वर्ल्ड अस्थमा डे:दीर्घकालिक स्वास्थ्य की हिफ़ाज़त में,क्यों ज़रूरी है श्वसन रोगों से बचाव

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
06-05-2025 09:25 AM
Post Viewership from Post Date to 06- Jun-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2915 54 0 2969
* Please see metrics definition on bottom of this page.
वर्ल्ड अस्थमा डे:दीर्घकालिक स्वास्थ्य की हिफ़ाज़त में,क्यों ज़रूरी है श्वसन रोगों से बचाव

मेरठ के नागरिकों, ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) एक आम सांस संबंधी बीमारी है, जो खासतौर पर मौसम बदलने और बढ़ते प्रदूषण की वजह से होती है। जब फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियां (Bronchial tubes) सूज जाती हैं, तो सांस लेने में कठिनाई होती है, लगातार खांसी आती है, बलगम बनता है और सीने में भारीपन महसूस होता है। यह समस्या वायरस के संक्रमण, धूम्रपान या धूल और प्रदूषण के संपर्क में आने से हो सकती है।

ब्रोंकाइटिस दो तरह का होता है—एक्यूट ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis), जो कुछ हफ़्तों में ठीक हो जाता है, और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस (chronic bronchitis), जो लंबे समय तक रह सकता है और उचित इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है। इससे बचने के लिए धुएं से दूर रहें, पानी ज़्यादा पिएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें। सही जानकारी और समय पर इलाज से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।

आज हम जानेंगे कि ब्रोंकाइटिस क्या होता है। फिर हम इसके प्रकार और लक्षणों के बारे में समझेंगे, ताकि इसे जल्दी पहचाना जा सके। आखिर में, हम इसके इलाज और रोकथाम के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

चित्र स्रोत : Wikimedia

ब्रोंकाइटिस क्या है?

ब्रोंकाइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियों श्वासनलियाँ (Bronchi) में सूजन आ जाती है। जब ये नलियां किसी संक्रमण या धुएं जैसी चीज़ों से प्रभावित होती हैं, तो वे फूल जाती हैं और उनमें बलगम भरने लगता है। इससे खांसी जैसी समस्याएँ होने लगती है, जो कुछ दिनों से लेकर कई हफ़्तों तक रह सकती है।

एक्यूट ब्रोंकाइटिस का सबसे आम कारण वायरस (virus) होता है, जबकि धूम्रपान और प्रदूषण जैसी चीज़ें लंबे समय तक चलने वाले क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस का कारण बन सकती हैं।

ब्रोंकाइटिस के प्रकार

ब्रोंकाइटिस दो प्रकार का होता है:

1. एक्यूट ब्रोंकाइटिस:

यह ब्रोंकाइटिस कुछ समय के लिए ही रहता है और अक्सर सर्दी या फ्लू (flu) जैसे वायरल संक्रमण के कारण होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • खांसी (बलगम के साथ या बिना)
  • सीने में तकलीफ़ या दर्द
  • बुखार
  • हल्का सिरदर्द और बदन दर्द
  • सांस लेने में परेशानी

2. क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस:

यह एक लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है, जिसमें ब्रोंकाई नलियां ज़रूरत से ज़्यादा बलगम बनाने लगती हैं। यह बीमारी बार-बार हो सकती है या पूरी तरह ठीक ही नहीं होती है। इसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (Chronic obstructive pulmonary disease/COPD) का हिस्सा माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति को क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के साथ वातस्फीति (emphysema) भी हो जाता है, तो उसे सी ओ पी डी का  मरीज़ माना जाता है। यह एक गंभीर और संभावित रूप से जानलेवा स्थिति हो सकती है।

प्लास्टिक ब्रोंकाइटिस ब्रोन्कियल कास्ट | चित्र स्रोत : Wikimedia

ब्रोंकाइटिस के लक्षण

अगर आपको एक्यूट ब्रोंकाइटिस है, तो आपको सर्दी जैसे लक्षण हो सकते हैं, जैसे:

  • खांसी
  • बलगम (जो साफ़, सफ़ेद, पीला-भूरा या हरा हो सकता है, लेकिन कभी-कभी खून की लकीरें भी हो सकती हैं)
  • गला ख़राब या दर्द
  • हल्का सिरदर्द और बदन दर्द
  • हल्का बुखार और सर्दी लगना
  • थकान महसूस होना
  • सीने में असहजता
  • सांस लेने में दिक्कत या घरघराहट

ये लक्षण आमतौर पर एक हफ़्ते में ठीक होने लगते हैं, लेकिन खांसी कई हफ़्तों तक बनी रह सकती है।

अगर आपको क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है, तो इसके लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • लगातार खांसी
  • बलगम का बनना
  • शरीर में थकावट
  • सीने में तकलीफ़
  • सांस लेने में परेशानी

ब्रोंकाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?

ब्रोंकाइटिस ज़्यादातर मामलों में खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन इससे जल्दी राहत पाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, मरीज़ को भरपूर आराम करने की ज़रूरत होती है ताकि शरीर संक्रमण से लड़ सके। ज़्यादा शारीरिक मेहनत करने से बीमारी बढ़ सकती है, इसलिए जब तक पूरी तरह ठीक न हो जाएं, तब तक आराम करना ज़रूरी है। अच्छी नींद लेने से शरीर शीघ्र स्वस्थ होता है।

पानी और अन्य तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना भी ज़रूरी होता है। गर्म पानी, सूप, चाय या शहद-नींबू पानी पीने से गले को आराम मिलता है और सीने में जमा बलगम आसानी से बाहर निकल जाता है। ठंडी चीज़ो से बचना चाहिए, क्योंकि वे गले में जलन और खांसी को बढ़ा सकती हैं। अगर सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो भाप लेना एक कारगर उपाय है। गर्म पानी में विक्स (vicks) या अजवाइन डालकर भाप लेने से फेफड़ों को आराम मिलता है और सांस लेना आसान हो जाता है। ह्यूमिडीफायर (Humidifier) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, खासकर अगर घर का माहौल बहुत शुष्क हो।

अगर खांसी बहुत ज़्यादा हो और रात में सोने में परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर की सलाह से खांसी कम करने वाली दवा ली जा सकती है। हल्के बुखार, सिरदर्द या छाती में दर्द होने पर पेरासिटामोल (Paracetamol) या इबूप्रोफ़ेन (Ibuprofen) जैसी दर्द निवारक दवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।

ब्रोंकाइटिस से पीड़ित महिला का चित्रण | चित्र स्रोत : Wikimedia

ब्रोंकाइटिस ज़्यादातर मामलों में वायरस के कारण होता है, इसलिए एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं पड़ती। हालांकि, अगर डॉक्टर को लगे कि संक्रमण बैक्टीरियल (bacterial) है, तो वे एंटीबायोटिक्स (Anti-Biotics) लिख सकते हैं। यह दवाएं उन मरीज़ो को दी जाती हैं, जिनका प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) कमज़ोर होती है या जिन्हें पहले से कोई फेफड़ों की बीमारी होती है।

धूम्रपान करने वाले लोगों को उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यह फेफड़ों को और ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। धूल, धुआं और प्रदूषित जगहों से बचना ज़रूरी है, क्योंकि ये चीज़े ब्रोंकाइटिस को और ज़्यादा बिगाड़ सकती हैं। अगर बाहर जाना ज़रूरी हो, तो मास्क पहनकर जाना फ़ायदेमंद होगा।

अगर खांसी तीन हफ़्तों से ज़्यादा बनी रहे, सांस लेने में बहुत ज़्यादा दिक्कत हो, सीने में तेज़ दर्द महसूस हो, बलगम में खून आने लगे, बार-बार तेज़ बुखार हो या कमज़ोरी बहुत ज़्यादा लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही देखभाल और सावधानी बरतने से ब्रोंकाइटिस जल्दी ठीक हो सकता है और फेफड़ों को किसी गंभीर समस्या से बचाया जा सकता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/y8r5umc6 

https://tinyurl.com/vn8f4cpr 

https://tinyurl.com/43pw9hh7 

https://tinyurl.com/bddpnfx8 


मुख्य चित्र स्रोत : Pexels