25 AM
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आइए समझें, लोग टीकाकरण से क्यों हिचकिचाते हैं

टीके, मेरठ के लोगों के लिए हानिकारक बीमारियों के खिलाफ़ एक मज़बूत सुरक्षा कवच की भांति काम करते हैं। ये, न केवल व्यक्ति को बल्कि पूरे समुदाय को भी सुरक्षित रखते हैं। टीके हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं। इससे शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ पाता है और खसरा, पोलियो और इन्फ़्लुएंज़ा जैसी बीमारियों से बचाव होता है। आज के इस लेख में, हम यह जानेंगे कि, लोग टीकाकरण से इतना हिचकिचाते क्यों हैं। साथ ही हम उन गंभीर बीमारियों के बारे में भी जानेंगे, जिनके प्रसार को टीकों ने सफलतापूर्वक रोका है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि बीमारियों को रोकने में टीके कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आइए, सबसे पहले यह समझते हैं कि वैक्सीन हिचकिचाहट क्या है?
जब लोग वैक्सीन उपलब्ध होने के बावज़ूद उसे लेने में देरी करते हैं, या उसे लगवाने से इनकार कर देते हैं, तो इसे वैक्सीन हिचकिचाहट (Vaccine Hesitancy) कहा जाता है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है और समय, स्थान या वैक्सीन के प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
यह हिचकिचाहट अलग-अलग स्तरों पर देखी जा सकती है। कुछ लोग किसी भी वैक्सीन को बिना किसी झिझक लगवा लेते हैं, जबकि कुछ लोग सभी वैक्सीनों को मना कर देते हैं। कुछ लोग कुछ वैक्सीन को मना करते हैं, कुछ इन्हें लगवाने में देरी करते हैं और कुछ तो इन्हें लगवाने के बाद भी चिंतित रहते हैं। यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो खुद वैक्सीन नहीं लगवाते लेकिन दूसरों के टीकाकरण का समर्थन करते हैं।
वैक्सीन हिचकिचाहट को समझने के लिए ‘3 सी’ मॉडल को समझना ज़रूरी है। इसमें तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:
आत्मविश्वास: इसके तहत हमें वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आत्मविश्वास की कमी नज़र आती है। इसमें स्वास्थ्य सेवा, डॉक्टरों और नीति निर्माताओं की मंशा पर संदेह शामिल हो सकता है।
आत्मसंतुष्टि: आत्मसंतुष्टि तब नहीं होती, जब लोग वैक्सीन से बचाई जा सकने वाली बीमारियों को गंभीर नहीं मानते। उन्हें लगता है कि जोखिम कम है, इसलिए वैक्सीन की ज़रूरत भी नहीं है।
सुविधा: यह इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन कितनी आसानी से उपलब्ध है। इसमें भौतिक उपलब्धता, लागत, पहुँच और जानकारी (जैसे भाषा और स्वास्थ्य शिक्षा) शामिल हैं। 
ये सभी कारण यह तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं कि लोग वैक्सीन लेंगे या नहीं।
हालांकि वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट को दूर करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं: 
सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण: सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी साझा करना है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मोबिलाइज़र और चिकित्सा अधिकारी शामिल होते हैं। ये लोग, मेडिकल इंटर्न और सम्मानित धार्मिक नेताओं के साथ मिलकर काम करते हैं। समुदाय की प्रभावशाली महिलाएँ भी अपने अनुभव और ज्ञान साझा करती हैं। इस टीम का उद्देश्य लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करना है।
प्रोत्साहन आधारित दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण में माता-पिता को बच्चों का टीकाकरण कराने पर पुरस्कार दिए जाते हैं। इन पुरस्कारों में भोजन, वस्त्र, प्रमाण पत्र या आर्थिक सहायता शामिल हो सकती है। इसका मकसद माता-पिता को बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
प्रौद्योगिकी-आधारित स्वास्थ्य साक्षरता: टीकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में तकनीक अहम भूमिका निभाती है। इसमें मोबाइल फ़ोन से स्थानीय भाषा में अनुस्मारक भेजना, सचित्र संदेश भेजना और स्वचालित कॉल शामिल हैं। इन प्रयासों से लोगों में टीकाकरण के महत्व को समझाया जाता है।
मीडिया जुड़ाव: मीडिया जुड़ाव के तहत रेडियो, टीवी और प्रिंट मीडिया का उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से सरल और स्पष्ट सार्वजनिक सेवा घोषणाएँ की जाती हैं। ये संदेश राष्ट्रीय हस्तियों, स्थानीय नेताओं और प्रभावित समुदाय के सदस्यों द्वारा दिए जाते हैं। इनका उद्देश्य यह होता है कि वैक्सीन की जानकारी हर किसी तक आसानी से पहुँचे।

वास्तव में टीकाकरण बीमारियों से बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। नीचे कुछ मुख्य बीमारियाँ बताई गई हैं जिन्हें टीकाकरण ने दूर किया है। 
1. पोलियो: पोलियो को खत्म करने में टीके ने बड़ी भूमिका निभाई है। 2014 में भारत को पोलियो-मुक्त घोषित किया गया। 
2. खसरा: टीकों ने खसरे के कई प्रकोपों को रोका है। टीकाकरण ने इस संक्रामक बीमारी को काफ़ी हद तक नियंत्रित कर दिया है। 
3. तपेदिक: बी सी जी वैक्सीन, तपेदिक से बचाव करता है। यह एक खुराक वाला टीका है। तपेदिक मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करने वाला संक्रमण है। 
4. हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस ए और बी (Hepatitis A and B) से बचाने वाले टीके गंभीर संक्रमण और उसकी जटिलताओं को रोकते हैं। 
5. इन्फ्लूएंजा: हर साल लगने वाला टीका, इन्फ़्लुएंज़ा के लक्षणों को कम करता है। यह मौसमी फ़्लू से बचाने में भी मदद करता है। 
इस प्रकार टीकाकरण इन बीमारियों से लड़ने और लोगों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। 

संदर्भ 
https://tinyurl.com/23xowkaj
https://tinyurl.com/23xowkaj
https://tinyurl.com/23sdfg5s
https://tinyurl.com/27tklc2h

चित्र संदर्भ

1. टीका लगवाती एक भारतीय महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक रोते हुए बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. टीका लगवाती एक स्कूल की छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत के मानचित्र में, कोविड-19 से बचाव के लिए, अप्रैल-2023 तक, सबसे ज़्यादा टीकाकरण करवाने वाले राज्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)