डेंगू से बचने के इन उपायों को जानकर, मेरठ के अस्पतालों को दबाव मुक्त किया जा सकता है !

बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ, क्रोमिस्टा और शैवाल
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डेंगू से बचने के इन उपायों को जानकर, मेरठ के अस्पतालों को दबाव मुक्त किया जा सकता है !

अक्टूबर 2023 की एक शाम, मेरठ के एक अस्पताल में भारी अफ़रा-तफ़री मची हुई थी। मरीज़ों से भरी स्ट्रेचर इधर-उधर दौड़ रही थीं, डॉक्टर और नर्सें लगातार मरीज़ों के इलाज में जुटे थे! कहीं पर मरीज़ों को दवा दी जा रही थी, तो कहीं पर उनका ब्लड टेस्ट किया जा रहा था। इनमें से कई मरीज़ डेंगू (Dengue) के घातक दंश से जूझ रहे थे!  उस समय, डेंगू मेरठ समेत कई शहरों में तेज़ी से फैल रहा था। बुख़ार से तपते बच्चे, चिंता में डूबे माता-पिता और मरीज़ों से भरे वार्ड... यह नज़ारा किसी का भी दिल दहला सकता था। आंकड़ों के अनुसार 2023  में, उत्तर प्रदेश में 13,000 से ज़्यादा डेंगू के मामले दर्ज हो चुके थे, और पूरे भारत में यह संख्या 2,89,000 से भी अधिक हो गई थी। इस दौरान, कई मासूमों की जान भी चली गई थी। हालांकि इस दृश्य की तुलना हम आज से करें तो स्थिति में काफ़ी हद तक सुधार आ चुका है! लेकिन आज भी डेंगू को हल्के में नहीं लिया जा सकता! यह एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ एजिप्टी (Aedes aegypti) नामक मच्छर के काटने से फैलता है। संक्रमण की शुरुआत में हल्का बुख़ार और बदन दर्द महसूस होता है, लेकिन कई मामलों में यह बीमारी जानलेवा बन सकती है। मरीज़ों को प्लेटलेट्स कम होने,  रक्तस्राव और ऑर्गन  फ़ेलियर जैसी खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। आज के इस लेख में हम डेंगू के लक्षणों को पहचानेंगे और जानेंगे कि यह हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है! साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इसका इलाज कैसे किया जाता है। इसके अलावा हम यह भी समझेंगे कि इससे बचने के लिए कौन-कौन से उपाय ज़रूरी हैं।

डेंगू बुखार के लक्षण | चित्र स्रोत : Wikimedia 

डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडीज़ एजिप्टी नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से फैलती है। कुछ मामलों में, एडीज़ एल्बोपिक्टस प्रजाति के मच्छर भी इसे फैला सकते हैं। 
क्या डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है ?
डेंगू आमतौर पर सीधे इंसान से इंसान में नहीं फैलता, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका संक्रमण संभव हो सकता है! जैसे कि गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय, यदि माँ संक्रमित हो, तो डेंगू वायरस शिशु में पहुँच सकता है। इसके अलावा यह बीमारी ब्लड  ट्रांसफ़्यूज़न (रक्त आधान), अंग प्रत्यारोपण या संक्रमित सुई के इस्तेमाल से भी फैल सकती है, लेकिन ऐसे मामले बहुत कम होते हैं।

आइए अब डेंगू के लक्षणों को समझते हैं?
डेंगू के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो सतर्क रहें:

  • तेज़ बुख़ार (लगभग 40°C या 104°F)
  • सिर में तेज़ दर्द
  • आँखों के पीछे दर्द
  • मतली और उल्टी
  • लसीका ग्रंथियों (लिम्फ़ नोड्स) में सूजन
  • शरीर पर लाल चकत्ते
  • मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों में तेज़ दर्द, जिसे इतना गंभीर माना जाता है कि डेंगू को ‘ब्रेकबोन फ़ीवर’ भी कहा जाता है।

अगर आपको ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और उचित इलाज करवाएँ। डेंगू का सही समय पर इलाज बहुत ज़रूरी है!  डेंगू दो प्रकार (हल्का डेंगू और गंभीर डेंगू) का हो सकता है।

डेंगू बुखार के लक्षण | चित्र स्रोत : Wikimedia 

आइए जानते हैं कि इन दोनों स्थितियों में क्या करना चाहिए।

हल्का डेंगू: घर पर कैसे देखभाल करें?

