क्रिकेट बैट निर्माण में है मेरठ सबसे आगे,आईये पीछे छोड़ चलें इस खेल में अवैद्य सट्टेबाज़ी

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क्रिकेट बैट निर्माण में है मेरठ सबसे आगे,आईये पीछे छोड़ चलें इस खेल में अवैद्य सट्टेबाज़ी

क्रिकेट, हमारे लिए केवल एक खेल ही नहीं, बल्कि एक जुनून है, जो हम लोगों को एक साथ जोड़ता है। हालांकि, क्रिकेट में सट्टेबाज़ी वर्तमान समय में एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जो वित्तीय और कानूनी जोखिम पैदा करती है। मैच-फ़िक्सिंग(Match-fixing) और धोखाधड़ी को रोकने के लिए, भारत सरकार के पास ‘सार्वजनिक जुआ अधिनियम’ और अन्य नियमों के तहत कड़े कानून लागू किए हैं, जो अवैध सट्टेबाज़ी के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं। जबकि कुछ लोग सट्टेबाज़ी को मनोरंजन के रूप में देखते हैं, यह लत और भारी आर्थिक नुकसान का भी कारण बन सकती है। आज के इस लेख में, हम भारत में क्रिकेट सट्टेबाज़ी के इतिहास और विकास पर नज़र डालेंगे। इसके अलावा,हम भारत में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की कानूनी स्थिति का भी पता लगाएंगे, तथा इस उद्योग को नियंत्रित करने वाले नियमों पर प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम क्रिकेट सट्टेबाज़ी के रुझानों पर आई पी एल जैसे टूर्नामेंट के प्रभाव पर चर्चा करेंगे। 

भारत में क्रिकेट सट्टेबाज़ी का इतिहास और विकास-

क्रिकेट, भारत में काफ़ी समय से एक अत्यधिक पसंदीदा खेल रहा है। इस वजह से, देश में क्रिकेट सट्टेबाज़ी भी, लंबे समय से मौजूद है। यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण भी है। 

भारतीय क्रिकेट के इतिहास का अवलोकन-

क्रिकेट का खेल, अठारहवीं शताब्दी में अंग्रेज़ों द्वारा भारत में प्रस्तुत किया गया था, और तब से ही इसमें सट्टेबाज़ी भी शुरू हुई। भारतीय कुलीनों ने, उस समय अपने ब्रिटिश समकक्षों के साथ सामाजिकता के साधन के रूप में, क्रिकेट का इस्तेमाल किया।

1932 की भारतीय क्रिकेट टीम | चित्र स्रोत : wikimedia 

ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान, पूरे भारत में कई क्रिकेट क्लबों की स्थापना की गई, जिसने एक क्रिकेट संस्कृति के विकास में योगदान दिया। फिर उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक, क्रिकेट, भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़ गया था। और तब देश के निवासियों ने, मैचों के परिणामों पर दांव लगाना शुरू कर दिया था।

प्रारंभिक भारतीय क्रिकेट सट्टेबाज़ी प्रथाएं-

जब भारत में क्रिकेट सट्टेबाज़ी की शुरुआत हुई, तब ज़्यादातर दांव मैच खत्म होने के बाद लगाए जाते थे। विजेताओं के अलावा, अक्सर मैच के अन्य पड़ावों पर दांव लगाए जाते थे।

इसकी देखरेख करने के लिए, तब किसी भी आधिकारिक नियामक निकाय के अभाव में, क्रिकेट सट्टेबाज़ी एक अनौपचारिक गतिविधि बनी रही। यह कुछ वर्षों के लिए चलता रहा, जब तक कि, खेल सट्टेबाज़ी में वृद्धि ने अंततः, अवैध सट्टेबाज़ों को सामने लाया।
 

चित्र स्रोत : pexels

भारतीय ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाज़ी का उदय-

भारत में क्रिकेट सट्टेबाज़ी की विधि, पिछले 20 वर्षों में काफ़ी बदल गई है। ऑनलाइन सट्टेबाज़ी प्लेटफ़ॉर्मों के उदय ने, इस बाज़ार को बदल दिया है, और ग्राहकों के लिए दांव लगाना, आसान एवं अधिक सुविधाजनक बना दिया है।

क्या भारत में ऑनलाइन जुआ, कानूनी है?

