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                                            रामपुर के नागरिकों, नीलम एक कीमती रत्न है, जो अपनी गहरी नीली रंगत के लिए जाना जाता है, हालांकि यह और भी रंगों में पाया जाता है। यह कीमती रत्न पृथ्वी की गहराई में उच्च दबाव और तापमान के तहत स्वाभाविक रूप से बनते हैं। भारत में, नीलम ज्यादातर कश्मीर क्षेत्र में पाए जाते हैं और अपनी सुंदर नीली रंगत के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। नीलम खनन में नदियों की घाटियों में चट्टानों या बजरी बिस्तरों को खोदकर, अक्सर खुले खदानों या छोटे पैमाने पर हाथ से काम करके किया जाता है। खनन के बाद, इन रत्नों को साफ़ किया जाता है, काटा जाता है और आभूषण बनाने के लिए पॉलिश किया जाता है। नीलम न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि यह ज्ञान, राजसी ठाट-बाट और सुरक्षा का प्रतीक भी होते हैं।
आज हम नीलम के बारे में चर्चा करेंगे – इसके उत्पत्ति और स्रोत, यह कैसे बनता है और दुनिया भर में कहां पाया जाता है। इसके बाद हम नीलम खनन की विधियों के बारे में जानेंगे, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक तरीके शामिल हैं। फिर हम भारत से नीलम के निर्यात पर चर्चा करेंगे। अंत में, हम नीलम के बाज़ार की जानकारी पर भी विचार करेंगे।
 
नीलम - उत्पत्ति और स्रोत
नीलम दुनिया के कुछ ही स्थानों पर पाया जाता है। नीले नीलम के लिए तीन प्रमुख क्षेत्र कश्मीर, बर्मा और श्रीलंका हैं। नीलम कंबोडिया (Cambodia), थाईलैंड (Thailand), वियतनाम (Vietnam) और भारत में भी खनन किया गया है। 2007 से, मेडागास्कर (Madagascar) नीलम उत्पादन में दुनिया में सबसे आगे रहा है, हालांकि श्रीलंका अभी भी उच्च गुणवत्ता वाले नीले नीलम का मुख्य उत्पादक है। श्रीलंका और मेडागास्कर नीलम के विभिन्न रंगों में नीलम का उत्पादन करते हैं। जबकि श्रीलंका सदियों से नीलम का एक जाना-माना स्रोत रहा है, मेडागास्कर में नीलम के खजाने का पता केवल 1998 में चला था। आज, मेडागास्कर और तंज़ानिया (Tanzania) को नीलम के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से दो माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया भी नीलम के बड़े भंडार के लिए जाना जाता है, हालांकि अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई नीलम का रंग गहरा होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, मोंटाना (Montana) और नॉर्थ कैरोलिना (North Carolina) में छोटे नीलम भंडार पाए जाते हैं।
सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाला नीला नीलम, कश्मीर और मोगोक (Mogok), बर्मा से आता है। सबसे अच्छे कश्मीर और बर्मा के नीलम अद्वितीय रंग और स्पष्टता प्रदर्शित करते हैं, बिना किसी तापीय/गर्मी (heat) उपचार के। कुछ श्रीलंकाई (Ceylonese) नीलम भी बिना गर्म किए होते हैं, लेकिन आजकल अधिकांश नीलम को उनके रंग और स्पष्टता को बढ़ाने के लिए गर्म किया जाता है, डिफ्यूज़न (diffusion) या  फ़्रैक्चर-फ़ीलिंग  (fracture filling)  की प्रक्रिया से  गुज़रता है, चाहे उनका स्रोत कहीं भी हो। पाइलिन, कंबोडिया के दुर्लभ, अच्छे नीले नीलम को भी दुनिया भर के रत्न व्यापारियों द्वारा बहुत मूल्यवान माना जाता था। पाइलिन के नीलम का रंग हल्के से गहरे नीले रंग तक होता था, जिसमें एक विशिष्ट शुद्धता और रंग की तीव्रता होती थी, जो अन्य स्रोतों से अप्रतिम थी।
 
