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दिवाली केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समृद्धि और धन की देवी, लक्ष्मी माता, की आराधना का भी अवसर है। दिवाली की संध्या में घरों में विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया जाता है। इसे इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि देवी लक्ष्मी धन, सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अगर भक्त सीधे भगवान विष्णु से प्रार्थना करें, तो देवी लक्ष्मी अपने आप प्रसन्न हो जाती हैं, लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि उनके आह्वान और पूजा से ही समृद्धि आती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी लक्ष्मी माता के साथ की जाती है, क्योंकि गणेश बुद्धि के देवता हैं और धन के सही उपयोग और विवेक को सुनिश्चित करते हैं।
लक्ष्मी पूजा का यह उत्सव धार्मिक अनुष्ठान होने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक पहलुओं से भी जुड़ा है। लोग नए निवेश, खरीददारी और घर की मरम्मत इस दिन शुभ मानकर करते हैं। यह अवसर परिवारों को एक साथ लाता है और समाज में सौहार्द और सामूहिक आनंद फैलाता है। वैश्विक स्तर पर भी दिवाली, और विशेषकर लक्ष्मी पूजा, भारतीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव है। नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर और अन्य देशों में भारतीय समुदाय अपने घरों को दीपों और रोशनी से सजाकर लक्ष्मी माता का स्वागत करता है।
इस प्रकार, दिवाली की संध्या केवल रोशनी का त्योहार नहीं बल्कि लक्ष्मी माता की आराधना और समृद्धि के लिए आध्यात्मिक एवं सामाजिक उत्सव भी है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/2have7uc
https://tinyurl.com/hh648x28
https://tinyurl.com/y7yphubj
https://tinyurl.com/bp84ejnk