मेरठ में ट्रैफ़िक जाम कम करने के लिए स्कॉटलैंड की रणनीतियाँ हैं कितनी कारगर ?

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
02-04-2025 09:20 AM
Post Viewership from Post Date to 03- May-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
3039 60 0 3099
* Please see metrics definition on bottom of this page.
मेरठ में ट्रैफ़िक जाम कम करने के लिए स्कॉटलैंड की रणनीतियाँ हैं कितनी कारगर ?

मेरठ में ट्रैफ़िक जाम एक गंभीर समस्या बन गया है। तंग सड़कें और बढ़ते वाहन अक्सर जाम की स्थिति पैदा कर देते हैं, जिससे लोगों को देरी, प्रदूषण और रोज़मर्रा के तनाव का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए भारतीय सरकार कई उपायों पर काम कर रही है। जैसे सड़कें चौड़ी करने, फ्लाईओवर बनाने और बेहतर ट्रैफ़िक सिग्नल्स के निर्माण जैसे प्रोजेक्ट्स से गाड़ियों का आना-जाना आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही, सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भी बढ़ावा दे रही है, ताकि ट्रैफ़िक और प्रदूषण दोनों कम हो सके। इन प्रयासों से लोगों का सफ़र आसान और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

आज हम 2024-25 में भारत के उन शहरों के बारे में जानेंगे, जहाँ सबसे धीमा ट्रैफ़िक है और जाम की समस्या सबसे ज़्यादा देखी जा रही है। फिर, हम जानेंगे कि भारत में ट्रैफ़िक जाम के मुख्य कारण क्या हैं और इस समस्या का हल क्या हो सकता है, जैसे बेहतर सड़क योजना और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बढ़ाना। अंत में, हम यह भी देखेंगे कि भारतीय सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने और पूरे देश में बेहतर कनेक्टिविटी बनाने के लिए क्या कदम उठा रही है।

2024-25 में भारत के सबसे धीमे ट्रैफ़िक वाले शहर

शहरीकरण की तेज़ रफ्तार और बढ़ते विकास के साथ ट्रैफ़िक जाम एक बड़ी वैश्विक समस्या बन गई है। दुनिया भर में लोग अधिक समय तक यात्रा करने की वजह से प्रभावित हो रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है और लोगों में निराशा बढ़ रही है। टॉम्स ट्रैफ़िक इंडेक्स 2024 (Tom’s Traffic Index 2024) के अनुसार, पिछले एक साल में 76% शहरों में औसत गति में गिरावट आई है।

चित्र स्रोत : wikimedia 

सड़कों का लेआउट (Layout)—जिसमें हाईवे (highway), मुख्य सड़कें, तंग गली, एकतरफ़ा सड़के और जटिल चौराहे शामिल हैं—इसके साथ ही अप्रत्याशित घटनाएँ जो ट्रैफ़िक फ्लो (traffic flow) को प्रभावित करती हैं, ने दुनिया भर में यातायात को बहुत धीमा कर दिया है।

आइए डालते हैं, वैश्विक रैंकिंग पर नज़र 

दुनिया भर में, कोलंबिया का शहर बरांक्विला(Barranquilla) पिछले साल सबसे धीमी औसत गति के लिए रिकॉर्ड में आया, जिसकी औसत गति केवल 10.3 मील प्रति घंटा थी, यानी लगभग 35 मिनट में 6 मील की दूरी तय की जा रही थी। लंदन, जो पहले वैश्विक और यूरोपीय रैंकिंग में शीर्ष पर था, अब पांचवे स्थान पर आ गया है, जहां औसत गति 11.2 मील प्रति घंटा दर्ज़ की गई है।

रतन लाल मार्केट, पहाड़गंज, नई दिल्ली में ट्रैफ़िक जाम | चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत में ट्रैफ़िक की स्थिति

पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय शहरों में ट्रैफ़िक की समस्याएँ और बढ़ गई हैं | खासतौर पर, भारत के तीन शहर टॉम टॉम ट्रैफ़िक इंडेक्स (Tom Tom Traffic Index 2024) में दुनिया के पांच सबसे धीमे शहरों में शामिल हो गए हैं।

