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छिपकलियों को अक्सर एक डरावने और घृणापूर्ण जीव के रूप में देखा जाता है। कुछ लोग तो इन छोटे-छोटे जीवों से इतना डरते हैं कि, इनसे बचने की हड़बड़ी में कई बार खुद को चोटिल भी कर देते हैं। लेकिन इन कुछ लोगों के साथ-साथ इन छिपकलियों से बीमारियां फ़ैलाने वाले मच्छर, मकड़ी, भृंग, पतंगे और झींगुर जैसे हानिकारक कीट भी दूर ही रहते है, क्यों की ये कीट, घरों में देखी जाने वाली सबसे आम छिपकली "गेको (geckos)" का पसंदीदा शिकार होते हैं। इसके अलावा सनातन धर्मं में इस अनोखे जीव को विशेष स्थान दिया गया है।
भारतीय पौराणिक कथाओं में, जानवरों को हमेशा से ही उच्च स्थान दिया गया है। यहां तक कि विनम्र घरेलू छिपकली भी इन किवदंतियों में विशेष स्थान पाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं में छिपकलियों के अध्ययन पर एक पूरा पाठ समर्पित है, जिसे गौली शास्त्र (Gauli Shastra) कहा जाता है। माना जाता है कि छिपकली, स्वरभानु नामक एक असुर के शरीर, “केतु” का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका सिर, भगवान विष्णु ने काट दिया था। इस मान्यता के अनुसार छिपकली के हर पहलू, (उसकी चहचहाहट से लेकर हमारे शरीर के जिस हिस्से पर वह गिरती है!) का एक खास अर्थ निकलता है।
आइए छिपकली के शरीर में गिरने से जुड़े कुछ संकेतों के बारे में विस्तार से जानते हैं :
१. दाहिना हाथ: गौली शास्त्र के अनुसार छिपकली, यदि आपके दाहिने हाथ पर गिरती है, तो यह दर्शाता है कि, आप समाज में आगे बढ़ेंगे या निकट भविष्य में रोमांच का अनुभव करेंगे।
२. बायीं भुजा: इसके विपरीत यदि छिपकली ,आपके बायें हाथ पर गिरे तो इसका अर्थ है कि आपको आर्थिक हानि हो सकती है।
३. सिर: भारत के उत्तरी क्षेत्रों में, आपके सिर पर छिपकली गिरना सौभाग्यपूर्ण माना जाता है। यह समृद्धि, धन लाभ और प्रगति का संकेत माना जाता है। हालाँकि, यदि छिपकली किसी धनी व्यक्ति के सिर पर गिरती है, तो यह माना जाता है कि उसका धन धीरे-धीरे कम हो सकता है।
४.दो छिपकलियां: यदि आप दो छिपकलियों को संभोग करते हुए देखते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि आपका सामना किसी पुराने मित्र से होगा। वहीं दूसरी ओर यदि आप छिपकलियों को लड़ते हुए देखते हैं तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि, आपका किसी से विवाद होगा।
५.मरी हुई छिपकली: मरी हुई छिपकली को देखना अशुभ संकेत माना जाता है।
६.नया घर: कुछ लोगों का मानना है कि अपने नए घर में छिपकली देखना, देवी लक्ष्मी के घर में प्रवेश करने, समृद्धि और सौभाग्य आने का संकेत है।
७.रेंगना: जब छिपकली आपके शरीर के ऊपर से नीचे की ओर रेंगती है, तो इसे आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
८.ठोड़ी या आंखों पर गिरना किसी कर्म की सजा मिलने का संकेत दे सकता है। 
९.ऊपर और नीचे के होठों पर गिरना क्रमशः धन की हानि और लाभ को दर्शाता है। 