भारत में ऑनलाइन जुए का कानूनी परिदृश्य, जटिल और अक्सर भ्रमित करने वाला है। जबकि हमारे राष्ट्र के पास जुआ गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानून हैं, इन कानूनों की व्याख्या और अनुप्रयोग विभिन्न राज्यों में भिन्न हैं। भारत में इंटरनेट तक बढ़ती पहुंच, और क्रिकेट के लिए प्यार के कारण, ऑनलाइन जुए को अपार लोकप्रियता मिली है।

राष्ट्रीय कानूनी ढांचा-

•सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867

भारत में जुए को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक राष्ट्रीय कानून, यही है। यह कानून ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लागू किया गया था और इसका उद्देश्य सार्वजनिक जुआ घरों के संचालन पर रोक लगाता है था। साथ ही, यह उन व्यक्तियों को भी दंडित करता है, जो इन प्रतिष्ठानों का दौरा करते हैं। हालांकि, यह कानून बहुत पुराना है और ऑनलाइन जुए को कवर नहीं करता है।

चित्र स्रोत : flickr

चुंकि, जुआ, भारतीय संविधान के तहत एक राज्य विषय है, इसलिए, राज्यों के पास इसके बारे में अपने स्वयं के कानून तैयार करने का अधिकार है। जबकि सार्वजनिक जुआ अधिनियम, इनके लिए एक आधार रेखा बनाता है, राज्य पूरी तरह से इसमें संशोधन करने या नया कानून बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। 

भारतीय जुआ कानून में एक महत्वपूर्ण अंतर, कौशल और मौके के खेल में है। भारतीय अदालतों ने फ़ैसला सुनाया है कि, उन खेलों पर सट्टेबाज़ी करना, जिनमें महत्वपूर्ण कौशल शामिल है, वे कानूनी है। जबकि, शुद्ध मौके के खेलों को अक्सर अवैध माना जाता है। इस अंतर का ऑनलाइन जुए पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि कई प्लेटफ़ॉर्मों (platform) का तर्क है कि, पोकर(Poker) या फैंटेसी स्पोर्ट्स(Fantasy sports) कौशल के खेल हैं, इस प्रकार वे कानूनी श्रेणी में गिरते हैं।

आई पी एल या इंडियन प्रीमियर लीग(Indian Premier League) जैसे टी 20 लीग(T 20 League), क्रिकेट सट्टेबाज़ी के केंद्र में क्यों हैं?

टी-20 मैचों की शानदार गति और अप्रत्याशितता के कारण, सट्टेबाज़ी के संस्करणों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। लंबी क्रिकेट मैचों के विपरीत, जहां परिणाम कुछ दिनों में सामने आ सकते हैं, टी 20 मैच तत्काल संतुष्टि प्रदान करती है। सट्टेबाज़ी प्लेटफ़ॉर्म टी 20 लीग सीज़न के दौरान, विशेष रूप से आई पी एल के साथ, सट्टेबाज़ी गतिविधि में उल्लेखनीय गतिविधियां रिपोर्ट करते हैं।

टी 20 क्रिकेट ने, सट्टेबाज़ी बाज़ारों का विस्तार किया है। पारंपरिक जीत-हार के दांव से परे, लोग अब दांव लगाने हेतु, एक मैच के भीतर ही विशिष्ट घटना परिणामों के विभिन्न विकल्पों का रास्ता चुनते हैं। 

सट्टेबाज़ी पर टी 20 लीग का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव, शायद लाइव(Live) या इन-प्ले(In–play) सट्टेबाज़ी की सुविधा है। टी 20 मैचों की गतिशील प्रकृति, जहां कुछ क्षणों में ही परिणाम बदलते रहते हैं, लाइव सट्टेबाज़ी को अविश्वसनीय रूप से आकर्षक बनाती है। इससे दांव लगाने वाले लोगों को, त्वरित निर्णय लेने की चुनौती और उत्साह का आनंद मिलता है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/3kftpm22

https://tinyurl.com/59cynvba

https://tinyurl.com/2xpjxf8k

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia