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निःसंदेह, मेरठ के कई लोगों ने अपने जीवन में कम से कम एक बार सरकारी स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, जिसे शहीद स्मारक भी कहा जाता है, ज़रूर देखा होगा। आप भी मानेंगे कि यह हमारे शहर का सबसे प्रसिद्ध संग्रहालय है।
अब जब हम संग्रहालयों की बात कर रहे हैं, तो एक सच्चाई यह भी है कि बिना तकनीक के आज के समय में संग्रहालयों का चलना बहुत मुश्किल हो गया है। तो आज हम समझेंगे कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) कैसे भारत में आधुनिक दर्शकों के लिए संग्रहालयों को फिर से दिलचस्प बना रहा है। इसके बाद, हम जानेंगे कि प्रधानमंत्री संग्रहालय को कला, इतिहास और तकनीक का एक बेहतरीन संगम क्यों माना जाता है। फिर हम यह देखेंगे कि, भारत के नए ज़माने के संग्रहालय किस तरह तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि लोग कुछ नया और अनोखा अनुभव कर सकें।
अंत में, हम दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध संग्रहालयों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने ए आई और सोशल मीडिया की मदद से अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है। इनमें राइक्सम्यूज़ियम (नीदरलैंड्स), द नेशनल गैलरी (यू के), मोंटेरे बे एक्वेरियम (यू एस ए) जैसे नाम शामिल हैं।
कैसे ए आई आधुनिक दर्शकों के लिए संग्रहालयों को फिर से दिलचस्प बना रहा है?
ए आई की मदद से संग्रहालय अब अपनी दीवारों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे ऑनलाइन भी लोगों तक पहुंच बना रहे हैं। व्यक्तिगत सुझाव, इंटरएक्टिव प्रदर्शनियां और वर्चुअल टूर जैसी सुविधाओं के कारण दर्शकों के लिए संग्रहालयों का अनुभव पहले से ज्यादा रोचक हो गया है। ए आई न केवल संग्रहालयों को दर्शकों के डेटा को समझने और बेहतर सुविधाएं देने में मदद करता है, बल्कि यह ऐतिहासिक वस्तुओं के रखरखाव और अलग-अलग दर्शकों के लिए सुगम्यता बढ़ाने में भी काम आता है।
अगर संग्रहालयों ने तकनीक, खासकर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को नहीं अपनाया होता, तो वे समय के साथ पुराने और बोरिंग लगने लगते। लेकिन अयोध्या का राम कथा संग्रहालय और प्रधानमंत्री संग्रहालय ने ए आई, ए आर (ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality)) और वि आर (वर्चुअल रियलिटी (Virual Reality)) जैसी तकनीकों का शानदार इस्तेमाल करके इसे और आकर्षक बना दिया है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय: कला, इतिहास और तकनीक का एक अनोखा मेल
नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय को खास बनाने में इमर्शन टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा योगदान है। इसकी झलक संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर मौजूद हवा में तैरता लोगो से ही मिल जाती है। यहाँ पर बहुभाषी ऑडियो गाइड सिस्टम दर्शकों को उनकी पसंदीदा भाषा में जानकारी देता है।
सबसे दिलचस्प हिस्सा ‘टाइम्स मशीन चेंबर’ है, जो लोगों को भारत के परमाणु इतिहास से रूबरू कराता है। इस संग्रहालय में वि आर, ए आर और रोबोटिक्स तकनीकों के ज़रिए, भारत के प्रधानमंत्रियों की ज़िंदगी और उनके विचारों को जीवंत रूप दिया गया है।
यहाँ के टच वॉल्स, टच स्क्रीन, ग्राफ़िक पैनल्स, प्रोजेक्शन मैपिंग, पुरालेख (आर्काइव्स) और इंटरएक्टिव गेम्स इसे न केवल एक देखने लायक संग्रहालय बनाते हैं, बल्कि इसे हर उम्र के दर्शकों के लिए एक अनोखा और यादगार अनुभव भी बना देते हैं।

कैसे भारत के आधुनिक संग्रहालय नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं?
