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दोपहिया उद्योग, वैश्विक परिवहन क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा है, जो दुनिया भर के लोगों के लिए आवागमन की सस्ती और सुविधाजनक सुविधा प्रदान करता है। दोपहिया वाहनों में रोज़मर्रा की बाइक और स्कूटर से लेकर शक्तिशाली स्पोर्ट और क्रूजर मॉडल तक विभिन्न प्रकार के वाहन शामिल है। दोपहिया वाहनों की बढ़ती मांग के साथ, विशेषकर भारी यातायात वाले क्षेत्रों या ग्रामीण क्षेत्रों में, इस उद्योग का विस्तार जारी है। अच्छी डिज़ाइन, ईंधन दक्षता और सुरक्षा सुविधाओं में तकनीकी प्रगति से इस क्षेत्र में विकास को गति मिल रही है, साथ ही यह क्षेत्र पर्यावरणीय चिंताओं को भी ध्यान में रखते हुए प्रगति कर रहा है। मोटरसाइकिल उद्योग, न केवल लाखों लोगों को नौकरियां देता है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2022 में, भारत का दोपहिया वाहन बाज़ार 302.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान है। भारत के दोपहिया वाहन बाज़ार उद्योग के 2023 में 312.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 3.50% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 2032 तक 411.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है। तो आइए आज, हम भारत में दोपहिया उद्योग, इसके विकास, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और इस उद्योग के प्रमुख खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम भारतीय दोपहिया वाहन उद्योग में नवाचारों, डिज़ाइन परिवर्तनों और बढ़ी हुई मांग के साथ क्षेत्र के परिवर्तन पर प्रकाश डालेंगे। हम दुनिया में मोटरसाइकिलों के इतिहास पर भी नज़र डालेंगे, उनकी उत्पत्ति, वैश्विक विकास और उन्होंने भारतीय बाज़ार को कैसे प्रभावित किया, इसके बारे में भी जानेंगे।
भारत में दोपहिया उद्योग:
भारत में अधिकांश लोग, दोपहिया वाहन रखने एवं चलाना ज्यादा पसंद करते हैं उसके कुछ विशिष्ट कारण हैं। इसके सबसे प्रमुख कारणों में से एक कारण यह है कि भारत के कई हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति आज भी बेहद खराब है। दोपहिया वाहन, आम आदमी के लिए काफ़ी किफ़ायती, सुविधाजनक और तेज़ परिवहन का साधन बन जाते हैं। 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा उदारीकरण की प्रक्रिया की घोषणा के बाद से भारत में दोपहिया वाहन उद्योग तेज़ी से बढ़ा है। पहले, देश में केवल कुछ ही दोपहिया वाहन मॉडल उपलब्ध थे। लेकिन अब वर्तमान में, भारत दुनिया में उत्पादित दोपहिया वाहनों की संख्या और दोपहिया वाहनों की बिक्री के मामले में क्रमशः चीन और जापान के बाद दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2005-2006 में भारत में दोपहिया वाहनों का वार्षिक उत्पादन लगभग 7600801 इकाई था।
