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कोई भी कपड़ा या वस्त्र ब्रांड, अपने अद्वितीय मूल्य प्रस्ताव को संप्रेषित करते हुए, प्रतियोगियों से खुद को अलग करके, बाज़ार में अपनी वांछित स्थिति को स्थापित करने हेतु विज्ञापनों का लाभ उठाते हैं। यह संदेश, लक्षित अभियानों और रणनीतिक मीडिया विकल्पों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह जानना आश्चर्यजनक तथ्य नहीं होगा कि, मेरठ के कई नागरिकों ने टाटा चाय द्वारा ‘जागो रे’ और बिबा द्वारा ‘परिवर्तन (Change)’ जैसे विज्ञापन देखे होंगे। इसलिए आज हम, किसी ब्रांड की विपणन और पोज़िशनिंग के बीच, बुनियादी अंतर को समझकर लेख को शुरू करेंगे। फिर, हम इस बात पर कुछ प्रकाश डालेंगे कि, ब्रांड पोज़िशनिंग (Positioning), उपभोक्ताओं को किसी ब्रांड को चुनने में कैसे मदद करती है। अंत में, हम कुछ भारतीय ब्रांडों के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने उद्देश्य-संचालित ब्रांड कंटेंट (Brand Content) के साथ एक छाप छोड़ी है।
मार्केटिंग और ब्रांड पोज़िशनिंग के बीच मौजूद अंतर:
ब्रांडिंग (Branding) शब्द, एक मूल ब्रांड छवि बनाने के लिए अद्वितीय लोगो, टैगलाइन या नारा बनाने को संदर्भित करता है। आप किसी भी ब्रांड के लोगो एवं नारे के बारे में सोच सकते हैं। ये दो तत्व, किसी भी कंपनी के लिए अद्वितीय होते हैं, और तुरंत पहचानने योग्य होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य, ग्राहकों के दिमाग में ब्रांड की एक विशिष्ट छवि या विचार बनाना है। उदाहरण के लिए, इससे अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में, अपनी कंपनी के उत्पादों को अधिक व्यावहारिक रूप से स्थान देने का प्रयास किया जाता है।
ब्रांड पोज़िशनिंग, उपभोक्ताओं को एक ब्रांड को दूसरे ब्रांड पर चुनने में, कैसे मदद करती है?
1.प्रासंगिकता:
कोई उत्पाद या सेवा, जितनी अधिक विशिष्ट और प्रासंगिक होती है, उतना ही अधिक मौका है कि, उसे ग्राहक द्वारा चुना जाएगा। प्रासंगिक ब्रांड, अपने मस्तिष्क में डोपामीन या इनाम प्रणाली (Dopamine or Reward system) से बेहतर तरीके से जुड़ते है, जो हमारे व्यवहार को दृढ़ता से प्रभावित करती है।
2.सुसंगतता:
ब्रांडिंग प्रयास जितने अधिक समन्वित होते है, ब्रांड को उतना अधिक चुना जाएगा। सुसंगत ब्रांडिंग का मतलब – निरन्तर वर्षों में और सभी ग्राहकों तक एक ही संदेश को दोहराना, है। यह हमारे मस्तिष्क के लिए, ब्रांड को पुनः प्राप्त करना और प्रतिस्पर्धा में अंततः विजेता बनाता है।
3.भागीदारी:
ग्राहकों के लिए बनाया गया ब्रांडिंग वातावरण, जितना अधिक संवादात्मक है, उतनी ही अधिक संभावना है कि, ब्रांड को हमारे द्वारा चुना जाएगा। हमारा मस्तिष्क संवादात्मक वातावरण के जवाब में, नए कोशिका संयोजन बनाता है, जो किसी ब्रांड को चिरस्मरणीय बनाते हैं।
कुछ भारतीय ब्रांड, जिन्होंने उद्देश्य-चालित ब्रांड कंटेंट के साथ एक छाप छोड़ी:
1.) जागो रे (Jaago Re) – टाटा चाय (Tata Tea):
