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                                            आपने अभी हाल ही में महाकुंभ, प्रयागराज में एवं दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटनाओं के बारे में अवश्य ही सुना होगा। वास्तव में, भारत जैसे हमारे देश में, जहां जनसंख्या बहुत ज़्यादा है, अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। भगदड़ मानवजनित एक ऐसी त्रासदी है जिसमें जान और माल दोनों की हानि होती है। भगदड़, अक्सर किसी कथित खतरे की प्रतिक्रिया के रूप में, स्थान की कमी के कारण या किसी वस्तु को पहले प्राप्त करने की होड़ से उत्पन्न होती है। तो आइए, आज भगदड़, इसके प्रकारों और कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके साथ ही, भगदड़ के दौरान श्वासावरोध अर्थात दम घुटने (Asphyxiation) की समस्या और इसके प्रभावों के बारे में जानेंगे। इस संदर्भ में, हम इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि इस प्रकार की चिकित्सा समस्या के प्रति कौन से लोग सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि सी पी आर द्वारा श्वासावरोध से पीड़ित लोगों की मदद कैसे करें। अंत में, हम भगदड़ के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय के बारे में जानेंगे।
भगदड़ के प्रकार:
भगदड़ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
भगदड़ में योगदान देने वाले कारक:
मनोवैज्ञानिक कारक: भगदड़ का प्राथमिक या मूल कारण, लोगों में किसी अफ़वाह अथवा घटना से उत्पन्न होने वाली होने वाली घबराहट है। ऐसी स्थिति में व्यक्तिगत अस्तित्व की प्रवृत्ति हावी हो जाती है और लोग एक दूसरे का सहयोग करना बंद कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भगदड़ मच जाती है।
पर्यावरण और डिज़ाइन तत्व:
श्वासावरोध क्या है, यह भगदड़ के दौरान मौत का सबसे आम कारण क्यों है:
जबकि भगदड़ के दौरान कई लोग गिर जाते हैं, जिससे पैरों के नीचे दब जाते हैं, भगदड़ में मृत्यु का सबसे आम कारण श्वासावरोध है, एक खतरनाक स्थिति जो तब होती है जब शरीर पर बाहरी दबाव के कारण व्यक्ति सांस नहीं ले पाता है। श्वसन के माध्यम से हमारे फेफड़ों के अंदर और बाहर ऑक्सीजन का प्रवाह होता है। भगदड़ के दौरान भीड़ में फंसे लोग, एक-दूसरे के ऊपर गिरते जाते हैं। जिसके कारण उनको हिलने-डुलने की कोई जगह नहीं मिलती है। परिणामस्वरुप, इससे श्वसन को नियंत्रित करने वाली डायाफ़्राम नामक एक प्रमुख मांसपेशी का सिकुड़ना और फैलना सीमित हो जाता है, जिसका अर्थ है कि हवा फेफड़ों में प्रवेश या निकास नहीं कर पाती है। ऐसा होने पर, शरीर में तेज़ी से कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) का निर्माण और ऑक्सीजन की कमी होती है जो श्वासावरोध का कारण बन सकता है। मानव शरीर ऑक्सीजन के बिना लंबे समय तक कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि इससे जल्दी ही अंग विफलता और मस्तिष्क मृत्यु हो सकती है।
भगदड़ के दौरान श्वासावरोध का खतरा सबसे अधिक किसे होता है:
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में श्वासावरोध का खतरा अधिक होता है, क्योंकि महिलाओं की छाती में ऊपरी फ्रेम आम तौर पर छोटा और शरीर द्रव्यमान अधिक होता है। अगर भगदड़ के दौरान वहां दबाव डाला जाए, तो इसका असर महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
सीपीआर के द्वारा श्वासावरोध से पीड़ित लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं:
