स्पोर्ट्स सिटी मेरठ में हाई ब्लड प्रेशर बन रहा है नई चुनौती!

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
17-05-2025 09:24 AM
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स्पोर्ट्स सिटी मेरठ में हाई ब्लड प्रेशर बन रहा है नई चुनौती!

हमारे शहर की धरती जिसने देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भड़काई थी! आज वही  मेरठ को पूरे देश में “स्पोर्ट्स सिटी ऑफ़ इंडिया” के नाम से जाना जाता है। यहाँ की गलियों में गूंजते क्रिकेट के शॉट्स से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्टेडियमों की तालियों तक, हर कोना खेल के जुनून से भरा है।  लेकिन आज इस ऊर्जा से भरे शहर को एक और चुनौती चुपचाप घेर रही है।  आज मेरठ के हज़ारों लोग उस बीमारी से जूझ रहे हैं जिसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है! यह बिमारी है "हाइपरटेंशन (Hypertension), यानी उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)"। यह एक ऐसी बीमारी है जो बिना किसी शोर-शराबे के, चुपचाप हमारे शरीर में घर बना लेती है। मेरठ जैसे तेज़ रफ़्तार शहर में जहाँ तनाव, असंतुलित खानपान, और नींद की कमी अब रोज़मर्रा का हिस्सा बन चुके हैं, वहाँ यह खतरा और भी बड़ा हो गया है।

ऊपर से बढ़ती महंगाई, काम का दबाव, ट्रैफ़िक का शोर, सभी मिलकर दिल और दिमाग को लगातार थका रहे हैं। यहीं से शुरू होती है उस खतरे की कहानी, जो अगर समय रहते न रोका जाए तो दिल के दौरे, स्ट्रोक, या किडनी फेल होने जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है। इसलिए आज के इस लेख में हम जानेंगे कि हाइपरटेंशन कितने प्रकार के होते हैं, इसके जोखिम क्या हैं, और कैसे हमारी खानपान की आदतें इस समस्या को और बढ़ा रही हैं। इसके तहत हम मेरठ के नागरिकों को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि कैसे एक संतुलित जीवनशैली, नियमित जांच और छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाकर इस ख़ामोश दुश्मन को काबू में रखा जा सकता है। साथ ही, हम पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिकता की भूमिका पर भी नज़र डालेंगे, ताकि आप समझ सकें कि यह खतरा आपके घर के कितने पास है।

ओमरोन एचईएम-7000 रक्तचाप मॉनिटर |  चित्र स्रोत : wikimedia 

उच्च रक्तचाप आज की सबसे आम और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो सीधे हमारे शरीर की धमनियों पर असर डालती है। इसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। इस स्थिति में धमनियों की दीवारों पर खून का दबाव लगातार ज़्यादा बना रहता है, जिससे दिल को हर बार खून पंप करने में ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। खून का दबाव मिलीमीटर ऑफ़ मर्करी (mmHg) में मापा जाता है। जब ये रीडिंग 130/80 mmHg या उससे ज़्यादा होती है, तो इसे उच्च रक्तचाप माना जाता है। जब रक्तचाप 120/80 mmHg से कम होता है, तो यह सबसे सही स्थिति मानी जाती है।

इसमें ऊपर की संख्या (सिस्टोलिक(Systolic)) 120 से 129 mmHg के बीच होती है और नीचे की संख्या (डायस्टोलिक (Diastolic)) 80 mmHg से कम होती है। यह संकेत है कि आगे चलकर हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।

चरण 1 उच्च रक्तचाप: इस स्टेज में सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Pressure) 130 से 139 mmHg और डायस्टोलिक 80 से 89 mmHg के बीच होता है। इसमें जीवनशैली में बदलाव लाना पड़ेगा और कई बार दवाओं की जरूरत पड़ सकती है।

चरण 2 उच्च रक्तचाप: यह गंभीर स्थिति होती है। सिस्टोलिक प्रेशर 140 mmHg या उससे ज़्यादा, या डायस्टोलिक 90 mmHg या उससे ज़्यादा होता है। इस स्टेज में इलाज और सावधानी बेहद ज़रूरी हो जाती है।

उच्च रक्तचाप के दो रूप होते हैं : 

१. प्राथमिक उच्च रक्तचाप: अक्सर जब लोग क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर की बात करते हैं, तो वो इसी के बारे में कहते हैं। इसे ज़रूरी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं और यह लगभग 95% मामलों में देखा जाता है। इसका कोई एक साफ़ कारण नहीं होता, लेकिन कुछ आदते इस जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जैसे:

