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                                            विश्व के हृदय रोगियों के इलाज हेतु, उनकी पहली पसंद बन रहा है, भारत !
भारत में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो हृदय से संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में भारत ‘दक्षिण-पूर्व एशिया में हृदय उपचार के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है।’ विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आकर हृदय रोगों का इलाज करवा रहे हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी - क्रिसिल के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में चिकित्सा हेतु भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग 7.3 मिलियन होने का अनुमान है! यह संख्या, 2023 के अनुमानित 6.1 मिलियन से अधिक है। इसमें से एक बड़ी संख्या हृदय रोगियों की है। इसलिए आज विश्व जन्मजात हृदय दोष जागरूकता दिवस (World Congenital Heart Defect Awareness Day) के अवसर पर हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि भारत दुनिया भर से इतने हृदय रोगियों को क्यों आकर्षित कर रहा है। इसके तहत, हम भारत में हृदय उपचार की लागत की तुलना अन्य विकसित देशों से करेंगे। साथ ही, भारतीय चिकित्सा पर्यटन उद्योग में हाल के वर्षों में आई तेज़ी पर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, भारत में हृदय रोगियों के निदान और उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ उन्नत तकनीकों पर भी प्रकाश डालेंगे। अंत में, यह भी जानेंगे कि 3डी प्रिंटिंग तकनीक जन्मजात हृदय रोग के इलाज में कैसे सहायक हो रही है।
जानकारों के अनुसार भारत में कम उपचार लागत और उच्च विशेषज्ञता स्तर ने इसे पश्चिम एशियाई और अफ़्रीकी देशों के लोगों के लिए हृदय उपचार का प्रमुख गंतव्य बना दिया है। यहाँ हृदय उपचार की दरें अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में 1/10 से 1/15 तक कम हैं। भारत में इलाज कराने वाले लोग पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ-साथ बल्कि नाइजीरिया, कीनिया, युगांडा, कज़ाकिस्तान, ईरान, इराक, यमन और ओमान जैसे दूरस्थ देशों से भी आते हैं। वैश्विक मानकों की तुलना में भारत में किसी भी प्रकार की हृदय सर्जरी की लागत बहुत कम है। उदाहरण के लिए, कोरोनरी एंजियोग्राफ़ी (Angiography (एक प्रक्रिया जिसमें कोरोनरी धमनियों का आंतरिक भाग दिखाने के लिए डाई और विशेष एक्स-रे का उपयोग किया जाता है)) भारत में मात्र 10,000 से 15,000 रुपये में हो जाती है। वहीं, अमेरिका में इसकी लागत लगभग 500 डॉलर (32,000 रुपये) होती है। बच्चों में हृदय रोग के उपचार की लागत भी यूरोपीय देशों की तुलना में यहाँ 10 से 15 गुना कम है।
विदेशी रोगियों के बीच सबसे लोकप्रिय उपचार क्या हैं?
विदेशी रोगियों के बीच भारत आकर किये जाने वाले सबसे लोकप्रिय उपचारों में एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) शामिल है। इसमें कोरोनरी धमनी में रुकावट को खोलने और स्टेंट लगाने का काम किया जाता है। इसके अलावा, ओपन हार्ट सर्जरी भी प्रमुख है, जिसमें हृदय के छिद्र बंद किए जाते हैं और संकीर्ण वाल्व खोले जाते हैं। इसके साथ ही धीमी हृदय गति के इलाज के लिए कृत्रिम पेसमेकर लगाना भी काफी प्रचलित हो गया है।
हाल के वर्षों में भारतीय चिकित्सा पर्यटन उद्योग में वृद्धि के कारण निम्नवत दिए गए हैं:
1) विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ: भारत में अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं का एक बड़ा और उन्नत नेटवर्क है। यह नेटवर्क अमीर देशों के अस्पतालों की बराबरी कर सकता है। यहाँ के कई अस्पतालों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और प्रमाणन प्राप्त है। यह प्रमाणन उनकी उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल को साबित करता है। भारत में अंतरराष्ट्रीय मरीज़ों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आधुनिक तकनीक, अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा और योग्य चिकित्सा कर्मी आसानी से उपलब्ध हैं।
2) किफायती उपचार: भारत में चिकित्सा सेवाएँ बेहद किफ़ायती हैं। यहाँ ऑपरेशन, अंग प्रत्यारोपण और दंत चिकित्सा जैसी प्रक्रियाएँ बहुत कम लागत पर हो जाती हैं। साथ ही, उपचार की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाता। पश्चिमी देशों की तुलना में, यहाँ चिकित्सा सेवाएँ एक अंशमात्र कीमत पर उपलब्ध हैं।
3) कुशल चिकित्सा पेशेवर: भारत में उच्च शिक्षित और अनुभवी डॉक्टरों, सर्जनों और चिकित्सा विशेषज्ञों की बड़ी संख्या है। यहाँ के कई डॉक्टरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्रशिक्षण और शिक्षा ली है। उनके कौशल और अनुभव ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मरीज़ों के लिए एक भरोसेमंद चिकित्सा गंतव्य बना दिया है।
4) भाषा की सुविधा: भारत में अंग्रेज़ी व्यापक रूप से बोली और समझी जाती है। इस कारण विदेशी मरीज़ों के साथ संवाद आसान हो जाता है। जिन देशों में भाषा की बाधा होती है, वहाँ यह एक बड़ी समस्या बन सकती है। लेकिन भारत में यह समस्या नहीं होती, जिससे मरीज़ बिना किसी रुकावट के अपनी चिकित्सा सेवा ले सकते हैं।