श्वासावरोध से पीड़ित लोगों को, यदि समय पर प्राथमिक चिकित्सा उपचार, जैसे कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (cardiopulmonary resuscitation (CPR)) मिले तो उन्हें बचाया जा सकता है। श्वासावरोध या कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) जैसी बीमारियों के शिकार लोगों को चार मिनट के बाद अपूरणीय मस्तिष्क क्षति हो सकती है। सीपीआर आपातकालीन चिकित्सा उपचार आने तक मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजनयुक्त रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। सी पी आर (CPR) देने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि व्यक्ति अभी भी सांस ले रहा है। यदि 10 सेकंड में नाड़ी या श्वसन का कोई संकेत नहीं मिलता है, तो सीपीआर शुरू करें। याद रखें, जब अचानक कार्डियक अरेस्ट होता है, तो हर सेकंड मायने रखता है। यदि आप जानते हैं कि सी पी आर कैसे किया जाता है, तो आप किसी के जीवित रहने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। सी पी आर के लिए निम्न चरणों का पालन करें:
चरण 1. चिकित्सा आपातसेवा को कॉल करें:
सबसे पहले, चारों ओर ऐसी किसी भी चीज़ को देखें जिससे खतरा हो सकता है, जैसे कि ईंट का गिरना, यातायात, या आग। उसके बाद उस व्यक्ति की जांच करें। उसके कंधे थपथपाएं और ठीक न लगने पर चिकित्सा आपातसेवा को कॉल करें।
चरण 2. व्यक्ति को उसकी पीठ के बल लिटाएं:
सी पी आर शुरू करने के लिए, पीड़ित व्यक्ति को पीठ के बल लिटाएं; हालाँकि, यदि व्यक्ति को सिर या गर्दन में चोट लगती है, तो उसके शरीर की स्थिति बदलते समय सावधानी बरतें। जब व्यक्ति अपनी पीठ के बल सीधा लेटा हो, तो उसके सिर को पीछे झुकाएं और धीरे से उसके जबड़े को ऊपर उठाएं।
चरण 3. पीड़ित की श्वास की जाँच करें:
जाँच करें कि पीड़ित सांस ले रहा है या नहीं। अपना कान उनके मुँह पर रखें और इसे दस सेकंड तक सुनें। यदि आपको सांस लेने का कोई सबूत सुनाई या दिखाई न दे, तो तुरंत सी पी आर शुरू करें। यदि व्यक्ति को कभी-कभी सांस लेने में परेशानी हो रही हो तो भी आपको सीपीआर शुरू कर देना चाहिए। यदि पीड़ित बेहोश है और सामान्य रूप से सांस ले रहा है, तो आपको सी पी आर देने की आवश्यकता नहीं है।
चरण 4. छाती को 30 बार दबाएं:
सी पी आर देने के लिए, छाती के ऊपर एक हाथ को दूसरे हाथ के ऊपर रखकर और अपनी उंगलियों को आपस में फंसाकर छाती को दबाना शुरू करें। अपने हाथों को अपनी छाती के बीच में, छाती की हड्डी के ठीक नीचे रखें, अपनी बाहों को सीधा करें, अपने पूरे शरीर का वज़न डालें और कम से कम दो इंच गहराई तक मज़बूती से दबाएं, 100 से 120 प्रति मिनट की दर से दबाव डालें।
चरण 5. साँसें दें:
पीड़ित के सिर को थोड़ा पीछे झुकाएं और उसकी ठुड्डी को ऊपर उठाएं। उसकी नाक को कसकर दबाएं, अपना मुंह पूरी तरह से उसकि नाक पर रखें और उनकी छाती को ऊपर उठाने के लिए फूंक मारें। यदि प्रारंभिक सांस के साथ पीड़ित की छाती ऊपर नहीं उठती है तो पीड़ित के सिर को पीछे झुका लें। यदि दूसरी सांस के साथ छाती ऊपर नहीं उठती है, तो व्यक्ति का दम घुट सकता है।
चरण 6. चक्र दोहराएं:
छाती को 30 बार दबाने और दो बचाव सांसों के चक्र को तब तक दोहराएं जब तक कि पीड़ित सांस लेना शुरू न कर दे और पेशेवर चिकित्सा सहायता न आ जाए।
भीड़ में सुरक्षित रहने के उपाय:
यदि आप किसी भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम जैसे संगीत कार्यक्रम या खेल कार्यक्रम में भाग लेने की योजना बना रहे हैं, तो सुरक्षित रहने के लिए पहले से योजना बनाएं। अपनी सुरक्षा के लिए आप यहां कर सकते हैं:
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : pxhere