फूलों की ख़ुशबू में रचा-बसा मेरठ: संस्कृति, परंपरा और बग़ीचों की एक सुगंधित दास्तान

गंध- ख़ुशबू व इत्र
21-10-2025 09:04 AM
फूलों की ख़ुशबू में रचा-बसा मेरठ: संस्कृति, परंपरा और बग़ीचों की एक सुगंधित दास्तान

मेरठ सिर्फ़ एक ऐतिहासिक शहर नहीं है, बल्कि यह उन जगहों में से एक है जहाँ हर मौसम, हर त्यौहार, और हर भावनात्मक क्षण फूलों की ख़ुशबू से सराबोर रहता है। यहाँ की संस्कृति किताबों में दर्ज इमारतों से नहीं, बल्कि मंदिरों की सीढ़ियों पर चढ़ती गेंदे की मालाओं, घरों की बालकनियों से झांकती चमेली की बेलों, और गलियों में सुबह-सवेरे सजती फूलों की टोकरी से जीवंत होती है। जब गांधी बाग़ की हरियाली में ताज़े गुलाबों की भीनी-भीनी महक घुलती है या मोहल्लों के नुक्कड़ों पर सफेद चंपा की हल्की ख़ुशबू हवा में तैरती है, तो लगता है जैसे पूरा मेरठ सांस ले रहा हो - एक ऐसे शहर की तरह, जो परंपरा और प्रकृति के बीच एक गहरा संवाद बनाए रखता है। यहाँ फूलों का अस्तित्व केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं - वे रिश्तों की गरिमा, आस्था की अभिव्यक्ति, और सामूहिक स्मृतियों के वाहक हैं। चाहे दीपावली की लक्ष्मी पूजा हो, किसी विवाह का मंडप, या फिर मंदिर में किया जाने वाला भजन-कीर्तन - मेरठ में हर पावन अवसर फूलों से ही पूर्ण होता है। इस शहर के लिए फूल कोई अलग से जोड़ी जाने वाली चीज़ नहीं, बल्कि जीवन के ताने-बाने में पहले से ही बुने हुए हैं। फूल यहाँ आस्था हैं, शृंगार हैं, और सबसे बढ़कर - एक सांस्कृतिक उत्तराधिकार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मोह और मुस्कान के साथ आगे बढ़ता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि मेरठ की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में फूलों का क्या विशेष स्थान है और कैसे यहाँ के मंदिरों, त्योहारों और दैनिक जीवन में फूलों की अहम भूमिका रही है। इसके बाद हम भारतीय धर्म, परंपरा और साहित्य में कमल, चमेली, चंपा जैसे फूलों के प्रतीकात्मक महत्व को समझेंगे। लेख में आगे मेरठ में उगने वाले सामान्य फूलों जैसे गुड़हल, पेरिविंकल (Periwinkle), लैंटाना (Lantana) और चमेली की विशेषताओं पर प्रकाश डाला जाएगा। फिर, हम गांधी बाग़ जैसे पार्कों और उनके फूलों से सजे सुंदर दृश्यों की अनुभूति करेंगे। अंत में, गुलाब, लिली और गुलदाउदी जैसे विशिष्ट फूलों की भूमिका और लोकप्रियता को भी विस्तार से देखेंगे।

मेरठ की संस्कृति और फूलों की परंपराएँ
मेरठ की पहचान जितनी इसके वीर सैनिकों और ऐतिहासिक योगदान से है, उतनी ही इसकी रंग-बिरंगी सांस्कृतिक परंपराओं और फूलों की खुशबूदार विरासत से भी है। यहाँ हर गली-मोहल्ले में फूलों की दुकानों की रौनक किसी त्योहार से कम नहीं लगती। सुबह के समय मंदिरों में अर्पित की जाने वाली फूलों की मालाएँ और विवाह-स्थलों पर गेंदे व गुलाब की सजावट केवल धार्मिक रस्में नहीं, बल्कि मेरठ की सामूहिक भावना का प्रतीक हैं। यहाँ का हर त्यौहार - चाहे वह दिवाली हो, होली या जन्माष्टमी - फूलों की उपस्थिति के बिना अधूरा लगता है। मेरठवासी फूलों को केवल सजावट के लिए नहीं, बल्कि रिश्तों में भावनाओं को प्रकट करने के एक माध्यम के रूप में देखते हैं। फूल यहाँ आस्था का प्रतीक हैं - देवी-देवताओं की पूजा से लेकर शृंगार तक, सब में फूलों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस प्रकार फूल मेरठ की सामाजिक आत्मा से गहराई से जुड़े हुए हैं।