2007 में टाटा चाय ने, सुबह की चाय एवं सामाजिक परिवर्तन को ‘जागो रे’ नारे के साथ जोड़ा, और दिखाया कि वास्तव में जागने का क्या मतलब है। फिर इसके टेलीविज़न वाणिज्यिक विज्ञापन बनाए गए, जिसमें जागृत आम नागरिक बदलाव लाते हुए चित्रित किए गए। इस अभियान ने मतदान के महत्व और भ्रष्टाचार को जड़ से बाहर करने की आवश्यकता को भी छुआ।
2.) परिवर्तन (Change) – बीबा(Biba):
इस अभियान में रोज़मर्रा की जिंदगी से, विचार-उत्तेजक घटनाएं थी, जो विवाह, सौंदर्य और लिंग के संदर्भ में पारंपरिक मानदंडों में परिवर्तन को दर्शाती हैं। यह अभियान परिवर्तन के बारे में बात करता है, जो प्रगति के लिए सुंदर और पर्यायवाची है।
3.) अपने दोष को गर्व से दिखाओ (Flanunt Your Flaw) – टाइटन रागा (Titan Raga) :
टाइटन रागा का यह विज्ञापन पूर्णता के बारे में बात करता है। इस ब्रांड ने अपने विज्ञापन में “शारीरिक खामियों” के साथ वास्तविक महिलाओं को, ‘अपने दोष को फ्लॉन्ट करें’ के नारे के साथ प्रकट किया। यह विज्ञापन, ब्रांड की टैगलाइन – ‘खुद से नया रिश्ता’ का हिस्सा है। यह महिलाओं को उनके शरीर के हर हिस्से को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो पारंपरिक सौंदर्य मानकों को पूरा नहीं करती हैं।
कुछ लोकप्रिय भारतीय ब्रांड, जिन्होंने खुद को स्थिर करने हेतु, लिए विज्ञापन का लाभ उठाया:
1.) अमूल का होर्डिंग अभियान (Amul's Hoarding Campaign):
अमूल, आज भी नवीनतम रुझानों पर व्यंग चित्र का उपयोग करता है, और दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हुए, अपने उत्पादों के साथ उन्हें सहजता से संबंधित करता है। यह न केवल, इस कंपनी द्वारा पेश किए गए उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला को उजागर करता है, बल्कि दर्शकों के दिमाग में भी छाया रहता है।
2.) तनिष्क का ‘एक नई सुबह’ अभियान (Tanishq’s ‘Ek Nayi Subah’ Campaign):
तनिष्क का यह अभियान, कामकाजी महिलाओं पर केंद्रित था, तथा इसने आत्म-प्रेम और आत्म-देखभाल की आवश्यकता का स्पष्ट संदेश भेजा। इस अभियान ने उनके पेशे और निजी जीवन के संयोजन में, महिलाओं की वास्तविक कहानियों पर ध्यान केंद्रित किया।
3.) सर्फ़ एक्सेल के ‘दाग अच्छे हैं’ अभियान (Surf Excel’s ‘Daag Acche Hain’ Campaign):
इस अभियान ने यह दिखाने पर ध्यान केंद्रित किया कि कि कैसे, बच्चों ने दूसरों की मदद करते हुए, अपने कपड़े गंदे कर दिए । इस अभियान में दागों को एक नकारात्मक संकेत के बजाय, अच्छे कामों के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया।
4.) टाइड का ‘लोड करा डाला’ अभियान (Tide’s ‘Load Kara Dala’ Campaign):
यह अभियान, एक ऐसी रणनीति थी, जिसमें हास्य और सापेक्षता का उपयोग किया गया था। इस अभियान के विज्ञापनों ने, कपड़े धोने की कठिनाई को प्रदर्शित किया। फिर, टाइड को उस ब्रांड के रूप में प्रदर्शित किया गया, जो कपड़े धोने की दैनिक खिन्नता को दूर कर सकता है।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : प्रारंग चित्र संग्रह