रेगिस्तान के रेतीले टीलों में भी मनोहारी संगीत से समां बांध देता है, मोरचंग

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
28-05-2023 07:49 AM
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भारत के गजल सम्राट रहे जगजीत सिंह जी की एक सुप्रसिद्ध गजल शायद आपने भी सुनी होगी, “होठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो!" लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि राजस्थान में 'मोरचंग' नामक एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसे होठों के बीच में रखकर बजाया जाता है, और जो इस प्यारी-सी गजल के शब्दों को चरितार्थ करता है! प्रिय पाठकों, मोरचंग राजस्थान का एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है जो राजस्थानी संगीत और दास्तानगोई परंपरा की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह लोहे और पीतल से बना होता है, घोड़े की नाल के आकार का होता है, और एक यहूदी वीणा (Jew’s harp) के समान दिखता है। मोरचंग न केवल राजस्थान, बल्कि कर्नाटक संगीत संस्कृति में भी लोकप्रिय है। राजस्थान में फैले, रेत के टीलों के रंग, परिदृश्य, और इधर के सुंदर, रंग बिरंगे पहनावों और सजावटों की उमंग को सुरों में पिरोता मोरचंग, हमेशा से ही लोक प्रदर्शनों और अनुष्ठानों का हिस्सा रहा है, और साथ ही समुदायों व उनकी परंपराओं के उत्सव, जुड़ाव, और संरक्षण का प्रतीक बन गया है।, एसडी और आरडी बर्मन द्वारा रचित लोकप्रिय बॉलीवुड गीतों में भी इसकी अनूठी धुन को सुना जा सकता है। हालांकि मोरचंग बजाना एक कठिन और जोखिम भरा काम माना जाता है, जो समय के साथ कलाकारों की सुनने की क्षमता और मौखिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। प्रशंसनीय बात तो यह है कि इन खतरों को जानते हुए भी मोरचंग बजाने वाले संगीतकारों ने, अपनी कला के प्रति उत्साह और समर्पण को कभी कम नहीं होने दिया। इस अविश्वसनीय और आकर्षक वाद्य यंत्र की मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुनों का आप भी ऊपर दिए गए वीडियो को देखकर, आज रविवार का आनंद दोगुना कर सकते हैं।