  • पर्याप्त तरल पदार्थ लें – डेंगू के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे ज़रूरी होता है। इस दौरान मरीज़ को ख़ूब पानी, नारियल पानी, ओ आर एस (ORS), और इलेक्ट्रोलाइट्स वाले पेय पीने चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) नहीं होगी और रिकवरी तेज़ी से होगी।
  • बुख़ार और दर्द से राहत – यदि मरीज़ को बुख़ार या शरीर में दर्द हो, तो पैरासिटामोल (एसिटामिनोफ़ेन) सबसे सुरक्षित दवा हो सकती है। लेकिन ध्यान रखें! एस्पिरिन, इबुप्रोफ़ेन या अन्य एन एस एआई डी (NSAIDs) का इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये ख़ून बहने  का ख़तरा बढ़ा सकते हैं।
  • लक्षणों पर नज़र रखें – अगर मरीज़ को तेज़ पेट दर्द, लगातार उल्टी, तेज़ साँसें, मसूड़ों से ख़ून आना, थकान, बेचैनी या मल/उल्टी में ख़ून दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ये गंभीर डेंगू के संकेत हो सकते हैं!

गंभीर डेंगू: अस्पताल में इलाज की ज़रूरत क्यों?

  • आई वी (IV) फ़्लूइड थेरेपी – शरीर में पानी और ज़रूरी खनिजों (इलेक्ट्रोलाइट्स) की कमी को पूरा करने के लिए, डॉक्टर मरीज़ को आई वी (IV) तरल पदार्थ (ड्रिप) देते हैं। कुछ मामलों में ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
  • ऑक्सीजन थेरेपी – अगर मरीज़ को साँस लेने में परेशानी हो या शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो, तो उसे ऑक्सीजन दी जाती है ताकि शरीर सुचारू रूप से काम कर सके।
  • प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूज़न (Platelet Transfusions) – जब प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते हैं और ख़ून बहने लगता है, तो मरीज़ को प्लेटलेट चढ़ाने (ट्रांसफ्यूज़न) की ज़रूरत पड़ सकती है।
  • ब्लड प्रेशर और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों की निगरानी – मरीज़ का ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और अन्य स्वास्थ्य संकेत लगातार मॉनिटर किए जाते हैं ताकि किसी भी जटिलता को समय रहते संभाला जा सके।

डेंगू जैसी गंभीर बीमारी को रोकने के लिए भारत सरकार भी लगातार प्रभावी क़दम उठा रही है।  सरकार का मुख्य उद्देश्य न केवल डेंगू की समय पर पहचान और इलाज सुनिश्चित करना है, बल्कि इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाना भी है। 

डेंगू बुखार के चकत्ते | चित्र स्रोत : Wikimedia 

आइए जानते हैं कि सरकार इसके लिए क्या-क्या कर रही है।

  1. मुफ़्त डायग्नोस्टिक किट की उपलब्धता: सरकार यह सुनिश्चित करती है कि सेंटिनल सर्विलांस हॉस्पिटल (SSH) और एडवांस्ड रिसर्च लैब (ARL) में डेंगू की जाँच के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हों। इसके लिए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के तहत राज्यों को सहायता दी जाती है।
  2. मानक जाँच प्रक्रिया: सभी राज्यों में IgM MAC ELISA टेस्ट किट उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि जाँच की एकरूपता बनी रहे। यह सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे के माध्यम से दी जाती है और इसकी पूरी लागत भारत सरकार वहन करती है।
  3. एडवांस प्लानिंग से पहले से तैयारी: सरकार 2007 से ही पहली तिमाही में डेंगू और चिकनगुनिया के संभावित मामलों का अनुमान लगाकर राज्यों को जाँच किट उपलब्ध कराती है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बफ़र स्टॉक (buffer stock) भी तैयार रखा जाता है।
  4. प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान: डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों को लागू किया जाता है। किसी भी प्रकोप या अचानक बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए कार्यक्रम प्रबंधकों को प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे प्रभावी ढंग से स्थिति को संभाल सकें।
  5. आर्थिक सहायता से मज़बूत रणनीति: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission (NHM)) के तहत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को डेंगू और चिकनगुनिया नियंत्रण गतिविधियों के लिए बजट सहायता दी जाती है, जिससे रोकथाम और उपचार की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।

हालाँकि सरकार के प्रयास तभी सफल होंगे जब आम जनता भी अपनी भूमिका निभाए। इसलिए, साफ़-सफ़ाई रखें, मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाएँ और डेंगू की रोकथाम में सहयोग दें। सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें!

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/29vmeh9m 

https://tinyurl.com/235q5nff  

https://tinyurl.com/ya47sxvh 

https://tinyurl.com/2cydr45u

मुख्य चित्र में त्वचा पर काटते मच्छर का स्रोत : wikimedia