भारत के आई टी (IT) राजधानी, बेंगलुरु, जो सबसे अधिक जाम के लिए प्रसिद्ध है, पिछले साल की तुलना में 10 किलोमीटर की यात्रा में 50 सेकंड का इज़ाफ़ा हुआ है, अब 34 मिनट और 10 सेकंड में 10 किलोमीटर की यात्रा होती है। हालांकि, यह शहर अब कोलकाता से पीछे है, जहाँ औसत समय 10 किलोमीटर के लिए 34 मिनट और 33 सेकंड है।

बेंगलुरु में ट्रैफ़िक जाम बढ़ने की वजह निजी गाड़ियों की संख्या में वृद्धि है। अब सड़कों पर 2.5 मिलियन से अधिक कारें हैं, जो दिल्ली से भी ज़्यादा हैं। हर दिन 2,000 नए वाहन पंजीकरण होते हैं, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर और दबाव बढ़ता है।

चित्र स्रोत : wikimedia 

पुणे चौथे स्थान पर है, जहां औसत समय 33 मिनट और 27 सेकंड है, यह भारत में बढ़ती शहरी ट्रैफ़िक समस्याओं को दिखाता है। हैदराबाद, जो वैश्विक स्तर पर 18वें स्थान पर है, औसतन 31 मिनट और 30 सेकंड में 10 किलोमीटर की यात्रा करता है, और इसके चलते लोग हर साल 85 घंटे जाम में बर्बाद करते हैं। चेन्नई, जो 31वें स्थान पर है, वहां 10 किलोमीटर की यात्रा में औसतन 30 मिनट और 20 सेकंड लगते हैं, यानी हर साल 94 घंटे ट्रैफ़िक में बर्बाद होते हैं।

भारत में ट्रैफ़िक जाम के कारण

भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारतीयों की औसत आय में बढ़ोतरी के साथ ही निजी वाहनों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है।

हालाँकि भारत में सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है, लेकिन यह देश की विशाल जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं है। खासकर मेट्रो शहरों में अक्सर सार्वजनिक परिवहन सेवाएँ भीड़-भाड़ से भरी होती हैं। इस कारण लोग शांति से यात्रा करने के लिए अपने निजी वाहनों का उपयोग कर रहे हैं, और नतीजतन, सड़कों पर अधिक वाहन आ रहे हैं।

  • पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह ना होना, भारत में ट्रैफ़िक जाम का एक प्रमुख कारण है। पार्किंग की कमी के कारण लोग अपनी गाड़ियाँ इमारतों के सामने पार्क करने के लिए मज़बूर हो जाते हैं, जिससे सड़कों पर अतिक्रमण होता है और सड़कों का इस्तेमाल कम हो जाता है।
  • सड़क की खराब गुणवत्ता भी एक बड़ा कारण है। अक्सर खराब सड़कें मरम्मत के कारण सड़कों के उपयोग में कमी लाती हैं, जिससे ट्रैफ़िक का प्रवाह धीमा हो जाता है।
  • ट्रैफ़िक नियमों का ठीक से पालन न होना भी भारत में ट्रैफ़िक जाम का एक कारण है। अगर ट्रैफ़िक नियमों का पालन सही तरीके से नहीं किया जाता है, तो यह और भी समस्याएँ उत्पन्न करता है।
  • कई जगहों पर फुटपाथ की कमी के कारण पैदल चलने वाले लोग सड़कों के किनारे चलने को मज़बूर होते हैं, जिससे ट्रैफ़िक की समस्या और बढ़ जाती है।
  • आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असमानता और रोज़गार के अवसरों का निर्माण केवल कुछ क्षेत्रों में ही होने के कारण मेट्रो शहरों में जनसंख्या घनत्व बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, मेट्रो शहरों में अधिक ट्रैफ़िक जाम होता है, क्योंकि अधिक लोग इन शहरों में काम करने और रहने के लिए आते हैं।

भारत में ट्रैफ़िक जाम के समाधान और कैसे स्कॉटलैंड की रणनीतियों हो सकती हैं प्रेरणादायक

