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समय के साथ फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, सारकोमा और सर्वाइकल कैंसर जैसी घातक बीमारियां आम होती जा रही हैं। लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि इनके इलाज में उपयोगी कई प्राकृतिक औषधियां विलुप्त होने की कगार पर हैं! हिमालयन यू (Himlayan yew) ऐसा ही एक दुर्लभ पौधा है, जो कई तरह के कैंसर के इलाज में सहायक साबित हुआ है। इसका वैज्ञानिक नाम टैक्सस वॉलिचियाना (Taxus wallichiana) है, और यह मुख्य रूप से हिमालय और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग लंबे समय से किया जाता रहा है, लेकिन आई यू सी एन (International Union for Conservation of Nature (IUCN)) ने इसे लुप्तप्राय (Endangered) प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया है, जो इसकी गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
आज के इस लेख में हम इस पौधे के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। इसके तहत सबसे पहले, भारत में इसके वितरण और प्राकृतिक आवास के बारे में जानेंगे। फिर, हम इसकी शारीरिक विशेषताओं की बात करेंगे। इसके बाद, यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह पौधा खतरे में क्यों है। और अंत में, इसके संरक्षण के कुछ उपायों पर चर्चा करेंगे।
हिमालयन यू, एक मध्यम आकार का सदाबहार शंकुधारी वृक्ष होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 10 मीटर तक हो सकती है। इसके नए अंकुर शुरुआत में हरे होते हैं और तीन-चार साल बाद भूरे रंग के हो जाते हैं। इसकी पत्तियाँ पतली और चपटी होती हैं, जिनकी लंबाई 1.5 से 2.7 सेमी (cm) और चौड़ाई लगभग 2 मिमी (mm) होती है। इनका आकार हल्का दरांती जैसा होता है और इनके सिरे मुलायम होते हैं।
पत्तियाँ तनों पर सर्पिल रूप से लगती हैं, लेकिन उनके आधार मुड़े होते हैं, जिससे वे दो क्षैतिज पंक्तियों में दिखाई देती हैं। यह पौधा एकलिंगी होता है, यानी नर और मादा शंकु अलग-अलग पेड़ों पर विकसित होते हैं।
बीज शंकु अत्यधिक संशोधित होते हैं और बेरी जैसे दिखते हैं। इनमें केवल एक स्केल (शल्क) होता है, जो 1 सेमी व्यास के एक मुलायम और रसीले लाल अरील (फल जैसी संरचना) में बदल जाता है। इसके अंदर 7 मिमी लंबा गहरे भूरे रंग का बीज होता है। इसके पराग शंकु छोटे, गोलाकार और लगभग 4 मिमी व्यास के होते हैं। ये वसंत ऋतु की शुरुआत में टहनियों के निचले हिस्से पर उगते हैं।
यह प्रजाति कई तरह के आवासों में पाई जाती है। यह पर्वतीय (Montane), समशीतोष्ण (Temperare), गर्म समशीतोष्ण (Warm Temperate) और उष्णकटिबंधीय उप-पर्वतीय (Tropical Submontane) जंगलों में उगती है। इसके जंगल पर्णपाती, सदाबहार या मिश्रित प्रकृति के हो सकते हैं। जंगलों में यह आमतौर पर एक छोटे छतरी वाले पेड़ की तरह दिखती है, जबकि खुले क्षेत्रों में यह एक बड़ी और फैली हुई झाड़ी का रूप ले लेती है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 900 मीटर से 3,700 मीटर तक हो सकती है।

हिमालयन यू संकट में क्यों है ?
हिमालयन यू, एक बेहद कीमती पौधा है, लेकिन इसके औषधीय महत्व के कारण इसका अत्यधिक दोहन हो रहा है। यही वजह है कि यह प्रजाति अब गंभीर खतरे में है। इस पौधे से बनने वाली टैक्सोल (Taxol) दवा इतनी महत्वपूर्ण होती है, कि इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया गया है। यह दवा, जिसे पैक्लिटैक्सेल (Paclitaxel (PTX)) भी कहा जाता है, खासतौर पर कीमोथेरेपी (Chemotherapy) में इस्तेमाल होती है। इसे डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर, के इलाज में उपयोग किया जाता है।
पैक्लिटैक्सेल, टैक्सेन परिवार की दवा है, जिसे पहली बार 1971 में हिमालयन यू से निकाला गया था। बाद में, 1993 में इसे औषधीय उपयोग के लिए मंज़ूरी मिली। आज, इसकी बढ़ती मांग और अत्यधिक दोहन के कारण यह दुर्लभ होता जा रहा है। यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह प्रजाति पूरी तरह विलुप्त भी हो सकती है।

हिमालयन यू का संरक्षण कैसे करें ?
भारत के हिमालयी क्षेत्रों में हिमालयन यू की आबादी को सही तरीके से सूचीबद्ध करना ज़रूरी है। इसके लिए वैज्ञानिक और पारिस्थितिकीय तरीकों का इस्तेमाल होना चाहिए। इस पौधे की आबादी में हो रहे बदलावों पर नज़र रखने के लिए एक मज़बूत निगरानी योजना तैयार करनी होगी और इसे प्रभावी रूप से लागू करना होगा। इसके अलावा, इसकी छाल और पत्तियों के उपयोग के लिए ऐसे तरीके विकसित करने होंगे जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हों। इन तरीकों की जानकारी स्थानीय लोगों तक पहुंचाना भी जरूरी है, ताकि वे इसका सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें।
इस पौधे के बीज और वनस्पति से पुनर्जनन (Regeneration) की प्रक्रिया को बेहतर समझने के लिए और अधिक शोध की ज़रुरत है। प्रजाति के प्रचार में स्थानीय लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि वे इसके संरक्षण में योगदान दे सकें। हिमालयन यू के प्राकृतिक (इन-सीटू (In Situ)) संरक्षण को बढ़ावा देना चाहिए। इसके बीजों और कटिंग से तैयार किए गए पौधों को सही जगहों पर लगाया जाए तथा बढ़त और अस्तित्व पर नज़र रखी जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि यह प्रजाति आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/2dom9bpk
https://tinyurl.com/22xns6yw
https://tinyurl.com/2b8hc2jn
https://tinyurl.com/23uhcr3x
मुख्य चित्र: हिमालयन यू का एक पौधा (Wikimedia)