  • धूम्रपान
  • पारिवारिक इतिहास
  • ज़्यादा बैठ रहना
  • मोटापा या ज़्यादा वजन
  • खराब खानपान
  • तनाव को न संभाल पाना

२.  द्वितीयक उच्च रक्तचाप: यह अपेक्षाकृत कम लोगों (सिर्फ़ 5% मामलों में ) पाया जाता है और किसी दूसरी बीमारी या स्थिति के कारण होता है। इसके पीछे कुछ आम कारणों में शामिल हैं:

  • किडनी की बीमारी
  • अधिवृक्क ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं
  • थायराइड या पैराथायराइड विकार
  • नींद में रुकावट (स्लीप एपनिया)
  • कुछ दवाओं का साइड इफ़ेक्ट (जैसे गर्भनिरोधक गोलियां, इबुप्रोफेन, डिकॉन्गेस्टेंट्स, अवसादरोधी दवाएं, आदि)
उच्च रक्तचाप से पीड़ित एक महिला अपना रक्तचाप जांच करवा रही है। |  चित्र स्रोत : wikimedia

आइए अब जानते हैं कि उच्च रक्तचाप में नमक, चीनी और आनुवंशिकी क्या असर डालती है?

  • चीनी: आज हमारे जीवन में चीनी बस एक स्वाद नहीं, बल्कि एक ऐसी आदत बन चुकी है जो चुपचाप हमारी सेहत को नुकसान पहुँचा रही है। इसका ज़्यादा सेवन न सिर्फ़ वजन बढ़ाता है, बल्कि टाइप 2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और शरीर में सूजन जैसी गंभीर स्थितियों को जन्म देता है! और ये सभी स्थितियां मिलकर दिल की बीमारियों बुलावा देती हैं। धीरे-धीरे यह मीठा ज़हर हमारी धमनियों को संकीर्ण और कठोर बना देता है, जिससे रक्त प्रवाह रुकता है। नतीजन  स्ट्रोक, दिल का दौरा और जानलेवा हार्ट प्रॉब्लम्स का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
  • नमक: नमक खाना ज़रूरी है, लेकिन जब इसकी मात्रा हद से ज्यादा हो जाती है, तो यही ज़रूरत जानलेवा भी बन सकती है। ज्यादा नमक शरीर में सोडियम-पोटेशियम (Sodium-Potassium) का संतुलन बिगाड़ देता है, जिससे न सिर्फ़ ब्लड प्रेशर बढ़ता है, बल्कि शरीर में पानी भी रुकने लगता है। इससे रक्त वाहिकाओं पर अनचाहा दबाव पड़ता है और दिल की सामान्य कार्यप्रणाली बाधित होती है — जिससे हार्ट डिजीज़ और स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
  • पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिकी: अगर आपके परिवार में किसी को हाई ब्लड प्रेशर है, तो इसका खतरा आपके ऊपर भी मंडरा सकता है। आनुवंशिकी हमारे शरीर की उस अदृश्य स्क्रिप्ट की तरह है, जो हाई ब्लड प्रेशर और उससे जुड़ी बीमारियों के पीछे एक अहम किरदार निभा सकती है। साथ ही, एक जैसे माहौल और आदतें भी इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। इसलिए अपनी फैमिली हिस्ट्री को नज़रअंदाज़ न करें,  डॉक्टर से खुलकर बात करें और समय रहते ज़रूरी कदम उठाएं।
चित्र स्रोत : wikimedia

समय रहते अपने हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को पहचानना ही आपकी सेहत की सबसे पहली जीत है। उम्र और जेनेटिक्स (genetics) जैसे कुछ कारकों को तो नहीं बदला जा सकता, लेकिन रोज़मर्रा की आदतों को सुधार कर आप इस जोखिम को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।  संतुलित आहार, रोज़ाना एक्सरसाइज़, सही वजन बनाए रखना, शराब और तंबाकू से दूरी, ये सब मिलकर आपके दिल को मजबूत बना सकते हैं और आपको गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/ydd4eqkd 

https://tinyurl.com/24acqmsp 

https://tinyurl.com/223uvu4r 

https://tinyurl.com/22nz6b3x 

मुख्य चित्र में दौड़ते युवा और रक्तचाप मापन का स्रोत : Flickr, wikimedia