स्कॉटलैंड ने ट्रैफ़िक जाम और प्रदूषण को कम करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। ये कदम भारत में भी लागू किए जा सकते हैं, ताकि ट्रैफ़िक की समस्या को सुलझाया जा सके। आइए जानते हैं स्कॉटलैंड की उन रणनीतियों के बारे में, जिन्हें भारत में लागू किया जा सकता है:

चित्र स्रोत : wikimedia 

1. कार ट्रैफ़िक कम करने के लिए एक मार्गदर्शन योजना (Car Traffic Reduction Route Map)

स्कॉटलैंड ने 20% तक कार ट्रैफ़िक को कम करने के लिए एक मार्गदर्शन योजना बनाई है। इसका उद्देश्य कारों के उपयोग को कम करना है, क्योंकि कारों से होने वाले प्रदूषण के कारण वातावरण पर बुरा असर पड़ता है।

भारत में कैसे लागू कर सकते हैं:

  • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना: मेट्रो, बस, और ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर, इनका उपयोग बढ़ाना, ताकि लोग अपनी निजी गाड़ियों का कम इस्तेमाल करें।
  • सड़क शुल्क (Road Pricing): प्रमुख शहरों में सड़क शुल्क लगाना, ताकि लोग सार्वजनिक परिवहन का विकल्प चुनें और ट्रैफ़िक कम हो।
चित्र स्रोत : wikimedia 

2. बस पार्टनरशिप फ़ंड (Bus Partnership Fund)

स्कॉटलैंड ने यह योजना बनाई थी कि वह 500 मिलियन पाउंड का निवेश करेंगे ताकि बसों को प्राथमिकता दी जा सके। इसका उद्देश्य बसों को ट्रैफ़िक से बचाना था, ताकि लोग आराम से यात्रा कर सकें।

भारत में कैसे लागू कर सकते हैं:

  • बसों के लिए प्राथमिकता वाली लेन (Bus Priority Lanes): शहरों में अलग बस लेन बनाना ताकि बसें बिना रुकावट के चल सकें।
  • बसों की सेवाओं में सुधार: अधिक बसें चलाना और यात्रियों के लिए आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करना।

3. सक्रिय यात्रा (Active Travel) को बढ़ावा देना

स्कॉटलैंड ने सक्रिय यात्रा के लिए बजट बढ़ाया, जिसमें साइकिल और पैदल यात्रा को बढ़ावा दिया गया। इसका उद्देश्य प्रदूषण कम करना और ट्रैफ़िक को घटाना था।

भारत में कैसे लागू कर सकते हैं:

  • साइकिल ट्रैक (Cycle Tracks): भारत में साइकिल के लिए विशेष ट्रैक बनाना ताकि लोग साइकिल से यात्रा करें।
  • पैदल यात्रा के रास्ते (Pedestrian Walkways): पैदल चलने के लिए सुरक्षित रास्ते बनाना ताकि लोग सड़क पर नहीं चलें, जिससे ट्रैफ़िक कम होगा।

4. सार्वजनिक परिवहन के लिए समान किराया (Flat-fare Ticketing)

स्कॉटलैंड ने सार्वजनिक परिवहन के लिए एक समान किराया प्रणाली बनाई, ताकि यह अधिक सुलभ और किफ़ायती हो।

भारत में कैसे लागू कर सकते हैं:

  • सार्वजनिक परिवहन के किराए को सस्ता करना: खासकर छोटे शहरों और कस्बों में सार्वजनिक परिवहन को सस्ता बनाना ताकि लोग अपनी निजी गाड़ियाँ छोड़कर इनका उपयोग करें।
  • एक ही टिकट प्रणाली: मेट्रो, बस और ट्रेन के लिए एक ही टिकट प्रणाली लागू करना ताकि यात्रियों को बार-बार टिकट न खरीदना पड़े।
चित्र स्रोत : wikimedia 

5. नई सड़कों का निर्माण रोकना (Halt All Road-building Programmes)