हालांकि यदि छिपकली का गिरना कोई अशुभ संकेत देता है, तो गौली शास्त्र में, इससे बचने के लिए तत्काल स्नान करने, मंदिर जाने, प्रार्थना कक्ष में दीपक जलाने, मंत्रों का जाप करने और दान करने जैसे उपायों को भी सुझाया गया है। तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम तीर्थ-नगर में स्थित वरदराज पेरुमल (Varadaraja Perumal Temple) मंदिर में, सोने और चांदी की छिपकलियां हैं, जो सूर्य और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसा माना जाता है कि, इन छिपकलियों को छूने से भूत या भविष्य में छिपकली गिरने से होने वाला कोई भी नकारात्मक प्रभाव दूर हो सकता है। हलांकि ये मान्यताएं और प्रथाएं, प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं में मिलती हैं और इनके कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलते हैं।  ये मान्यताएं पीढ़ियों से चली आ रही हैं तथा सांस्कृतिक परंपराओं और लोककथाओं का एक हिस्सा हैं।
पौराणिक कथाओं में भले ही ये छिपकलियां अच्छी या बुरी हो सकती हैं, लेकिन आज वास्तविक जीवन में यह हमारे लिए लाभदायक साबित हो रही हैं। इन लाभों को हम हमारे घरों में आमतौर पर देखी जाने वाली, एशियन हाउस गेको (Asian House Gecko) नामक एक छोटी सी छिपकली के उदाहरण से समझेंगे! गेको छिपकली: मच्छरों, मकड़ियों, भृंगों, पतंगों, झींगुरों जैसे हर उस कीड़े या कीट को खा सकती है, जिसे वह पकड़ सकती है। एक वयस्क गेको छिपकली 7 से 15 सेंटीमीटर लंबी हो सकती है। यह सरीसृप रात में सक्रिय रहती है और दिन में आराम करना पसंद करती है।  ये सरीसृप लगभग 5 साल तक जीवित रह सकते हैं और साल भर अंडे देते हैं। इनके अंडे सख्त और सफेद होते हैं।
एशियन हाउस गेको के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि, “इसकी पूंछ कटने के बाद फिर से निकल आती है।” किसी शिकारी से खतरा महसूस होने पर यह अपनी पूंछ को, शरीर से अलग कर सकती है। अलग होने के बाद भी इसकी पूँछ हिलती रहती है, तथा शिकारी का ध्यान भटकाती है और तब तक छिपकली भाग जाती है। इसके कुछ ही दिनों के बाद, छिपकली की पूँछ फिर से बढ़ जाती है।
गेको की आंखें अनोखी होती हैं, क्यों कि इनकी पलकें नहीं होती हैं। अपनी आंखों को साफ रखने के लिए छिपकली इन्हे अपनी जीभ से चाटती है। गेको की उंगलियों की पकड़ भी मजबूत होती है, जो उन्हें दीवारों, चट्टानों और यहां तक कि छत से चिपकने की अनुमति देते हैं। यद्यपि अधिकांश लोग इस छिपकली से बिना कारण के डरते हैं। वास्तव में, गेको डरपोक और शर्मीले जीव होते हैं जो इंसानों से डरते हैं। इनसे हमें कोई खतरा नहीं होता है
नीचे गेको से जुड़े कुछ सामान्य मिथक दिए गए हैं:
१.  गेको जहरीले नहीं होते हैं और काटते नहीं हैं। वे मनुष्यों में कोई संक्रमण या रोग नहीं पहुँचाते हैं।
२. छिपकली के संपर्क में आने से त्वचा में कोई संक्रमण नहीं होता है।
३. उनका मल या मूत्र भी नुकसान नहीं पहुंचाता है, हालांकि फिर भी स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
संदर्भ 
https://bit.ly/44R7Kdf
https://bit.ly/3nY6FzW
https://bit.ly/3NZh1Kp
 चित्र संदर्भ
1. हाथ में रखी एक छिपकली से डरती महिला को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
2. एक पतंगे को खाती गेको को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक छिपकली को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
4. तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम तीर्थ-नगर में स्थित वरदराज पेरुमल मंदिर में, सोने और चांदी की छिपकलियां हैं, जो सूर्य और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
5. एशियन हाउस गेको को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)