मेरठवासी चलिए जानें पत्रकारिता की शुरुआत और आज उसकी भूमिका को!

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण
03-05-2025 09:13 AM
Post Viewership from Post Date to 03- Jun-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2791 78 0 2869
* Please see metrics definition on bottom of this page.
मेरठवासी चलिए जानें पत्रकारिता की शुरुआत और आज उसकी भूमिका को!

हमारे शहर की गलियों में आज भी इतिहास की धड़कनें सुनाई देती हैं! यहाँ के अख़बारों में जनता की आवाज़ गूंजती है। चाहे बात टूटी सड़कों की हो या शिक्षा नीतियों में सुधार की, मेरठ का मीडिया हक़ीक़त को बेबाक़ी से सामने लाने की कोशिश करता है। यही जागरूकता मेरठवासियों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क और सजग बनाती है। आज तेज़ी के साथ बदलते दौर में, सूचनाओं की बाढ़ ने सच और अफ़वाह के बीच की लकीर को धुंधला कर दिया है! ऐसे में मेरठ का मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए सही और सटीक जानकारी देकर लोगों को सही फ़ैसले लेने में मदद करता है। इसलिए, इस लेख में सबसे पहले हम पत्रकारिता के इतिहास पर नज़र डालेंगे, जिसके तहत हम देखेंगे कि समय के साथ पत्रकारिता कैसे एक मिशन से पेशे में बदल गई। इसके बाद हम जानेंगे कि मौजूदा दौर में पत्रकारिता क्यों इतनी महत्वपूर्ण हो गई है। आगे हम यह भी देखेंगे कि लोकतंत्र को मज़बूती देने में मीडिया क्या भूमिका निभाती है। अंत में, उन नैतिक सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे, जो पत्रकारों को निष्पक्ष और ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग का अर्थ समझाते हैं।

पत्रकारिता में प्रस्तुति देते हुए गोवा विश्वविद्यालय के छात्र | चित्र स्रोत : Wikimedia 

पत्रकारिता का मतलब केवल खबरें छापना ही नहीं होता। सच्ची पत्रकारिता वह है, जिसमें सूचनाओं को इकट्ठा किया जाता है, उनका विश्लेषण होता है और फिर जाकर उन ख़बरों को लोगों तक ईमानदारी से पहुँचाया जाता है। पत्रकारिता का असली मकसद "लोगों को सच्चाई से रूबरू कराना" होता है!
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई थी?
पत्रकारिता कोई नई नवेली खोज नहीं है, बल्कि इसका इतिहास भी सदियों पुराना बताया जाता है। दुनिया की पहली दर्ज की गई खबर प्राचीन रोम में 59 ईसा पूर्व प्रकाशित हुई थी। उस समय "एक्टा ड्यूर्ना (Acta Diurna)" नामक दस्तावेज में खबरें दर्ज की जाती थीं! इन दस्तावेजों को शहर के सार्वजनिक स्थलों पर लगाया जाता था, ताकि लोग इन्हें पढ़ या सुन सकें।
चीन में भी पत्रकारिता का एक अनोखा तरीका अपनाया गया। 907 ईस्वी में वहाँ की सरकार ने अधिकारियों को सूचनाएँ देने के लिए "बाओ"(Bao) नामक दस्तावेज तैयार किया, जिसमें महत्वपूर्ण घटनाओं का ज़िक्र होता था।
धीरे-धीरे मुख्यधारा के समाचार पत्र अस्तित्व में आए। 1609 में जर्मनी में पहला आधुनिक अखबार प्रकाशित हुआ। अंग्रेज़ी भाषा के पहले अखबार को "ओल्ड इंग्लिश (Old English)" के नाम से जाना जाता था। हालांकि, 1702 में प्रकाशित "डेली कोर्टेंट (Daily Courant)" पहला सार्वजनिक अखबार बना, जिसने पत्रकारिता को एक नई दिशा दी।
जैसे-जैसे अखबारों का प्रभाव बढ़ा, सरकारों और संस्थानों के लिए पत्रकारिता एक बड़ी चुनौती बनने लगी। कई जगहों पर सत्ता की आलोचना करने के कारण पत्रकारों का विरोध भी हुआ।
 