स्कॉटलैंड ने यह पाया कि नई सड़कें बनाने से ट्रैफ़िक बढ़ता है, क्योंकि ज़्यादा सड़कें उपलब्ध होने पर गाड़ियों की संख्या भी बढ़ जाती है। इसलिए उन्होंने नए सड़क निर्माण पर रोक लगाने का फैसला किया।

भारत में कैसे लागू कर सकते हैं:

  • नई सड़कों का निर्माण कम करना: नए सड़कों का निर्माण करने के बजाय, पुरानी सड़कों को सुधारना और उनका सही इस्तेमाल करना।
  • स्मार्ट सड़कों का निर्माण: आधुनिक तकनीकी उपायों के जरिए सड़कों को स्मार्ट और ट्रैफ़िक के हिसाब से डिज़ाइन करना, ताकि यातायात सुचारू रूप से चल सके और ट्रैफ़िक जाम कम हो।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय संपर्क को मज़बूत करने के लिए उठाए गए कदम

भारत में सड़कों पर लगभग 260 मिलियन दो-पहिया वाहन और 50 मिलियन कारें हैं। देश की जनसंख्या के हिसाब से हर 1000 लोगों में 185 दो-पहिया वाहन और 34 कारें हैं। दुनिया में, भारत में प्रति 1000 लोगों पर कारों की संख्या कम है, लेकिन दो-पहिया वाहनों की संख्या बहुत अधिक है। जर्मनी और यूके जैसे विकसित देशों में कारों की संख्या ज़्यादा होती है, जबकि भारत और श्रीलंका जैसे देशों में दो-पहिया वाहनों की संख्या अधिक देखने को मिलती है।

1. रेलवे नेटवर्क: वर्तमान में, भारतीय रेलवे नेटवर्क 68,103 किलोमीटर लंबा है, जो 2014 में 65,810 किलोमीटर था। भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। रेलवे के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए भारतीय सरकार ने 2.55 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया है।इसके अलावा, सरकार तीन प्रमुख रेलवे गलियारों का निर्माण करने की योजना बना रही है:

  • ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा
  • बंदरगाहों से संपर्क सुधारना।
  • व्यस्त रेलवे मार्गों के गलियारों का निर्माण

इन योजनाओं से देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

2. सड़क नेटवर्क: भारत में सड़क नेटवर्क की लंबाई लगभग 66.71 लाख किलोमीटर है, जो दुनिया में दूसरे स्थान पर है। भारत के सड़क नेटवर्क को तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है:

  • राष्ट्रीय राजमार्ग: 1,46,145 किलोमीटर
  • राज्य राजमार्ग: 1,79,535 किलोमीटर
  • अन्य सड़कें: 63,45,403 किलोमीटर
दिल्ली-मेरठ-एक्सप्रेस-हाईवे | चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में एक विशेष योजना बनाई है, जिसके तहत 2014-15 से लेकर 2023-24 तक राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को 60% बढ़ाया गया है। 2023 में यह नेटवर्क 1,46,145 किलोमीटर तक पहुंच चुका है।

3. टोलिंग व्यवस्था: भारत में बढ़ते सड़क नेटवर्क और यातायात को ध्यान में रखते हुए, टोल प्रबंधन और स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स (Smart Transportation System) को बेहतर बनाया जा रहा है। भारतीय हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (IHMCL) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) FASTag के माध्यम से अब टोल का भुगतान डिजिटल तरीके से किया जा सकता है, जिससे यात्रा करना और भी आसान हो गया है।

4. मेट्रो नेटवर्क: 2023 तक, भारत के 20 शहरों में लगभग 874 किलोमीटर मेट्रो रेल चल रही है और 986 किलोमीटर मेट्रो का निर्माण जारी है। भारत जल्द ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बना लेगा, जिससे यातायात और कनेक्टिविटी में और सुधार होगा।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/44jhvbdj 

https://tinyurl.com/mtxerdu5 

https://tinyurl.com/ehw7aenv 

https://tinyurl.com/sd5p74kz 
 

मुख्य चित्र: मेरठ साउथ आर आर टी एस (RRTS) स्टेशन बोर्ड (Wikimedia)