आज के दौर में संग्रहालय सिर्फ देखने की जगह नहीं रह गए, बल्कि वे संस्कृति और इंटरएक्टिव अनुभवों का केंद्र बन गए हैं। खासकर युवाओं के लिए, ये तकनीक से जुड़कर उनके लिए सीखने और सांस्कृतिक विरासत को समझने का एक नया तरीका बन चुके हैं। 360-डिग्री पैनोरमिक तकनीक (360-Degree Panoramic Technology) और बेहतरीन एक्सपीरियंस (User Experience) के कारण अब संग्रहालयों का अनुभव पहले से कहीं अधिक रोमांचक और अनोखा हो गया है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली दर्शकों को कला, इतिहास और तकनीक का एक शानदार संगम देखने का मौका देता है। यह एक फ़्यूचरिस्टिक और हाई-टेक अनुभव प्रदान करता है, जिसमें भारत के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित अनोखी झलक देखने को मिलती है। 2023 में उद्घाटन किए गए इस संग्रहालय में आपको वास्तविक वस्तुओं ( कलाकृतियों), दृश्य-श्रव्य (विज़ुअल) प्रदर्शन, होलोग्राम्स, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी, मल्टी-टच स्क्रीन, मल्टीमीडिया, कीओस्क, कंप्यूटरीकृत काइनेटिक स्कल्पचर, स्मार्टफोन ऐप्स, इंटरएक्टिव स्क्रीन और अनुभवात्मक इंस्टॉलेशंस मिलते हैं, जो इसे और भी अनोखा बनाते हैं।
विरासत-ए-खालसा (Virasat-e-Khalsa), आनंदपुर साहिब, पंजाब एक ऐसा संग्रहालय है जहाँ कोई पारंपरिक कलाकृतियाँ (आर्ट ऑब्जेक्ट्स) नहीं रखे गए हैं। बल्कि, यह पूरी तरह से अनुभव-आधारित संग्रहालय है। यहाँ ध्वनि, दृश्य और संवेदनाओं का अनूठा मेल देखने को मिलता है, जिससे यह दिखाता है कि कैसे एक शानदार क्यूरेशन, बेहतरीन डिज़ाइन और अत्याधुनिक तकनीक के साथ मिलकर एक अविस्मरणीय अनुभव बना सकता है।
कैसे दुनिया के कुछ प्रसिद्ध संग्रहालयों ने ए आई और सोशल मीडिया से अपनी लोकप्रियता बढ़ाई?
आज के डिजिटल युग में, संग्रहालय सिर्फ इमारतों तक सीमित नहीं हैं। सोशल मीडिया और की ए आई मदद से वे दुनियाभर के दर्शकों तक पहुँच बना रहे हैं। आइए जानते हैं, कैसे कुछ मशहूर संग्रहालयों ने तकनीक और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर खुद को और भी प्रासंगिक बना लिया।
1.) राइक्सम्यूज़ियम (The Rijksmuseum (Netherlands)) – इस म्यूज़ियम ने टिकटॉक पर वायरल कैंपेन चलाए, जिनमें हास्य, कला शिक्षा और पर्दे के पीछे की झलक दिखाई गई। खासतौर पर डच कलाकृतियों को मज़ेदार तरीके से पेश करने वाले वीडियो ने लाखों दर्शकों को आकर्षित किया और युवा पीढ़ी को म्यूज़ियम से जोड़ा।
2.) ब्रिटिश म्यूज़ियम (British Museum (UK)) – यह म्यूज़ियम इंस्टाग्राम पर अपनी क्रिएटिव पोस्ट्स के लिए जाना जाता है। उन्होंने कैरोसेल पोस्ट्स के जरिए छोटी-छोटी मगर रोचक जानकारियां साझा कीं। इन पोस्ट्स में ऐतिहासिक वस्तुओं की झलक, दिलचस्प कहानियां और इंटरएक्टिव सवाल-जवाब शामिल होते हैं, जिससे दर्शकों की भागीदारी बढ़ती है।
3.) नेशनल गैलरी (National Gallery (UK)) – इस म्यूज़ियम ने यूट्यूब को अपनाया और लंबी अवधि वाले शैक्षिक वीडियो तैयार किए। इनमें कला विशेषज्ञों के टूर और प्रसिद्ध कलाकृतियों की गहन व्याख्या शामिल है। उनकी उच्च-गुणवत्ता वाली वीडियो सामग्री आम दर्शकों के साथ-साथ कला प्रेमियों को भी आकर्षित करती है।
4.) मोंटेरे बे एक्वेरियम (Monterey Bay Aquarium (USA) – यह एक्वेरियम सोशल मीडिया पर, खासकर ट्विटर पर, बेहद लोकप्रिय हुआ। उनके मज़ेदार और ज्ञानवर्धक ट्वीट्स कई बार वायरल हुए हैं। वे समुद्री जीवन से जुड़ी रोचक बातें हास्य के साथ पेश करते हैं, जिससे न केवल लोग मनोरंजन करते हैं बल्कि संरक्षण के महत्व को भी समझते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय, मुंबई के आंतरिक दृश्य का स्रोत : Wikimedia