रोम कोलोसियम शिलालेख | चित्र स्रोत : Wikimedia 

1830 के दशक में पत्रकारिता में बड़ा बदलाव देखा गया। इस दौर में बड़े पैमाने पर अखबार छपने लगे और आम लोगों तक पहुँचने लगे। ये अखबार जनता की आवाज़ बन गए। सचित्र रिपोर्टिंग ने खासतौर पर महिला पाठकों को अपनी ओर आकर्षित किया।
समय के साथ अखबारों का महत्व और बढ़ता गया। प्रकाशक अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचने के लिए नए-नए तरीके खोजने लगे। स्वतंत्र समाचार एजेंसियाँ गठित होने लगीं, जो विभिन्न खबरों को इकट्ठा करके समाचार पत्रों को बेचती थीं।
1883 में ब्रिटेन में पहली बार पत्रकारों का संगठित समूह बना। इसके बाद 1933 में अमेरिका में "प्रोफ़ेशनल न्यूज़पेपर गिल्ड (Professional Newspaper Guild)" नामक संगठन स्थापित हुआ, जिसका उद्देश्य पत्रकारों के हितों की रक्षा करना था।
पत्रकारिता को धीरे-धीरे एक अकादमिक विषय के रूप में भी स्वीकार किया जाने लगा। 1879 में मिसौरी विश्वविद्यालय (University of Missouri) ने इसे चार साल के अध्ययन कार्यक्रम के रूप में शुरू किया। 1912 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University), न्यूयॉर्क ने इसमें स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रदान की। टेलीग्राफ़ (Telegraph) के आगमन ने खबरों के प्रसार में तेज़ी ला दी! भले ही उस समय तकनीक बहुत कम विकसित हुई थी, लेकिन इसके बावजूद, राजनीति, धर्म, क़ानून और अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरें लोगों तक पहुँचने लगीं।
समय के साथ पत्रकारिता के स्वरूप में बड़ा बदलाव आया। सिनेमा और रेडियो ने खबरों को नया मंच दिया। फिर टीवी आया, जिसने रिपोर्टिंग को पूरी तरह बदल कर रख दिया। अब ख़बरों को केवल पढ़ा ही नहीं बल्कि देखा और सुना भी जाने लगा।
आज पत्रकारिता सिर्फ़ खबरें प्रदान करने का माध्यम नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ बन गई है। डिजिटल युग में यह और भी गतिशील हो गई है। सोशल मीडिया और इंटरनेट की वजह से खबरें अब पलक झपकते ही दुनिया भर में पहुँच जाती हैं।
 

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर, नई दिल्ली में पत्रकारिता सप्ताह व्याख्यान  | चित्र स्रोत : Wikimedia 

आज की दुनिया में पत्रकारिता क्यों महत्वपूर्ण है?
आधुनिक समय की पत्रकारिता पहले जैसी नहीं रही। आज ख़बरों का दायरा केवल अख़बारों और टीवी तक सीमित नहीं हैं। सोशल मीडिया, ऑनलाइन वेबसाइट्स और यू्ट्यूब (YouTube) जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स ने हर किसी के लिए खबरों तक पहुंचना आसान बना दिया है। इंटरनेट और तेज़ कनेक्टिविटी (connectivity) की वजह से रिपोर्टिंग और जानकारी साझा करना पहले से कहीं आसान हो गया है। इसी के साथ-साथ पत्रकारिता के नए रूप भी सामने आए हैं।

पत्रकारिता क्यों ज़रूरी है?
पत्रकारिता समाज में अहम भूमिका निभाती है क्योंकि यह:

  • सच्चाई उजागर करती है: हम अपने रोज़मर्रा के फ़ैसले डेटा और तथ्यों के आधार पर लेते हैं। जो खबरें हम पढ़ते या देखते हैं, वे हमारे विचारों और निर्णयों को प्रभावित करती हैं। पत्रकारिता लोकतंत्र को मज़बूत बनाती है क्योंकि यह लोगों को सही जानकारी देकर जागरूक करती है। इससे लोग देश के भविष्य के लिए सही नेता चुनने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, पत्रकारिता हमें अन्याय, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक मुद्दों पर सोचने और कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करती है।
  • बिज़नेस को बढ़ावा देती है: पत्रकारिता सिर्फ़ खबरें ही नहीं देती, बल्कि बाज़ार पर भी असर डालती है। हम क्या खरीदें, यह तय करने में भी मीडिया का बड़ा रोल होता है। नए उत्पादों और सेवाओं की जानकारी देकर यह उपभोक्ताओं को सही निर्णय लेने में मदद करती है। विज्ञापनों और रिपोर्ट्स के ज़रिया ब्रांड्स को पहचान मिलती है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
  • समाज में बदलाव लाती है: पत्रकारिता समाज में बदलाव का एक शक्तिशाली माध्यम साबित होती है। यह हमें दुनिया भर के समुदायों और संस्कृतियों से जोड़ती है। जब हम अन्य देशों या समाजों की ख़बरें देखते हैं, तो हमारी सोच का दायरा बढ़ता है। हमें उनके संघर्ष, जीवनशैली और चुनौतियों के बारे में जानकारी मिलती है। इससे समाजों के बीच की दूरियाँ घटती हैं और सहानुभूति बढ़ती है।

