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रामपुरवासियों, अगर आप कभी भारतीय आस्था और अध्यात्म की सबसे भव्य झलक देखना चाहते हैं, तो ओडिशा की जगन्नाथ रथ यात्रा निश्चित ही आपकी सूची में होनी चाहिए। यह कोई साधारण पर्व नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता तीर्थ है — जहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने विशाल रथों पर नगर भ्रमण करते हैं। चारों ओर गूंजते भक्ति-भाव, "हरे राम हरे कृष्ण" के संकीर्तन, ढोल-नगाड़ों की धुन और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था इसे एक दिव्य अनुभव में बदल देते हैं।
पहले वीडियो में आइए सुनते हैं मो जागा कालिया (ମୋ ଜଗା କାଳିଆ) — भगवान श्री जगन्नाथ को समर्पित एक भावुक ओड़िया गीत, जो रथ यात्रा के पावन अवसर और उसके बाद भी मन को शांति और भक्ति से भर देता है।
रथ यात्रा भारत के सबसे प्राचीन और भव्य धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह पर्व हर वर्ष ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पवित्र अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा को तीन अलग-अलग भव्य रथों पर विराजमान किया जाता है, जिन्हें लाखों श्रद्धालु मिलकर रस्सियों से खींचते हैं। यह यात्रा भगवान के जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर की ओर होती है और उनके मौसी के घर जाने की प्रतीक मानी जाती है। पूरे रास्ते वातावरण भक्ति और उल्लास से भर जाता है — ढोल-नगाड़ों की थाप, शंख की गूंज और घंटे की टंकार इस पर्व को एक आध्यात्मिक उत्सव में बदल देती है। श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ “जय जगन्नाथ”, “हरे कृष्ण हरे राम”, और “जगन्नाथ स्वामी नयन पथगामी भवतु मे” जैसे भक्ति गीत और मंत्रों का सामूहिक उच्चारण करते हैं। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन है, जहाँ जाति, भाषा और क्षेत्र की सीमाएँ मिट जाती हैं।
यह यात्रा भक्तों को आस्था, सेवा और समर्पण का अनोखा अनुभव कराती है। पुरी की यह रथ यात्रा न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, और हर वर्ष यह पर्व भक्ति की शक्ति और भगवान से जुड़ाव का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। रथ यात्रा के दौरान विभिन्न प्रकार के खुशियों भरे पारंपरिक गीत भी बजाए और गाए जाते हैं, जो माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। इन गीतों का गहरा सांस्कृतिक महत्व है और ये रथ यात्रा के उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं।
नीचे दिए गए वीडियो में हम सुनेंगे 'नीलाद्रि नाथम' — भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक मधुर और भक्ति से भरा गीत।
संदर्भ-