जानिए कैसे कच्ची उम्र में नई भाषाएँ सीखने से मेरठ के बच्चों का भविष्य संवर सकता है!

ध्वनि II - भाषाएँ
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जानिए कैसे कच्ची उम्र में नई भाषाएँ सीखने से मेरठ के बच्चों का भविष्य संवर सकता है!

क्या आप यक़ीन करेंगे कि सिर्फ़ एक नई भाषा सीखने से आपके बच्चों के लिए आजीविका में अनगिनत संभावनाएं खुल सकती हैं? मेरठ जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर में, जहां विविध भाषाएँ और बोलियाँ जीवन का हिस्सा हैं, बहुभाषी शिक्षा बच्चों के लिए किसी अनमोल उपहार से कम नहीं! दरअसल, नई भाषाओं का ज्ञान होने से न केवल आपस में संवाद करना आसान हो जाता है, बल्कि यह कई अन्य लाभ भी देता है। इससे बच्चों की याददाश्त तेज़ होती है, उनकी सृजनात्मक और तार्किक सोच निखरती है और वे नई संस्कृतियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनते हैं। मेरठ के कई स्कूलों में हिंदी, अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाएँ पढ़ाई जाती हैं, जिससे छात्र भाषाई रूप से सक्षम होने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी विकसित होते हैं।

चित्र स्रोत : pxhere

इतना ही नहीं! वैश्विक स्तर पर संवाद करने की क्षमता उनके रोज़गार के नए द्वार भी खोलती है। इससे न केवल उनकी निर्णय लेने और समस्या सुलझाने की क्षमता मज़बूत होती है, बल्कि वे अधिक खुले विचारों वाले, आत्मविश्वासी और जागरूक नागरिक भी बनते हैं। इसलिए आज के इस लेख में, हम मेरठ के संदर्भ में बहुभाषी शिक्षा के महत्व को जानेंगे। साथ ही, हम भारत में बहुभाषावाद के फ़ायदों जैसे संज्ञानात्मक विकास, सांस्कृतिक समझ और आर्थिक लाभों पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, हम यह भी देखेंगे कि भारत सरकार द्वारा भाषाई विविधता को बढ़ावा देने के प्रयास, भविष्य में हमारे बच्चों के जीवन को कैसे प्रभावित करेंगे।
भारत की पहचान उसकी भाषाई विविधता से जुड़ी है। संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा दिया गया है, लेकिन इसके अलावा पूरे देश में सैकड़ों क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाएँ बोली जाती हैं। यही विविधता भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक अनूठा स्वरूप देती है।

  • बचपन में भाषा का महत्व: स्कूल के शुरुआती साल, बच्चे के बौद्धिक विकास में अहम् भूमिका निभाते हैं। इस दौरान बच्चे को पढ़ने, लिखने और गणितीय कौशल (FLN) विकसित करने होते हैं। शोध बताते हैं कि छह साल की उम्र तक 85% से ज़्यादा मस्तिष्क का विकास हो जाता है। यह वही उम्र होती है, जब बच्चे की भाषा सीखने और पर्यावरण को समझने की क्षमता सबसे तेज़ी से बढ़ती है। इस समय भाषा को सीखने में किसी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और क्षेत्रीय भाषाएँ: भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) भी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर देती है। इसके तहत, बच्चों को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराने की सिफ़ारिश की गई है। बहुभाषी शिक्षा प्रणाली में छात्रों को एक से ज़्यादा भाषाओं में पढ़ाया जाता है, जिसमें उनकी मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा और कभी-कभी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय भाषा भी शामिल होती है।

आइए अब बहुभाषी शिक्षा यानी अनेक भाषाओँ में सीखने के लाभों से दो चार होते हैं:

  • बौद्धिक क्षमता में वृद्धि: कई भाषाओं में पढ़ने से बच्चों की भाषा दक्षता और तर्कशक्ति बेहतर होती है।
  • संवाद में सहजता: बहुभाषी शिक्षा बच्चों को भाषाओं के मिश्रण से परिचित कराती है, जिससे वे बातचीत के दौरान सहज रूप से अलग-अलग भाषाओं का उपयोग करने लगते हैं।
  • समावेशिता और आत्मविश्वास: बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने से वे ज़्यादा आत्मविश्वास महसूस करते हैं और पढ़ाई में उनकी रुचि भी बढ़ती है।
    संस्कृति और भाषा का संरक्षण: बहुभाषावाद यानी एक से ज़्यादा भाषाओं का ज्ञान होने का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों को जीवित रखने में मदद मिलती है। जब बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाता है, तो वे अपनी संस्कृति, परंपराओं और लोक ज्ञान से जुड़ाव महसूस करते हैं। इससे उन स्थानीय भाषाओं का संरक्षण होता है, जो विलुप्ति के कगार पर हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia 
  • मानव पूंजी में वृद्धि: बहुभाषी शिक्षा छात्रों को जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद करती है। चाहे वह शिक्षा हो, रोज़गार हो या नवाचार—भाषा की समझ सफलता के लिए ज़रूरी होती है। जब लोग कई भाषाओं में निपुण होते हैं, तो उनकी नौकरी के अवसर बढ़ते हैं। वैश्विक स्तर पर भी उनकी मांग और गतिशीलता बढ़ जाती है।
  • भाषाई विविधता का संरक्षण: भारत भाषाओं का देश है। बहुभाषी शिक्षा से स्थानीय भाषाओं को संरक्षित और पुनर्जीवित किया जा सकता है। यह उन भाषाओं को भी बचाने में मदद करती है जो धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं।
    साथ ही, इससे भाषाई अल्पसंख्यकों को सम्मान और अधिकार मिलते हैं, जिससे समाज में समावेशिता बढ़ती है।
  • राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करना: जब लोग अलग-अलग भाषाओं को समझते हैं, तो उनके बीच आपसी सम्मान और समझ बढ़ती है। बहुभाषी शिक्षा से विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच मेलजोल आसान हो जाता है। इससे सामाजिक सामंजस्य और देश में सद्भावना को बढ़ावा मिलता है।
  • अतिरिक्त भाषाएं सीखने का मज़बूत आधार: मातृभाषा में पढ़ाई शुरू करने से अन्य भाषाएं सीखना आसान हो जाता है। बच्चे पहले अपनी भाषा को अच्छी तरह समझते हैं, जिससे वे हिंदी, अंग्रेज़ी या अन्य भाषाएं तेज़ी से पकड़ पाते हैं। इससे उनका भाषा ज्ञान मज़बूत होता है और बहुभाषावाद को बढ़ावा मिलता है।
  • शिक्षा में उच्च अवधारण दर: जब बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई करते हैं, तो वे विषयों को बेहतर समझते हैं। समझ बढ़ने से वे स्कूल छोड़ने के बजाय अपनी पढ़ाई पूरी करने की ओर बढ़ते हैं। इससे ड्रॉपआउट (dropout) दर कम होती है और शिक्षा का स्तर सुधरता है।

