समय - सीमा 277
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साल में बारह महीने होते हैं और प्रत्येक महीने की अपनी-अपनी विशेषता होती है, लेकिन सावन का महीना मौसम और भावनाओं, दोनों दृष्टियों से विशेष माना जाता है। इस समय की हल्की-हल्की फुहारें, ठंडी हवाएं और हरियाली से भरपूर दृश्य वातावरण में ताजगी और रुमानियत भर देते हैं। मानो प्रकृति स्वयं उत्सव मना रही हो और चारों ओर सावन की बहार छा गई हो। 1967 में रिलीज़ हुई फ़िल्म "मिलन" का गीत "सावन का महीना, पवन करे सोर" इसी सावन ऋतु के रंग और राग को संगीतमय रूप में प्रस्तुत करता है। सुनील दत्त और नूतन पर फ़िल्माया गया यह गीत, गीतकार आनंद बक्षी द्वारा लिखा गया है और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के मधुर संगीत से सुसज्जित है। लता मंगेशकर और मुकेश की सुरीली आवाज़ ने इसमें ऐसी मिठास भरी है, जो इसे एक सदाबहार कृति बना देती है।
गीत के बोलों में सावन के मौसम का चित्रण बड़े ही सहज और जीवंत तरीके से किया गया है, पवन की सरसराहट, बारिश की फुहारें, हरियाली से सजे खेत-खलिहान और ग्राम्य जीवन की सरलता, सब कुछ शब्दों और धुन के जरिए सामने आ जाता है। यह गीत केवल बारिश का वर्णन नहीं करता, बल्कि उस समय के माहौल, लोगों की खुशियों और आपसी अपनत्व को भी उजागर करता है। इसकी सरल और आम बोलचाल की भाषा श्रोताओं को सीधे उनके अपने अनुभवों और यादों से जोड़ देती है।
संदर्भ-
https://shorturl.at/xTHC4