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करी की उत्पत्ति को लेकर मुख्य बात यह है कि, करी भारतीय व्यंजनों से उत्पन्न हुई है, तथा इसे ब्रिटिशों द्वारा भारत से जापान में लाया गया था। जापानी नौसेना ने बेरीबेरी (Beriberi) रोग को रोकने के लिए करी को अपनाया और अब यह जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (Maritime Self-Defense Force) की खाद्य सूची में शामिल हो गयी है, जिसे प्रत्येक शुक्रवार को बनाया जाता है। 1960 के दशक के अंत में यह व्यंजन सुपरमार्केट (Supermarket) और रेस्तरां में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ तथा लोग इसे व्यापक रूप से खरीदने लगे। जापान में इसकी शुरुआत के बाद से इसे कई तरीकों से बनाया जा रहा है। इसका उपयोग इतना व्यापक है, कि इसे जापान का राष्ट्रीय व्यंजन कहा जा सकता है। एक सर्वेक्षण जिसमें लगभग 10,000 जापानी प्रतिभागियों ने भाग लिया था, के अनुसार वे एक दिन में कई बार करी का सेवन करते हैं। जापानी करी हल्की, गाढ़ी और मीठी होती है, हालांकि विभिन्न क्षेत्रों की अपनी भिन्नताएं हैं। जापान में करी के विभिन्न प्रकार मौजूद हैं, जिनमें कात्सु करी (Katsu karē), डोराई (Dorai) करी, मेज (Maze) करी, एगाके (Aigake) करी, याकी (Yaki) करी आदि शामिल हैं।
भारतीय करी और जापानी करी में मुख्य अंतर यह है, कि जापानी करी में कम मसालों का उपयोग किया जाता है, जबकि भारतीय करी में आमतौर पर जीरा, मिर्च, हल्दी, और कई अन्य तरह के मसाले डाले जाते हैं। भारतीय करी अत्यंत जीवंत और अनेकों स्वादों में मौजूद हैं। व्यंजन में मिलायी जाने वाली सामग्रियों में भी विभिन्नता है। पारंपरिक जापानी करी में प्याज, गाजर और आलू जैसी सब्जियों के साथ मांस भी मिलाया जाता है, जबकि भारतीय करी विविधता से भरी हुई है, जिसमें मलाईदार, मसालेदार, या शाकाहारी करी को प्राथमिकता दी जाती है। धार्मिक प्रथाओं के कारण, गोमांस का सेवन नहीं किया जाता, हालांकि चिकन या मटन का उपयोग किया जा सकता है। मांस के उपलब्ध न होने पर दाल का भी उपयोग किया जाता है। भारतीय करी और जापानी करी के बीच अंतर करना उचित नहीं होगा, क्यों कि, प्रत्येक का अपना अनूठा और विशिष्ट स्वाद है। दोनों में से कौन अधिक अच्छी है, यह मुख्य रूप से खाने वाले के स्वाद पर निर्भर करता है।