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मेरठ, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख ज़िला है और ये, आज भी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। यहाँ की अधिकतर जनसंख्या, खेती और उससे संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। हालांकि, बदलते समय और परिस्थितियों ने ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज के दौर में कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों का समन्वय ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभा रहा है।
भारत में 2020-21 के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 60.8% लोग, कृषि में कार्यरत थे, जबकि 39.2% लोग, गैर-कृषि कार्यों में संलग्न थे। इसके बावजूद, गैर-कृषि क्षेत्र का देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। यह क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6% का योगदान देता है। हालांकि, यह क्षेत्र केवल 19% कामकाजी जनसंख्या को रोज़गार प्रदान करता है, जिससे इसकी अपार संभावनाओं का पता चलता है।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) का " ऑफ़ फ़ार्म डेवलपमेंट डिपार्टमेंट" (Off Farm Development Department (OFDD)) ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और इसे मज़बूत करने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। इस लेख में, हम ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र की परिभाषा, इसकी महत्ता, गरीबी से संबंध, और उत्तर प्रदेश में इसके विकास की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।

क्या है ग्रामीण गैर-कृषि अर्थव्यवस्था?
ग्रामीण गैर-कृषि अर्थव्यवस्था से तात्पर्य उन आर्थिक गतिविधियों से है, जो सीधे तौर पर कृषि से संबंधित नहीं होतीं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ही संचालित होती हैं। यह क्षेत्र कृषि के पूरक के रूप में काम करता है और ग्रामीण लोगों को अतिरिक्त आय और रोज़गार के अवसर प्रदान करता है।
इसमें शामिल प्रमुख गतिविधियां:
⦁ कृषि प्रसंस्करण: यह कच्चे कृषि उत्पादों को तैयार माल में बदलने की प्रक्रिया है, जैसे अनाज से आटा बनाना, दूध से पनीर बनाना, या गन्ने से चीनी तैयार करना।
⦁ परिवहन और निर्माण कार्य: ग्रामीण इलाकों में परिवहन सेवाएं और छोटे स्तर के निर्माण कार्य, रोज़गार का एक बड़ा स्रोत हैं। सड़क निर्माण, मकान बनाना और ग्रामीण अवसंरचना विकास. इस क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
⦁ खनन और कुटीर उद्योग: ग्रामीण खनन कार्यों और कुटीर उद्योगों जैसे हस्तशिल्प, बुनाई, और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कामों का भी इस क्षेत्र में महत्व है।
⦁ छोटे व्यापार और सेवाएं: छोटी दुकानें, बेकरी, और सेवाएं जैसे स्थानीय बाज़ार और मरम्मत कार्य, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा हैं।
गरीबी और ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र का संबंध
भारत जैसे विकासशील देश में, ग्रामीण गैर-कृषि गतिविधियां गरीब और भूमिहीन परिवारों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुकी हैं। विशेष रूप से कृषि पर निर्भर परिवारों को गैर-कृषि कार्यों से आय में स्थिरता मिलती है।
⦁ आय का विविधीकरण: जिन परिवारों की आय के स्रोत, केवल कृषि तक सीमित रहते हैं, वे अकसर मौसमी बेरोज़गारी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण आर्थिक संकट का सामना करते हैं। गैर-कृषि गतिविधियां, उन्हें आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करती हैं।
⦁ गरीबी उन्मूलन में मदद: गैर-कृषि क्षेत्र गरीब परिवारों को स्वरोज़गार और कौशल विकास के अवसर प्रदान करता है। इससे उनका जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलती है।
⦁ महिलाओं का सशक्तिकरण: ग्रामीण हस्तशिल्प और अन्य गैर-कृषि कार्यों में, महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र के विकास की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और यहाँ का बड़ा हिस्सा, ग्रामीण क्षेत्रों में बसा है। राज्य में ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र के विकास की आवश्यकता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि:
⦁ कृषि पर निर्भरता कम करने की ज़रूरत: कृषि क्षेत्र में बढ़ते दबाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के वैकल्पिक साधनों की आवश्यकता है।