इस प्रकार बहुभाषावाद सिर्फ़ शिक्षा का माध्यम नहीं है, बल्कि यह बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता को निखारने और हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का एक सशक्त ज़रिया है। भारत एक बहुभाषी देश है, जहां लोग अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों से जुड़े हैं। लेकिन भाषा की बाधा अक्सर संचार और शिक्षा में मुश्किलें खड़ी करती है। इसे दूर करने के लिए भारत सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं, जो बहुभाषी शिक्षा और समावेशिता को बढ़ावा देती हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

आइए, इन पहलों को विस्तार से समझते हैं:

  • भाषा संगम (Bhasha Sangam): भाषा संगम भारत सरकार की एक ख़ास पहल है, जिसका उद्देश्य बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में छात्र हर दिन एक नई भारतीय भाषा में बोलचाल के वाक्य सीखते हैं, जिससे वे आसानी से अलग-अलग राज्यों के लोगों से संवाद कर सकें। इसके तहत छात्र 22 भारतीय भाषाओं में बुनियादी संवाद सीखते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे देश में कहीं भी काम करने के लिए तैयार होते हैं। यह पहल छात्रों को सांस्कृतिक विविधता को अपनाने और विभिन्न समुदायों के साथ घुलने-मिलने का अवसर देती है।
  • परियोजना अस्मिता (Project Asmita): परियोजना अस्मिता (अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का संवर्धन) उच्च शिक्षा को ज़्यादा समावेशी बनाने की एक अहम कोशिश है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और भारतीय भाषा समिति का संयुक्त प्रयास है। इसके तहत अगले 5 वर्षों में 22 भारतीय भाषाओं में 22,000 किता़बें तैयार की जाएंगी। छात्रों को अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा सामग्री मिलेगी, जिससे वे विषयों को आसानी से समझ सकेंगे। साथ ही एक बहुभाषी शब्दकोश भंडार भी बनाया जा रहा है, ताकि अलग-अलग भाषाओं में सही अनुवाद और अर्थ आसानी से मिल सकें। इसके अलावा, वास्तविक समय अनुवाद प्रणाली विकसित की जा रही है, जिससे शैक्षिक सामग्री का तेज़ी से अनुवाद संभव होगा और यह ज़्यादा लोगों के लिए सुलभ बनेगी।
  • राज्य सरकारों की क्षेत्रीय भाषा नीतियां: कई राज्य सरकारें भी अपनी क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं। उदाहरण के तौर पर ओडिशा सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को ज़्यादा समावेशी बनाने के लिए एक अहम फ़ैसला लिया है। वहां पांचवीं कक्षा तक शिक्षा का माध्यम आदिवासी भाषाएं होंगी। इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई का अवसर देना है, ताकि वे आसानी से सीख सकें और अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़े रहें। इस तरह की नीतियां न सिर्फ़ क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण करती हैं, बल्कि शिक्षा को ज़्यादा प्रभावी और सुलभ भी बनाती हैं।
  • राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (National Educational Technology Forum (NETF): राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) और भारतीय भाषा समिति ने एक वास्तविक समय अनुवाद प्रणाली विकसित की है। इसका उद्देश्य है कि शैक्षणिक संसाधनों का रियल-टाइम अनुवाद किया जा सके, जिससे वे ज़्यादा व्यापक रूप से उपलब्ध हो सकें। इस तकनीक के माध्यम से शिक्षण सामग्री को तुरंत भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है। इससे छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का लाभ मिलेगा। यह पहल भाषा की बाधा को ख़त्म करके शिक्षा को ज़्यादा समावेशी और प्रभावी बनाएगी।
चित्र स्रोत : flickr 

कुल मिलाकर आज हमने सीखा कि बहुभाषी शिक्षा न केवल बच्चों की बौद्धिक क्षमता को निखारती है, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाती है। मेरठ जैसे शहर में, जहां विविध भाषाएँ और संस्कृतियाँ आपस में घुली-मिली हैं, बहुभाषावाद बच्चों को नई संभावनाओं के लिए तैयार करता है। इससे उनकी संवाद क्षमता, सृजनात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही, भाषाई विविधता के संरक्षण में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना केवल एक शैक्षिक निर्णय नहीं, बल्कि एक समावेशी और सशक्त भविष्य की ओर उठाया गया कदम है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/226v3fzk 

https://tinyurl.com/2c986tfb 

https://tinyurl.com/2yurftfa 

https://tinyurl.com/2cesfjdq 

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels