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रात के अंधेरे आसमान में जब हरे, बैंगनी और गुलाबी रंगों की धारियाँ लहराती हैं, तो वह दृश्य किसी जादू से कम नहीं लगता। इन्हें हम उत्तरी रोशनी या ऑरोरा बोरेलिस (Aurora Borealis) कहते हैं। यह घटना तब होती है जब सूर्य से आने वाली सौर हवाएँ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती हैं और उनके कण वायुमंडल की गैसों, जैसे ऑक्सीजन (oxygen) और नाइट्रोजन (nitrogen),से भिड़कर ऊर्जा छोड़ते हैं। यही ऊर्जा आकाश में रंगीन रोशनी का मनमोहक प्रदर्शन करती है।
इन रोशनियों के रंग भी गैसों पर निर्भर करते हैं, ऑक्सीजन हरे और पीले रंग की चमक पैदा करती है, जबकि नाइट्रोजन नीला और बैंगनी रंग बिखेरती है। यही वजह है कि उत्तरी आकाश रंग-बिरंगे रिबनों की तरह जगमगाता है। अगस्त से अप्रैल के बीच, खासकर रात 9 बजे से 2 बजे तक, नॉर्वे (Norway), स्वीडन (Sweden), आइसलैंड (Iceland) और कनाडा जैसे ध्रुवीय क्षेत्रों में इनका सबसे अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। उत्तरी रोशनी केवल विज्ञान की एक घटना नहीं, बल्कि इंसानी कल्पनाओं और मिथकों का हिस्सा भी रही है। कभी इन्हें वाइकिंग (Viking) योद्धाओं के कवच का प्रतिबिंब माना गया, तो कभी जादुई लोमड़ी की पूंछ की चिंगारियाँ। आज विज्ञान ने इनके रहस्य को उजागर कर दिया है, लेकिन इनका जादू अब भी मानव हृदय को उतना ही मोहित करता है।
संदर्भ-
https://shorturl.at/YL0Dp