यदि भारत में दो पहिया वाहन उद्योग के इतिहास की बात करें, तो भारत में सबसे पहले बजाज ऑटो ने 1948 में वेस्पा स्कूटर को आयात करके व्यापार शुरू किया। इस बीच 'ऑटोमोबाइल प्रोडक्ट्स ऑफ़ इंडिया' (Automobile Products of India (API)) द्वारा 50 के दशक की शुरुआत में देश में स्कूटर का उत्पादन शुरू किया गया। 1958 तक, ए पी आई और एनफ़ील्ड भारत में दोपहिया वाहनों के एकमात्र निर्माता थे। हालाँकि, 1960 में बजाज कंपनी ने बजाज स्कूटर के उत्पादन के लिए इटली के पियाज़ियो के साथ एक तकनीकी सहयोग पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, यह सौदा 1971 में समाप्त हो गया।
80 के दशक के मध्य तक, भारत में केवल तीन प्रमुख मोटरसाइकिल निर्माता थे, राजदूत, एस्कॉर्ट्स और एनफ़ील्ड। 80 के दशक के मध्य में दोपहिया वाहन बाज़ार को विदेशी निर्माताओं के लिए खोल दिया गया था, जिसके कारण भारतीय उद्योग को भयंकर विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। यामाहा, होंडा और कावासाकी जैसी मोटरसाइकिल कंपनियों ने विभिन्न भारतीय दोपहिया कंपनियों के सहयोग से भारत में व्यापार स्थापित किया। एस्कॉर्ट्स, राजदूत जैसी कंपनियों को जापानी 100 सी सी प्रौद्योगिकी मोटरबाइकों से भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। उस समय फोर-स्ट्रोक बाइक बनाने वाली एकमात्र कंपनी हीरो होंडा द्वारा निर्मित बाइकों ने बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल की।
80 के दशक के मध्य में, काइनेटिक (Kinetic) ने होंडा के सहयोग से एक गियरलेस(Gearless) स्कूटर पेश किया। यह स्कूटर युवा पीढ़ी के बीच तुरंत लोकप्रिय हो गया, खासकर उन लोगों के बीच जिन्हें गियर वाले स्कूटर का उपयोग करना मुश्किल लगता था। काइनेटिक, टी वी एस(TVS) और हीरो जैसी कई कंपनियों ने भी मोपेड का निर्माण शुरू किया, जो उन लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय साबित हुई, जो एक साधारण सवारी चाहते थे। प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों और क्योटो समझौते (Kyoto agreement) के तहत सरकार की नीति में बदलाव के कारण दो स्ट्रोक दोपहिया वाहनों का उत्पादन चरणबद्ध तरीके से बंद हो गया। वर्तमान में देश में लगभग 10 दोपहिया वाहन निर्माता हैं, बजाज, हीरो, हीरो होंडा, होंडा, इंडस, काइनेटिक, रॉयल एनफ़ील्ड, सुज़ुकी, टी वी एस और यामाहा। आज, दोपहिया वाहन बाज़ार में विद्युत चालित वाहनों की शुरूआत से नवीनतम प्रवृत्ति देखी गई है। इन्हें सुविधाजनक घरेलू विद्युत बिंदुओं से भी रिचार्ज किया जा सकता है। वर्तमान में, मोटरसाइकिल बाज़ार में अधिक शक्ति वाले इंजनों की मांग देखी जा रही है। पहले, 100 सी बाइकें उच्च ईंधन दक्षता के कारण बहुत लोकप्रिय थीं। हालाँकि, बाज़ार में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव को भांपते हुए, बाज़ार में आज 200 सी सी इंजन के साथ भी मोटरसाइकिल उपलब्ध हैं।
भारतीय दोपहिया वाहन उद्योग का विकास:
दोपहिया वाहनों को मूल रूप से तेज़, सुरक्षित, कुशल और आरामदायक सवारी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। पहली बार अस्तित्व में आने के बाद से उन्होंने एक लंबा सफ़र तय किया है और आज भी अपने उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं। भारत के दोपहिया वाहन उद्योग के विकास को निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है:
भारतीय दोपहिया वाहनों की शान: रॉयल एनफ़ील्ड:
देश में प्रचलन में आया पहला दोपहिया वाहन ब्रांड, रॉयल एनफ़ील्ड था, जो शुरुआत में केवल सेना के लिए उपलब्ध था। उस समय तक, दोपहिया वाहन का मालिक होना गर्व की बात थी। 70 के दशक में, जब बाज़ार में येज़्दी और राजदूत जैसे नए ब्रांड आए, तो युवा वर्ग में इन शोर मचाने वाली बाइकों जो अपने पीछे धूल और धुएं का बादल छोड़ती थीं, के लिए विशेष आकर्षण था।
चेतक, भारत का पहला और भरोसेमंद स्कूटर:
भारत में स्कूटर की कहानी की शुरुआत बजाज के पहले उत्पाद चेतक स्कूटर के आगमन के साथ हुई। पूरे देश में इसके लिए आकर्षण देखा गया और एक समय तो इसे खरीदने के लिए लोगों को कई महीनों की प्रतीक्षा अवधि तक का सामना करना पड़ा। उस समय के हिसाब से इस स्कूटर की कीमत उतनी ही ज्यादा थी जितनी इसकी मांग थी।
दोपहिया वाहन: सुविधा का प्रतीक:
80 के दशक में होंडा, सुज़ुकी और यामाहा जैसी कई विदेशी कंपनियों के आगमन से भारत में दोपहिया वाहन उद्योग में तेज़ी से वृद्धि हुई। हीरो होंडा की साझेदारी से कई बाइकों ने बेहतर माइलेज़ के साथ सुरक्षित सवारी की पेशकश की। हीरो होंडा का स्प्लेंडर एक ऐतिहासिक उत्पाद बन गया जिसने देश के युवाओं का ध्यान आकर्षित किया।
दोपहिया वाहन: सुविधा और स्टाइल का संगम:
स्प्लेंडर ने, सुरक्षा, आराम और बेहतरीन ईंधन दक्षता प्रदान करने वाली आधुनिक बाइकों की एक श्रृंखला पेश की। बजाज ने 2001 में, पल्सर के साथ बाज़ार में वापसी की। अपनी ईंधन दक्षता के साथ, इसने हर कॉलेज जाने वाले की नब्ज़ को छू लिया। जबकि बाइक उद्योग सस्ती और ईंधन-कुशल बाइक के साथ विकसित हो रहा था, होंडा अपने अगले स्कूटर के साथ बाज़ार में वापस आया, जो अन्य कंपनियों के लिए पथ-प्रदर्शक बन गया। एक्टिवा ने भारतीय बाज़ार पर इतना कब्ज़ा कर लिया, जितना किसी दोपहिया वाहन ने कभी नहीं किया था। देश के लगभग हर घर में एक एक्टिवा (Activa) है, जिसका इस्तेमाल लगभग घर का हर सदस्य कर सकता है! भारतीय बाज़ार में हौंडा (Honda), यामाहा (Yamaha) और सुज़ुकी (Suzuki) की हाई-एंड स्पोर्ट्स बाइक की संख्या में भी वृद्धि देखी गई। हालांकि, रॉयल एनफ़ील्ड (Royal Enfield) ने अपनी विरासत को आज भी बरकरार रखा है, हाल के वर्षों में हार्ले डेविडसन और ट्रायम्फ जैसे विदेशी प्रतिस्पर्धी भी इसमें शामिल हुए हैं। दोपहिया वाहन उद्योग की वृद्धि के साथ-साथ दोपहिया बीमा क्षेत्र में भी आनुपातिक वृद्धि हुई है।
मोटरसाइकिलों का इतिहास:
मोटरसाइकिलें, आज हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। कई लोगों के लिए, मोटरसाइकिलें केवल आवागमन का एक साधन हैं, जबकि कुछ के लिए, वे जीवन जीने का एक तरीका हैं। हम सभी को मोटरसाइकिल की सवारी करना पसंद है, हम अपनी मोटरसाइकिलों के अंदर उन्नत से उन्नत प्रौद्योगिकी चाहते हैं। लेकिन क्या आपने और हमने कभी सोचा है कि आज की इतनी अधिक उन्नत मोटरसाइकिल ने अपना यह रूप कैसे प्राप्त किया? इसके लिए हमें मोटरसाइकिल के इतिहास को समझना होगा।