दुनिया भर के लगभग सभी नीलम चांथाबुरी (Chanthaburi), थाईलैंड में काटे और प्रसंस्कृत किए जाते हैं। कंचनबुरी और ट्राट के साथ, चांथाबुरी ऐतिहासिक रूप से थाई नीलम का प्रमुख स्रोत था। थाईलैंड में एक महत्वपूर्ण बाज़ार भी है, जहां थाई स्टार नीलम बेचे जाते हैं, जिनमें अद्वितीय सुनहरे छह-रेखा वाले तारे होते हैं। सुनहरा काला स्टार नीलम, जो केवल थाईलैंड में पाया जाता है, दुनिया में कहीं और नहीं पाया जाता। आज, चांथाबुरी, थाईलैंड दुनिया के लगभग सभी नीलम, माणिक और अन्य रंगीन रत्नों का मुख्य प्रसंस्करण और व्यापार केंद्र बन चुका है।
 
नीलम की खुदाई कैसे होती है?
नीलम की खुदाई दो तरीकों से की जाती है – पारंपरिक (पुराना तरीका) और मशीनों की मदद से। चलिए दोनों तरीकों को आसान भाषा में समझते हैं।
1. पारंपरिक खनन (Traditional Mining):
यह तरीका हाथ से किया जाता है और आज भी श्रीलंका और मेडागास्कर जैसे देशों में बहुत इस्तेमाल होता है। यह तरीका वहां अपनाया जाता है जहाँ नीलम नदी की रेत या बजरी में पाए जाते हैं।
2. मशीन से खनन (Mechanical Mining):
जहाँ नीलम की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, वहाँ खुदाई के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं।
भारत से नीलम का निर्यात
भारत से नीलम का निर्यात यानी विदेशों में नीलम बेचना, बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। मार्च 2023 से लेकर फ़रवरी 2024 तक भारत ने कुल 14,274 शिपमेंट्स विदेश भेजीं। इन नीलमों को 1,297 भारतीय व्यापारियों ने बेचा और 2,574 विदेशी व्यापारियों ने इन्हें खरीदा। ये आँकड़ा पिछले साल के मुकाबले 60 प्रतिशत ज़्यादा है, जो बताता है कि भारत से नीलम का व्यापार बढ़ रहा है।
फ़रवरी 2024 में ही भारत ने 1,238 बार नीलम बाहर भेजे। यह पिछले साल फ़रवरी 2023 के मुकाबले भी 60 प्रतिशत और जनवरी 2024 के मुकाबले 16 प्रतिशत ज़्यादा था। इसका मतलब है कि हर महीने भारत से ज़्यादा नीलम विदेशों में जा रहे हैं।
भारत से जो नीलम बाहर भेजे जाते हैं, वे सबसे ज़्यादा पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में जाते हैं। ये देश भारत के नीलम खरीदने में आगे हैं।
दुनिया में अगर देखा जाए, तो भारत नीलम बेचने के मामले में पहले नंबर पर है। भारत के बाद स्विट्ज़रलैंड दूसरे नंबर पर है और तीसरे नंबर पर चीन आता है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में नीलम की कुल 74,778 शिपमेंट्स विदेश भेजीं। , जबकि स्विट्ज़रलैंड और चीन के लिए ये आंकड़े 50,407 और 31,372 थे ।
इससे साफ़ पता चलता है कि भारत नीलम के व्यापार में बहुत आगे है और पूरी दुनिया में इसकी मांग तेज़ी से बढ़ रही है।
 
नीलम बाज़ार की जानकारी
साल 2023 में नीलम का बाज़ार लगभग 7.61 अरब अमेरिकी डॉलर का था। ऐसा माना जा रहा है कि 2024 में यह बढ़कर 8.11 अरब डॉलर का हो गया था और 2032 तक यह बाज़ार 13.54 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। इसका मतलब यह है कि अगले कुछ सालों में नीलम का व्यापार हर साल लगभग 6.61 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ता रहेगा।
पिछले कुछ सालों में नीलम की मांग तेज़ी से बढ़ी है। नीलम का इस्तेमाल महंगे घड़ियों, कंगनों और ज़ेवरों को बनाने में किया जाता है। नीलम दो तरह के होते हैं – एक जो प्राकृतिक होते हैं और धरती से निकाले जाते हैं, और दूसरे जो प्रयोगशालाओं में बनाए जाते हैं, जिन्हें कृत्रिम नीलम या सिंथेटिक नीलम कहते हैं।
प्राकृतिक नील,म खदानों से निकाले जाते हैं और ये सबसे कीमती माने जाते हैं। इनमें सबसे पुराना और सबसे पहले पहचाना जाने वाला रंग नीला होता है, जिसे लोग शुरू से ही पसंद करते आ रहे हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र में नीलम का स्रोत : pxhare, wikimedia