रामपुर की कुल्फी से इटली के जिलेटो तक: जानिए आइसक्रीम बनने की पूरी प्रक्रिया

स्वाद - भोजन का इतिहास
20-07-2025 09:34 AM
Post Viewership from Post Date to 20- Aug-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2511 78 0 2589
* Please see metrics definition on bottom of this page.

जब रामपुर की गर्मियों में मोहल्ले की किसी दुकान से कोई बच्चा 5 रुपये की कुल्फी लेकर दौड़ता है, या किसी पुरानी हवेली की छांव में बैठकर बनाना स्प्लिट (Banana Split Icecream) और हॉट फज संडे (Hot Fudge Sunday) की बातें होती हैं — तब समझ आता है कि आइसक्रीम सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि बचपन की ठंडी यादों का हिस्सा है। चाहे रामपुर की पारंपरिक कुल्फी हो या विदेशी जिलेटो (Gelato) और जापानी मोची — हर जगह ने इस जमी हुई मिठास को अपनी संस्कृति में ढाल लिया है। आज दुनिया भर में आइसक्रीम का उत्पादन और खपत तेजी से बढ़ रही है। अकेले अमेरिका और चीन हर साल 12 बिलियन लीटर से ज़्यादा आइसक्रीम का सेवन करते हैं। और अब जब लोग लो-फैट, ऑर्गेनिक और डेयरी-फ्री विकल्प ढूंढ़ रहे हैं, तो रामपुर जैसे शहरों में भी आइसक्रीम के नए स्वाद और स्वास्थ्यवर्धक संस्करण लोकप्रिय हो रहे हैं। इससे आइसक्रीम निर्माण की तकनीकें भी बदल रही हैं और छोटे कस्बों के उद्यमियों के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।

पहले वीडियो में हम देखेंगे कि हमारी पसंदीदा आइसक्रीम्स कैसे बनाई जाती हैं।

आइसक्रीम बनाना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें कई चरण होते हैं:

1. मिक्सिंग और पाश्चराइजेशन (Mixing & Pasteurization):
सबसे पहले, दूध, क्रीम, चीनी, फ्लेवर (Flavourings), स्टेबलाइज़र (Stabilisers) और इमल्सीफायर (Emulsifiers) जैसी सभी आवश्यक सामग्री को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण को 65°C से 85°C तक गर्म किया जाता है ताकि उसमें मौजूद हानिकारक रोगाणु (Microorganisms) नष्ट हो जाएं। यह चरण सुरक्षा (Safety) और शेल्फ लाइफ (Shelf Life) बढ़ाने के लिए अनिवार्य होता है।

2. होमोजेनाइजेशन (Homogenization):
इस चरण में मिश्रण को उच्च दाब (High Pressure) में होमोजेनाइज़र (Homogenizer) से गुज़ारा जाता है। इससे वसा (Fat) के बड़े-बड़े कण टूटकर बहुत छोटे ग्लोब्यूल्स (Fat Globules) में बदल जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है कि आइसक्रीम की बनावट मुलायम (Smooth) और एकसमान (Uniform) बनी रहे।

3. कूलिंग और एजिंग (Cooling & Ageing):
पाश्चराइजेशन के बाद मिश्रण को लगभग 4°C तक ठंडा किया जाता है और उसे 4 से 24 घंटे तक ऐसे ही रखा जाता है। इस प्रक्रिया को एजिंग (Ageing) कहते हैं। इस समय के दौरान वसा धीरे-धीरे क्रिस्टलाइज़ (Crystallize) होती है और सूखी सामग्री जैसे दूध प्रोटीन (Milk Proteins) और शर्करा (Lactose) पूरी तरह हाइड्रेट (Hydrate) हो जाती है, जिससे मिश्रण गाढ़ा और स्थिर बनता है।

4. फ्रीज़िंग और एयर इन्कॉरपोरेशन (Freezing & Air Incorporation):
अब एजिंग किए गए मिश्रण को -5°C तापमान पर कंटीन्युअस फ्रीज़र (Continuous Freezer) में डाला जाता है। इस समय तक मिश्रण में लगभग 50% पानी बर्फ में बदल जाता है। साथ ही इसमें नियंत्रित मात्रा में हवा (Air) भी मिलाई जाती है, जिसे ओवररन (Overrun) कहा जाता है। यह आइसक्रीम को हल्का, फूला हुआ और क्रीमी बनाता है।

5. हार्डनिंग (Hardening):
आखिरी चरण में, आइसक्रीम को -40°C के तापमान पर रखा जाता है, जिसे हार्डनिंग (Hardening) कहते हैं। इससे बचा हुआ सारा पानी जम जाता है और आइसक्रीम को उसकी अंतिम ठोस बनावट मिलती है। इस प्रक्रिया के बाद ही आइसक्रीम को स्टोरेज या वितरण के लिए भेजा जाता है।

नीचे दिए गए लिंक के ज़रिए आइए देखते हैं कि आइसक्रीम कैसे बनाई जाती है।

 

संदर्भ- 

https://tinyurl.com/yc8rcfyt 

https://tinyurl.com/bdeva3up 

https://tinyurl.com/46hatuxc