मोटरसाइकिल शब्द की उत्पत्ति साइकिल के फ्रेम में बंधी मोटर से हुई है। पेट्रोल से चलने वाली पहली मोटरसाइकिल 1884 में सामने आई। हालाँकि, उससे बहुत पहले भाप से चलने वाली कुछ मशीनें अस्तित्व में थीं। 1860 के दशक में पैडल-चालित साइकिलें चलन में आईं। समय के साथ, जब लोगों को अपनी साइकिल में अधिक गति और शक्ति की आवश्यकता महसूस हुई, तो 1867 में, पेरिस में मिचॉक्स-पेररेक्स ने अपनी एक साइकिल में एक छोटा भाप इंजन लगाया, जिससे मिचौक्स-पेररेक्स स्टीम वेलोसिपेड की शुरुआत हुई। इसे आज की मोटरसाइकिलों का पहला पूर्वज कहा जा सकता है। 1860 और 1870 के दशक में यूरोप और अमेरिका में भाप से चलने वाली साइकिलों का विकास जारी रहा। 1868 में अमेरिका के मैसाचुसेट्स में पहली ट्विन-सिलेंडर भाप से चलने वाली साइकिल बनाई गई।
हालाँकि ये सभी आविष्कार मोटरसाइकिल के इतिहास में महत्वपूर्ण मील के पत्थर रहे हैं, इनमें से कोई भी पेट्रोल से चलने वाला नहीं है, और इसलिए इन्हें, वास्तव में मोटरसाइकिल नहीं कहा जा सकता। यह 1886 में कार्ल बेंज का आविष्कार था, जिसे व्यापक रूप से पहला पेट्रोल चालित ऑटोमोबाइल माना जाता है। इसीलिए, उन्हें आधुनिक ऑटोमोबाइल के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, एक कम ज्ञात तथ्य यह है कि पेट्रोल से चलने वाली मोटरसाइकिल को बेंज से दो साल पहले डिज़ाइन किया गया था। ब्रिटिश आविष्कारक एडवर्ड बटलर (Edward Butler) ने 1884 में लंदन में आयोजित 'स्टेनली साइकिल शो' (Stanley Cycle Show)में बटलर पेट्रोल साइकिल के लिए अपने डिज़ाइन प्रस्तुत किए। हालांकि, बटलर पेट्रोल साइकिल का उत्पादन मेरीवेदर फायर इंजन कंपनी (Merryweather Fire Engine company) द्वारा 1888 में किया गया था। बटलर पेट्रोल साइकिल कई नई तकनीकों और आविष्कारों के साथ आई थी जिनके बारे में पहले लोग अनजान थे। तीन पहियों वाली यह साइकिल चार-स्ट्रोक, 600cc बॉक्सर इंजन द्वारा संचालित थी, और इसमें मैग्नेटो इग्निशन और रोटरी वाल्व भी था। यहां तक कि इसमें फ्लोट- फ़ेड कार्बोरेटर भी था। मैग्नेटो इग्निशन का उपयोग अभी भी कुछ पुरानी मोटरसाइकिलों और कुछ अन्य पेट्रोल इंजनों में किया जाता है जबकि फ्लोट- फ़ेड कार्बोरेटर अभी भी कुछ छोटे इंजनों में उपयोग किया जाता है। हालाँकि, बटलर पेट्रोल साइकिल में तीन पहिये थे और और इसलिए वास्तव में, इसे मोटरसाइकिल नहीं कहा जा सकता है। इसके बाद, कई कंपनियों ने, जिनमें से कुछ साइकिल निर्माता भी थीं, जल्द ही मोटरसाइकिल बनाने का विचार लाया। 1894 में, जर्मन ब्रांड 'हिल्डेब्रांड और वोल्फमुलर'
(Hildebrand & Wolfmuller) ने 'मोटर्राड' (Motorrad) लॉन्च किया, जिसका शाब्दिक अर्थ मोटरसाइकिल है। यह दुनिया की पहली मोटरसाइकिल श्रृंखला है और ऐसी लगभग कुछ 100 मोटरसाइकिलें बनाई गईं। इंग्लैंड में स्थित 'एक्सेलसियर मोटर कंपनी' (Excelsior Motor Company) ने 1896 में देश की पहली मोटरसाइकिल बनाई, जबकि अमेरिका में पहली मोटरसाइकिल 'ओरिएंट-एस्टर' (Orient-Aster) 1898 में लॉन्च की गई थी।
