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मेरठ की जमीन हिमालय से बहती नदियों द्वारा लायी जलोढ़ गाद से उर्वर है लेकिन मेरठ में खनिज़ सम्पदा नहीं के बराबर है। जो उपलब्ध हैं वे ना तो ज्यादा हैं और नाही ही महत्वपूर्ण। डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ़ आग्रा एंड औध (1904) के अनुसार कभी मेरठ में विस्तीर्ण नमक क्षेत्र था। ये इलाका गाज़ियाबाद और बुलंदशहर के तरफ के जमीन में स्थित था। ये जमुना किनारे के खिदिर जमीन, लोनी शहर से लेकर बुलंदशहर के दादरी परगना तक फैला हुआ था। 1883 में नमक उत्पादन पर बहुत रोक लगाई गयी थी लेकिन उसके पहले हरसाल नमक का उत्पादन बहुत ज्यादा मात्रा में होता था। यहाँ पर रेह और शोरा भी मिलता था। रेह का इस्तेमाल कांच बनाने में और धोबी कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल में लाते थे। कंकड़ यहाँ का सबसे महत्ववपूर्ण खनिज़ है। इसे चुना बनाने के लिए और वास्तु या रास्ता निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। डायरेक्टरेट ऑफ़ जियोलॉजी एंड माइनिंग, उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ के डिस्ट्रिक्ट सर्वे (जिला सर्वेक्षण) के लिए एक प्रस्ताविक रिपोर्ट प्रस्तुत किया है। उसके अनुसार वे मेरठ में उपलब्ध बालू और उसके प्रकार तथा ऐसी जगहों का सर्वेक्षण करेंगे जहाँ पर खान-खुदाई कर ऐसे खनिज़ अथवा बालू उपलब्ध हो सके। प्रस्तुत प्रतिनिधिक चित्र में मेरठ के उपलब्ध रेत आदि का है। 1.डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ़ आग्रा एंड औध (1904) 2.डायरेक्टरेट ऑफ़ जियोलॉजी एंड माइनिंग, उत्तर प्रदेश सरकार http://mineral.up.nic.in/ongoing_mineral.htm 3.डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट, मेरठ, 2016