⦁ आर्थिक स्थिरता: कृषि के उतार-चढ़ाव, जैसे मौसम की अनिश्चितता और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र, एक स्थायी विकल्प प्रदान करता है।
⦁ स्थानीय संसाधनों का उपयोग: गैर-कृषि क्षेत्र, स्थानीय संसाधनों और श्रम शक्ति का उपयोग करके आर्थिक विकास में योगदान करता है।
⦁ आधुनिकरण और कौशल विकास: इस क्षेत्र के विकास से, ग्रामीण युवाओं को आधुनिक तकनीक और कौशल के माध्यम से रोज़गार के बेहतर अवसर मिलते हैं।
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण गैर-कृषि रोज़गार का क्षेत्रीय विश्लेषण
उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार की स्थिति भिन्न है।
⦁ दक्षिणी क्षेत्र: यहाँ के ग्रामीणों का बड़ा हिस्सा, अस्थिर और अनौपचारिक कार्यों में संलग्न है।
⦁ पश्चिमी क्षेत्र: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग, विशेषकर शिक्षित और ज़मींदार वर्ग, गैर-कृषि कार्यों की ओर बढ़ रहे हैं।
⦁ आर्थिक कठिनाई का प्रभाव: कई जगहों पर लोग, आर्थिक कठिनाई के कारण, गैर-कृषि कार्यों में लगे हुए हैं, न कि यह उनकी पहली पसंद होती है।
भारत में ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र के प्रमुख निर्धारक
⦁ सरकारी नीतियाँ: ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार को बढ़ावा देने के लिए, सरकार कई योजनाएं चला रही है, जैसे कृषि और सहायक उद्योगों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना।
⦁ शिक्षा और कौशल: शिक्षित लोग, गैर-कृषि क्षेत्र में बेहतर रोज़गार पाते हैं। ग्रामीण कौशल विकास केंद्र, इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
⦁ परिवार का आकार: बड़े परिवार, खेती से पर्याप्त आय नहीं कमा पाते। ऐसे में, गैर-कृषि कार्य, उनके लिए अधिक लाभकारी साबित होते हैं।
⦁ जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण, कृषि उत्पादन में अस्थिरता आई है, जिससे गैर-कृषि कार्यों की आवश्यकता बढ़ी है।
⦁ आधारभूत संरचना का विकास: सरकारी खर्च और आधारभूत संरचना के विकास ने निर्माण और परिवहन जैसे रोज़गार के नए अवसर पैदा किए हैं।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) का ऑफ़ फ़ार्म डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (OFDD) के प्रयास
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और इसका " ऑफ़ फ़ार्म डेवलपमेंट डिपार्टमेंट”, ग्रामीण गैर-कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है:
⦁ कौशल विकास और उद्यमिता (Skill Development and Entrepreneurship among Rural Youth (SDERY)): राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने "नैबस्किल"(NABSKILL) नामक प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया है, जो ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास और रोज़गार के अवसर प्रदान करता है।
⦁ ऑफ़ फ़ार्म उत्पादक संगठन (Off Farm Producer Organisation (OFPO)): राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक छोटे उत्पादकों और कारीगरों को संगठित कर उन्हें बेहतर बाजार पहुंच और आय के अवसर प्रदान करता है।
⦁ ग्रामीण हाट और मार्ट (Rural Haats and Marts) : ग्रामीण हाट (स्थानीय बाज़ार) और मार्ट (दुकानें) ग्रामीण उत्पादकों को सीधे ग्राहकों से जोड़ते हैं।
⦁ ग्रामीण व्यवसाय इनक्यूबेशन सेंटर (Rural Business Incubation Centres (RBICs)): राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नए उद्यमियों के लिए उद्भवन केन्द्र स्थापित कर रहा है, जहां वे अपने व्यावसायिक विचारों को अमल में ला सकते हैं।
सार्वजनिक भागीदारी और गैर-कृषि क्षेत्र का भविष्य
ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सरकारी और निजी संगठनों के समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। इसके साथ ही, ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास और उद्यमिता में प्रशिक्षित करना भी अनिवार्य है।
रामपुर जैसे ज़िलों में, जहाँ कृषि प्राथमिक रोज़गार का साधन है, गैर-कृषि क्षेत्र की संभावनाएं रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास का एक मजबूत आधार बन सकती हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और " ऑफ़ फ़ार्म” डेवलपमेंट डिपार्टमेंट” के प्रयासों से यह सुनिश्चित हो रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार के अवसर लगातार बढ़ें।
संदर्भ
https://tinyurl.com/p4fndwks
https://tinyurl.com/59t6j5yc
https://tinyurl.com/ms5uz2yd
https://tinyurl.com/mrxf85hr
https://tinyurl.com/v97ucmww
मुख्य चित्र स्रोत: एक खेत में आपस में बात करते दो किसान (Wikimedia)