इस समय तक, सभी 'मोटरसाइकिलें' वस्तुतः छोटे पेट्रोल इंजन वाली साइकिलें थीं। हालाँकि, जैसे-जैसे लोगों का गति के लिए जुनून बढ़ता गया और इंजन अधिक शक्तिशाली होते गए, नई तकनीकों को विकसित करने की वह आवश्यकता महसूस होने लगी, जिसके कारण मोटरसाइकिलों का विकास हुआ जैसा कि हम उन्हें आज जानते हैं।
प्यूज़ो ने, 1898 के 'पेरिस मोटर शो' में अपनी पहली मोटरसाइकिल का अनावरण किया। जबकि उपरोक्त सभी अन्य मोटरसाइकिल निर्माता कंपनियां अंततः बंद हो गईं, प्यूज़ो आज भी मोटरसाइकिलों का उत्पादन करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे पुराना मौजूद मोटरसाइकिल निर्माता बन गया है। 20वीं सदी के आगमन के साथ कुछ नई कंपनियाँ भी आईं, जिन्होंने तुलनात्मक रूप से आधुनिक मोटरसाइकिलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। 1901 में रॉयल एनफ़ील्ड ने अपनी पहली मोटरसाइकिल पेश की। इसमें एयर-कूल्ड, 239cc, सिंगल-सिलेंडर इंजन था। 1902 में, ब्रिटिश ब्रांड ट्रायंफ़ ' और नॉर्टन' (Triumph and Norton) ने अपनी पहली मोटरसाइकिल लॉन्च की और एक साल बाद, ट्रायम्फ दुनिया का सबसे बड़ा मोटरसाइकिल ब्रांड बन गया। रूसी मोटरसाइकिल ब्रांड 'रोसिया' (Rossiya) ने भी 1902 में मोटरसाइकिल बनाना शुरू किया जबकि 'हार्ले-डेविडसन' (Harley-Davidson) ने 1903 में उत्पादन शुरू किया।।
इस समय तक मोटरसाइकिल बाज़ार में कड़ी प्रतिस्पर्धा थी और मोटरसाइकिल निर्माता बाकियों से आगे निकलने की पूरी कोशिश कर रहे थे। वे हर गुज़रते साल के साथ कठिन, तेज़ और अधिक विश्वसनीय मशीनें बना रहे थे। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ट्रायम्फ, हार्ले-डेविडसन, रॉयल एनफ़ील्ड, इंडियन मोटरसाइकिल आदि जैसे निर्माताओं ने अपनी स्वयं की युद्ध मशीनें विकसित कीं।
दूसरे विश्व युद्ध के कई साल बाद जापानी मोटरसाइकिलों ने विश्व बाज़ार में प्रवेश किया और कई देशों पर अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया। होंडा, सुज़ुकी, कावासाकी और यामाहा की मोटरसाइकिलें आज भी दुनिया भर में हावी हैं। यूरोप के मोटरसाइकिल निर्माता और कुछ अमेरिकी निर्माता भी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।
आज, हम ऐसी मोटरसाइकिलों की सवारी का आनंद लेते हैं जो बेहद शक्तिशाली, प्रौद्योगिकी से भरपूर, बहुत कुशल और विश्वसनीय हैं। हालाँकि, कभी-कभी, बीते समय को याद करने से हमें उन मशीनों को और अधिक गहराई से समझने में मदद मिलती है जिन्हें हम पसंद करते हैं। सभी महान चीज़ों की तरह, मोटरसाइकिलों की शुरुआत भी साधारण तरीके से हुई थी। और आज मोटरसाइकिल उद्योग एक उज्ज्वल, इलेक्ट्रिक भविष्य का इंतज़ार कर रहा है। कुछ दशकों बाद, पेट्रोल से चलने वाली मोटरसाइकिलें भी इतिहास बन सकती हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : pxhere