मेरठ की बदलती जीवनशैली में योग: तकनीक और जागरूकता से मिली नई उड़ान

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
21-06-2025 09:21 AM
मेरठ की बदलती जीवनशैली में योग: तकनीक और जागरूकता से मिली नई उड़ान

योग भारत की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा है, जिसकी जड़ें हजारों वर्ष पूर्व वेदों और उपनिषदों में पाई जाती हैं। यह केवल शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास नहीं, बल्कि एक पूर्ण जीवन पद्धति है जो मानसिक शांति, आत्मिक विकास और शारीरिक संतुलन का मार्ग प्रशस्त करती है। आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली में योग न केवल तनाव से राहत दिलाने का माध्यम बना है, बल्कि यह स्वास्थ्य, चेतना और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। पारंपरिक योग जहां आध्यात्मिक उन्नति पर केंद्रित रहा है, वहीं समकालीन योग अभ्यासों में इसे फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य के रूप में भी अपनाया जा रहा है।

इस लेख में हम सबसे पहले जानेंगे कि योग का उद्भव भारत में कैसे हुआ और ऋषियों, ऋग्वेद व उपनिषदों की इसमें क्या भूमिका रही। इसके बाद हम देखेंगे कि जैसे-जैसे समय बदला, आधुनिक समाज में योग का स्वरूप भी किस प्रकार बदलता गया। फिर हम व्यायाम के रूप में योग की भूमिका को समझेंगे, जिसमें लचीलापन और शारीरिक संतुलन महत्वपूर्ण पहलू हैं। चौथे भाग में हम हठयोग की शक्ति निर्माण में भूमिका और इसकी पारंपरिक साधना पद्धतियों की विवेचना करेंगे। अंत में हम जानेंगे कि योग किस प्रकार से जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर मानसिक सशक्तिकरण में सहायता करता है।

योग का उद्भव: ऋषियों से लेकर उपनिषदों तक

योग की शुरुआत भारत में हजारों वर्ष पूर्व हुई थी, जिसे आज भी विश्व की सबसे प्राचीन और गूढ़ आत्मिक विधाओं में से एक माना जाता है। ऋग्वेद में "योग" शब्द का सबसे पहला उल्लेख मिलता है, जिसका तात्पर्य है आत्मा और ब्रह्म के बीच का सामंजस्य। वैदिक ऋषियों ने योग को आत्मबोध और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना। उपनिषदों, भगवद्गीता और पतंजलि योगसूत्र जैसे शास्त्रों ने योग को एक स्पष्ट रूप और दिशा दी। पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि – केवल शारीरिक क्रियाओं का संग्रह नहीं, बल्कि आत्मविकास की पूर्ण प्रणाली है। उन दिनों में योग का अभ्यास मुख्यतः गुरुकुलों, तपोवनों और हिमालय की कंदराओं में किया जाता था, जहाँ साधक गहन साधना के माध्यम से ब्रह्म के साथ एकात्मता की खोज करते थे।

आधुनिक समाज में योग का बदलता स्वरूप

आज का योग पारंपरिक अभ्यास से काफी अलग हो चुका है। आधुनिक समाज, विशेष रूप से पश्चिमी देशों ने योग को एक फिटनेस गतिविधि के रूप में अपनाया है। स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व धर्म सम्मेलन में योग और वेदांत की महत्ता बताकर पश्चिम को इसके ज्ञान से परिचित कराया। इसके बाद योग धीरे-धीरे यूरोप और अमेरिका में फैलने लगा। आज योग स्टूडियोज, फिटनेस ऐप्स और ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से विश्व के कोने-कोने में प्रचलित हो चुका है। कई स्थानों पर इसे केवल बॉडी टोनिंग और वजन घटाने का उपाय समझा जाता है, जबकि इसके गहरे मानसिक और आध्यात्मिक पक्ष को नजरअंदाज किया जाता है। फिर भी, यह कहना गलत नहीं होगा कि आधुनिक तकनीक और वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता ने योग को एक नई पहचान दी है, जिससे लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

व्यायाम के रूप में योग: लचीलापन और शारीरिक संतुलन

आधुनिक युग में योग को एक प्रभावशाली व्यायाम पद्धति के रूप में देखा जाने लगा है, जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अत्यंत प्रभावकारी है। विभिन्न योग मुद्राएं जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, वीरभद्रासन, त्रिकोणासन, और भुजंगासन शरीर के लचीलेपन, मुद्रा संतुलन और रक्त संचार को बेहतर करती हैं। इन आसनों से शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे अकड़न और जकड़न दूर होती है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और रीढ़ की हड्डी को स्थिर व लचीला बनाए रखता है। इसके लिए किसी भारी मशीन या उपकरण की आवश्यकता नहीं होती – केवल शरीर का भार, समर्पण और ध्यान पर्याप्त होते हैं। वृद्ध लोग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी अपने स्तर पर इसे सहजता से कर सकते हैं, जिससे इसकी सार्वभौमिकता सिद्ध होती है। योग का यह पक्ष विशेष रूप से आज के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए वरदान स्वरूप है जो दिनभर कुर्सी पर बैठकर कार्य करते हैं।

शक्ति निर्माण और हठयोग का महत्व

हठयोग केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने का एक सशक्त और वैज्ञानिक साधन है। यह योग की वह शाखा है जिसमें शरीर की शक्ति, सहनशक्ति, मानसिक एकाग्रता और जीवनी शक्ति को एक साथ विकसित किया जाता है। पश्चिम में यह धारणा प्रचलित रही है कि योग केवल स्ट्रेचिंग और सांसों का अभ्यास है, लेकिन हठयोग ने इसे झुठला दिया है। उदाहरण के लिए, शीर्षासन, चक्रासन, नौकासन, और अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे आसनों से शरीर की गहराई से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह अभ्यास आइसोमेट्रिक व्यायाम जैसा कार्य करता है, जहाँ शरीर की मांसपेशियां स्थिर रहते हुए शक्ति अर्जित करती हैं। इससे न केवल शारीरिक ताकत में वृद्धि होती है, बल्कि हृदय गति, रक्तचाप और मानसिक तनाव को भी संतुलित रखा जा सकता है। आजकल बहुत से योग प्रशिक्षक हठयोग को बॉडी वेट ट्रेनिंग के साथ जोड़कर अभ्यास करवाते हैं, जो अत्यधिक प्रभावी साबित हो रहा है।

योग से जीवनशैली में बदलाव और मानसिक सशक्तिकरण

योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवनशैली परिवर्तन की कुंजी है। नियमित योगाभ्यास तनाव, चिंता और क्रोध को कम करता है तथा मानसिक शांति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। प्राणायाम जैसे अभ्यास – नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, और कपालभाति – श्वसन तंत्र को सशक्त बनाते हैं और मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जिससे स्मरण शक्ति और एकाग्रता में सुधार होता है। ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास आत्म-जागरूकता और आत्मनियंत्रण को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति स्वयं की सीमाओं को पहचान कर उन्हें पार कर सकता है। योग अपनाने वाले कई लोगों ने बताया है कि उन्होंने बेहतर नींद, आत्मविश्वास में वृद्धि, और जीवन के प्रति एक नई ऊर्जा का अनुभव किया है। इसके अलावा, योग अप्रत्यक्ष रूप से वजन नियंत्रण, बेहतर पाचन, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ावा देता है, जिससे यह एक संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली बन जाता है।

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.