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रोजगार किसी भी व्यक्ति के जीवन को जीने के लिए एक प्रमुख अवयव है। यह मानव के जीवन में कई बदलाव लाता है। रोजगार की उपलब्धता होने से व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूर्ण करने के काबिल बनता है। शिक्षा का रोजगार से एक गहरा सम्बन्ध है। रोजगार को दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है, 1- स्वरोजगार और 2- सवेतन रोजगार।
जब कोई व्यक्ति कोई रोजगार अपनाता है और काम करने का उसे कुछ वेतन मिलता है तो उसे हम सवेतन रोजगार कहते हैं और इसके उलट जब कोई व्यक्ति खुद कोई कार्य का प्रारंभ करता है और उससे वह कुछ कमाता है तो उसे स्वरोजगार कहते हैं। परचून की दुकानें, छोटा उद्योग आदि स्वरोजगार के उदहारण हैं। स्वरोजगार, सवेतन रोजगार भी बनाने का कार्य करता है। मेरठ भारत के प्रमुख करदाता शहरों में से एक है तथा यहाँ पर छोटे उद्योगों की अधिकता है। यही कारण है कि यहाँ पर रोजगार व स्वरोजगार की बड़े पैमाने पर उपलब्धता है। मेरठ की कुल जनसंख्या करीब 34 लाख है जिसमें करीब 18 लाख पुरुष और 16 लाख महिलाएं हैं। यदि यहाँ के रोजगार प्राप्त व्यक्तियों पर नजर डाली जाये तो इनकी संख्या मात्र 32% है जिसमें कुल जनसंख्या के 49% पुरुष रोजगार प्राप्त किये हुए हैं और महिलाओं का प्रतिशत सोचनीय है। यहाँ पर मात्र 12% महिलाओं के पास रोजगार है। यदि अंक में देखा जाए तो कुल रोजगार की संख्या यहाँ पर 10,90,539 है।
1. सेंसस 2011