भारतीय धर्म, परंपरा और साहित्य में फूलों का महत्व
भारतीय धर्मों और परंपराओं में फूल केवल दृष्टिगत सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि गहराई से आध्यात्मिक और भावनात्मक अर्थों के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। कमल का फूल, जो दलदल में खिलकर भी अपनी शुद्धता और सौंदर्य बनाए रखता है, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना में महत्वपूर्ण है। यह आत्मज्ञान और भौतिक समृद्धि दोनों का प्रतीक बन चुका है। इसी प्रकार, चमेली - जिसकी भीनी सुगंध राधा-कृष्ण की प्रेमगाथाओं में गूंथी हुई है - भारतीय काव्य और संगीत में एक स्थायी छवि बन चुकी है। गेंदे का फूल, जिसका प्रयोग मंदिरों, घरों और उत्सवों में सजावट के लिए किया जाता है, भारतीय आस्था की सरलता और रंगीनता दोनों को दर्शाता है। चंपा, जो भक्ति रस में उपयोग होता है, कालिदास जैसे कवियों की रचनाओं में पवित्रता और समर्पण का प्रतीक बनकर उभरता है। इन सभी फूलों का भारतीय साहित्य, धर्म और संस्कृति में गहराई से जुड़ाव यह दिखाता है कि फूल केवल वनस्पति नहीं, बल्कि भारतीय मानस का हिस्सा हैं।

मेरठ में पाए जाने वाले सामान्य फूल और उनकी विशेषताएँ
मेरठ का मौसम फूलों की कई सुंदर और उपयोगी प्रजातियों के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करता है। मेडागास्कर पेरिविंकल, जिसे कैथरान्थस रोज़ियस भी कहा जाता है, अपनी बहुरंगी पंखुड़ियों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी खेती मेरठवासियों द्वारा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि यह गर्मी और हल्की ठंड दोनों में पनपता है। गुड़हल, जो हर घर की बगिया में देखा जा सकता है, धार्मिक पूजा के साथ-साथ इसकी पत्तियों और फूलों का उपयोग आयुर्वेदिक उपचारों में होता है। अरबी चमेली की सुगंध न केवल बालों की सजावट में बल्कि पूजा में भी महत्वपूर्ण है - यह फूल स्थानीय समारोहों में पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता है। लैंटाना, भले ही कुछ क्षेत्रों में खरपतवार माना जाता हो, लेकिन इसके रंग-बिरंगे गुच्छेदार फूल बच्चों और बग़ीचों के शौकीनों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। क्रेप जैस्मीन (Crepe Jasmine), जिसे टैबरनेमोंटाना डिवेरीकाटा (Tabernaemontana Divaricata) के नाम से जाना जाता है, अपने सफेद, सुगंधित फूलों के कारण मेरठ के बाग़-बग़ीचों में एक पसंदीदा विकल्प बन चुका है।

मेरठ के बग़ीचों और पार्कों का सौंदर्य और खुशबूदार अनुभव
मेरठ के नागरिकों के लिए गांधी बाग़ केवल एक सार्वजनिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत पुष्प-उत्सव का स्थल है। यहाँ पर फूलों की बहुरंगी प्रजातियाँ जैसे डाहलिया (Dahlia), एस्टर (Ester), झूलते बास्केट्स (Swinging Baskets), बोंसाई (Bonsai) और सजावटी पौधे एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं। फूलों की प्रदर्शनी के दौरान पूरा वातावरण एक सौम्य खुशबू से भर जाता है, जिसमें बच्चे, बुज़ुर्ग और युवा सभी डूब जाते हैं। सेल्फ़ी (selfie) और फ़ोटोग्राफ़ी (photography) की भीड़ यह दिखाती है कि यह स्थान सिर्फ़ बग़ीचा नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का केंद्र बन चुका है। फ़व्वारों के साथ फूलों की सजावट एक त्योहार जैसा दृश्य उत्पन्न करती है, जो न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि बाहर से आने वालों को भी मोह लेती है। यह स्थल प्रकृति और समुदाय के बीच एक अद्भुत संवाद का उदाहरण है।

विशिष्ट फूलों की शोभा: गुलाब, लिली और गुलदाउदी
गुलाब, जिसे प्रेम और सौंदर्य का सार्वभौमिक प्रतीक माना जाता है, गांधी बाग़ के मुख्य आकर्षणों में से एक है। लाल, गुलाबी, पीले और सफेद रंगों में खिले गुलाब दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसकी पंखुड़ियों की कोमलता और भीनी ख़ुशबू इसे फूलों का राजा बनाती है। लिली, जो अपने विविध रंगों और पंखुड़ियों की सादगी के लिए जानी जाती है, यहां के बग़ीचों में सौंदर्य और शांति का सजीव चित्र बनाती है। सफेद लिली की शुद्धता, पीली की ऊर्जा और लाल लिली की गरिमा - ये सब गांधी बाग़ की रंगीनता में चार चाँद लगाते हैं। गुलदाउदी, जिसकी लगभग 30 प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं, अपनी रंगीन छटा के साथ-साथ कीटनाशक गुणों के लिए भी जानी जाती है। हज़ारा गेंदे, केसरिया और बनारसी गुलदाउदी जैसे नाम न केवल इसकी प्रजातियों को दर्शाते हैं, बल्कि इस बात का भी प्रमाण हैं कि यह फूल किसानों, बागवानी विशेषज्ञों और आम नागरिकों सभी के बीच लोकप्रिय है।

संदर्भ-
https://shorturl.at/uEeAq 



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