पत्रकारिता सिर्फ़ ख़बरें दिखाने का काम नहीं है, बल्कि सच को सामने लाने की ज़िम्मेदारी भी होती है। इसलिए, हर पत्रकार के लिए कुछ नैतिक सिद्धांतों का पालन करना बेहद ज़रूरी है। ये सिद्धांत न सिर्फ़ पत्रकार को सच्चाई की तलाश और जनहित में काम करने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि किसी को बेवजह नुकसान पहुँचाने से भी रोकते हैं।
 

इटली के पेरुगिया में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता महोत्सव 2024 में सुप्रिया शर्मा | चित्र स्रोत : Wikimedia 

आइए, इन्हें सरल भाषा में समझते हैं:

  1. सच्चाई को सामने लाना और सटीक रिपोर्टिंग: सच को सामने लाना, पत्रकारिता का सबसे पहला और अहम सिद्धांत है। एक ज़िम्मेदार पत्रकार का फ़र्ज़ है कि वह खबर की पूरी जाँच-पड़ताल करे और सिर्फ़ सटीक, प्रमाणित जानकारी ही प्रस्तुत करे। अफ़वाहों या बिना पुष्टि किए गए तथ्यों को प्रकाशित करना पत्रकारिता के उसूलों के ख़िलाफ़ होना चाहिए।
  2. स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग: पत्रकारिता की सबसे बड़ी ताकत उसकी निष्पक्षता होती है। एक पत्रकार को किसी राजनीतिक दल, धर्म या समूह का पक्ष लेने के बजाय जनता के हित में काम करना चाहिए। उसका मकसद सच को सामने लाना होना चाहिए, न कि किसी एजेंडा (agenda) को बढ़ावा देना।
  3. संतुलित और ईमानदार रिपोर्टिंग: स्वतंत्रता के साथ-साथ रिपोर्टिंग में संतुलन भी ज़रूरी है। एक पत्रकार को सभी पक्षों को समान रूप से प्रस्तुत करना चाहिए। एकतरफ़ा या भ्रामक रिपोर्टिंग दर्शकों को गुमराह करती है और पत्रकारिता की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुँचाती है।
  4. जनता के प्रति जवाबदेही: पत्रकारों को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। समाचार संगठनों को पाठकों और दर्शकों की राय का सम्मान करना चाहिए। पत्रकारों को अपनी खबर के साथ अपना नाम (बायलाइन) देना चाहिए, ताकि वे अपनी रिपोर्टिंग के लिए ज़िम्मेदार बने रहें।
  5. संवेदना रखना: हर खबर को प्रकाशित करना ज़रूरी नहीं होता। अगर किसी खबर से किसी व्यक्ति (खासतौर पर बच्चों या कमज़ोर वर्ग) को गंभीर नुकसान हो सकता है, तो मीडिया को संवेदनशीलता के साथ फ़ैसला लेना चाहिए। यदि खबर से होने वाला व्यक्तिगत नुकसान, जनहित से ज़्यादा है, तो उसे रोक देना ही सही होता है।
  6. मानहानि से बचाव: किसी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुँचाना न सिर्फ़ अनैतिक है, बल्कि क़ानूनी की नज़र में भी गलत है। पत्रकारों को झूठे या भ्रामक बयान छापने से बचना चाहिए, क्योंकि तथ्यहीन रिपोर्टिंग से लोगों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है।

नैतिक पत्रकारिता का आधार सच्चाई, निष्पक्षता और ज़िम्मेदारी है। इन सिद्धांतों का पालन करके ही पत्रकार अपनी विश्वसनीयता बनाए रख सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।


संदर्भ 

https://tinyurl.com/2byvzys5 

https://tinyurl.com/2b2w4r9a 

https://tinyurl.com/yjgxe7c6 

मुख्य चित्र में भारतीय पत्रकार जुग सूर्या, जो पहले जूनियर स्टेट्समैन (जेएस) और फिर टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्यरत थे, 2011 में गोवा में एक विमोचन समारोह में अपनी पुस्तक की प्रतियों पर हस्ताक्षर करते हुए! का स्रोत : Wikimedia