इन सभी कारणों ने, भारत को चिकित्सा पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बना दिया है। यहाँ कम लागत, उन्नत सुविधाएँ और अनुभवी डॉक्टर अंतरराष्ट्रीय मरीज़ों के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प प्रदान करते हैं।
आइए, अब भारत में हृदय रोगियों के निदान और उपचार के लिए उपलब्ध उन्नत तकनीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1) इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS): इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आई वी यू एस) एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसका उपयोग हृदय रोगों के निदान और उपचार में किया जाता है। यह तकनीक, विशेष रूप से परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (Percutaneous coronary intervention (PCI)) के दौरान उपयोगी साबित होती है। आई वी यू एस से कोरोनरी धमनियों की अंदरूनी छवियाँ उच्च-रिज़ॉल्यूशन में प्राप्त होती हैं। इसके लिए एक विशेष कैथेटर का उपयोग किया जाता है, जिसे अल्ट्रासाउंड जांच के साथ धमनी में डाला जाता है। इस तकनीक से डॉक्टर वास्तविक समय में धमनी की दीवारों, प्लाक बिल्डअप और स्टेंट की स्थिति को देख सकते हैं।
2) बायोएब्जॉर्बेबल पॉलीमर ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट (DES): यह तकनीक हृदय उपचार में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है। बायोएब्जॉर्बेबल पॉलीमर स्टेंट धमनी में रक्त प्रवाह को सामान्य करता है और रेस्टेनोसिस (धमनियों के फिर से संकीर्ण होने) को रोकता है। ये स्टेंट दवा छोड़ते हैं, और दवा निकलने के बाद उनका पॉलीमर कुछ महीनों में अवशोषित हो जाता है। इससे धमनी तेज़ी से ठीक होती है और मरीज़ को बेहतर परिणाम मिलते हैं।
3) ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट: ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट, महाधमनी वाल्व रोग से ग्रस्त रोगियों के लिए एक क्रांतिकारी प्रक्रिया है। यह उन मरीज़ों के लिए ख़ासतौर पर उपयोगी साबित होती है, जिन्हें ओपन-हार्ट सर्जरी का जोखिम अधिक होता है। इस प्रक्रिया में एक कोलैप्सिबल वाल्व को कैथेटर के माध्यम से महाधमनी वाल्व में लगाया जाता है। यह तकनीक सर्जरी की तुलना में बहुत कम आक्रामक है। इससे बहुत कम समय में मरीज़ की रिकवरी हो जाती है और शारीरिक आघात भी कम होता है। ऐसे मरीज़, जिनके पास अन्य विकल्प नहीं होते, उनके लिए यह प्रक्रिया जीवन रक्षक सिद्ध होती है।
4) सबक्यूटेनियस इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफ़िब्रिलेटर और हृदय की लय प्रबंधन: पारंपरिक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफ़िब्रिलेटर (एस आई सी डी) को हृदय में रक्त वाहिकाओं और कक्षों के अंदर डाला जाता है। हालांकि यह प्रभावी है, लेकिन इसमें संक्रमण और लीड से जुड़ी जटिलताओं का खतरा रहता है। इसके विपरीत, सबक्यूटेनियस इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफ़िब्रिलेटर एक कम आक्रामक विकल्प प्रदान करती है।
5) अचानक कार्डियक अरेस्ट (Sudden cardiac arrest) की रोकथाम में एस आई सी डी: अचानक कार्डियक अरेस्ट (SCA) एक खतरनाक स्थिति होती है, जिसमें हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है। एसआईसीडी ख़तरनाक अतालता का तुरंत पता लगाकर उसे ठीक करता है। यह तकनीक उच्च जोखिम वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करती है। इसके कारण मरीज़ अपने हृदय स्वास्थ्य की चिंता किए बिना बेहतर और संतोषजनक जीवन जी सकते हैं।
6) 3D प्रिंटिंग: 3D प्रिंटिंग एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease (सी एच डी) ) के उपचार में मदद कर रही है। यह तकनीक चिकित्सा देखभाल के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को सुधारने में सक्षम है। इसका उपयोग सर्जरी की योजना बनाने और सटीक सिमुलेशन करने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग सर्जरी के दौरान जटिलताओं को कम कर सकता है, जिससे प्रक्रिया अधिक सटीक बनती है।
इस तकनीक का एक और लाभ यह है कि यह प्रशिक्षण में सहायक होती है। 3D मॉडल, डॉक्टरों को प्रक्रियाओं का अभ्यास करने का अवसर देते हैं। इससे सीखने की प्रक्रिया तेज़ होती है और डॉक्टर अधिक कुशल होते हैं। इसके अलावा, यह बहु-विषयक चिकित्सा टीमों के बीच संचार को भी बेहतर बनाता है, जिससे चिकित्सा त्रुटियाँ कम हो सकती हैं। 3D प्रिंटिंग मॉडल मरीज़ों और उनके परिवारों को भी इलाज की प्रक्रिया में शामिल कर सकते हैं। इससे वे बेहतर तरीके से इलाज के निर्णय में भाग ले सकते हैं। इसके माध्यम से, साझा निर्णय लेने में मदद मिलती है, जिससे मरीज़ का इलाज और अधिक प्रभावी हो सकता है।
अंततः, 3D मॉडल, चिकित्सा अनुसंधान में भी योगदान करते हैं। ये मॉडल बुनियादी विज्ञान, अनुवाद और नैदानिक जांच को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। हालांकि, इन लाभों को पूरी तरह से मापने के लिए और अधिक डेटा की आवश्यकता है। शुरुआत में जो परिणाम मिले हैं, वे बहुत सकारात्मक हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2bg7l2fk
https://tinyurl.com/2d35q4pg
https://tinyurl.com/28mrvo84
https://tinyurl.com/249djk6l
मुख्य चित्र स्रोत: Wikimedia