रामपुरवासियो, जानिए मिरमेकोफ़ाइट्स और चींटियों के अद्भुत सहजीवी संबंध की कहानी

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रामपुरवासियो, जानिए मिरमेकोफ़ाइट्स और चींटियों के अद्भुत सहजीवी संबंध की कहानी

रामपुरवासियो, भले ही हमारा शहर समुद्र या घने जंगलों से दूर है, लेकिन प्रकृति में छिपी अद्भुत कहानियों को जानना हमेशा रोचक और रोमांचक होता है। ऐसी ही एक कहानी है मिरमेकोफ़ाइट्स (Myrmecophyte) की, जिन्हें आमतौर पर एंट-प्लांट (Ant-plant) कहा जाता है। ये पौधे और चींटियां आपस में एक अनोखा सहजीवी संबंध साझा करती हैं, जिसमें दोनों पक्षों को लाभ मिलता है। आज हम विस्तार से जानेंगे कि ये पौधे चींटियों को कैसे आकर्षित करते हैं, उनके साथ किस प्रकार रहते हैं, और यह अद्भुत पारस्परिक संबंध इनके अस्तित्व को किस तरह मजबूत बनाता है। 
इस लेख में हम मुख्य रूप से छह महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले, हम जानेंगे कि मिरमेकोफ़ाइट्स क्या हैं और ये रामपुर में पाए जाने वाले सामान्य पौधों से किस प्रकार अलग हैं। इसके बाद, हम पारस्परिकता के दो प्रकार - अनिवार्य (Obligate) और ऐच्छिक (Facultative) - को विस्तार से समझेंगे। फिर हम मिर्मिकोकोरि (Myrmecochory) की प्रक्रिया और बीज फैलाने में चींटियों की भूमिका पर ध्यान देंगे। उसके बाद, एंट-प्लांट और चींटियों के पारस्परिक लाभ की जानकारी साझा करेंगे। इसके बाद हम एंट-प्लांट में मौजूद विभिन्न अंतःक्रियाओं को समझेंगे और अंत में, एक विशेष उदाहरण के रूप में, एकेशिया पेड़ और चींटियों के अद्भुत संबंध पर प्रकाश डालेंगे।

मिरमेकोफ़ाइट्स -चींटियों के साथ सहजीवी पौधे
आपने शायद गार्डन क्रोटन (Garden Croton), कॉमन लैंटाना (Common Lantana) या एरोहेड (Arrowhead) जैसे पौधों को अपने आसपास कई बार देखा होगा। ये आम पौधे हैं, लेकिन मिरमेकोफ़ाइट्स, जिन्हें एंट-प्लांट (Ant-plant) भी कहा जाता है, थोड़े अनोखे और बेहद रोचक हैं। ये पौधे अपने जीवन के लिए चींटियों पर निर्भर रहते हैं और इसके बदले में चींटियों को भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। यह सहजीवी संबंध दोतरफा लाभकारी है। चींटियां पौधों के बीज फैलाने, पोषक तत्व प्रदान करने और संभावित शिकारियों से सुरक्षा करने में मदद करती हैं। वहीं, पौधे अपने विशेष अंगों के माध्यम से चींटियों को भोजन और रहने की जगह देते हैं। इस तरह, दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे के बिना अधूरा होता है। भले ही हमारा शहर समुद्र और घने जंगलों से दूर है, लेकिन इस अद्भुत संबंध की कहानी हमें यह दिखाती है कि प्रकृति में हर जीव किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़ा होता है।

पारस्परिकता के प्रकार: ओब्लिगेट और ऐच्छिक
मिरमेकोफ़ाइट्स और चींटियों का संबंध हर समय समान नहीं होता। यह दो प्रकार का हो सकता है:

  1. ओब्लिगेट (Obligate) – इस प्रकार की पारस्परिकता में दोनों जीव पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। उदाहरण के लिए, मैकरंगा (Macaranga) जीनस की कुछ प्रजातियां पूरी तरह से क्रेमेटोगैसटर (Crematogaster) चींटियों पर निर्भर होती हैं। यदि यह संबंध टूट जाए, तो पौधा और चींटियां दोनों जीवित नहीं रह सकते। इस प्रकार का संबंध प्राकृतिक संतुलन के लिए बेहद संवेदनशील है और इसे बनाए रखना दोनों पक्षों की जीवन-रेखा जैसा है।
  2. ऐच्छिक (Facultative) – ऐच्छिक पारस्परिकता में दोनों जीव स्वतंत्र रूप से भी जीवित रह सकते हैं। अक्सर यह उन पौधों में पाया जाता है जिनमें अतिरिक्त पुष्पीय मकरंद होते हैं। चींटियां वैकल्पिक रूप से पौधों के साथ संबंध बना सकती हैं, लेकिन उनका अस्तित्व इससे पूरी तरह निर्भर नहीं होता। उदाहरण के लिए, कुछ गैर-देशी पौधे अलग-अलग चींटी प्रजातियों से लाभ ले सकते हैं, लेकिन उनके जीवित रहने का यह एकमात्र साधन नहीं है।

मिर्मिकोकोरि (Myrmecochory) – बीज फैलाने में चींटियों की भूमिका
क्या आप जानते हैं कि कई पौधे अपने बीज फैलाने के लिए चींटियों पर भरोसा करते हैं? इसे मिर्मिकोकोरि कहा जाता है। मिरमेकोफ़ाइट्स के बीजों पर इलाइओसोम (Elaiosome) नामक वसा-युक्त संरचना होती है, जो चींटियों के लिए स्वादिष्ट भोजन है। चींटियां इस इलाइओसोम को खा जाती हैं और बीज को अपने घोंसले के पास जमा कर देती हैं। इससे बीज न केवल सुरक्षित रहते हैं, बल्कि उचित पोषक मिट्टी में दब जाते हैं, और स्लग या चूहों जैसे शिकारियों से भी सुरक्षित रहते हैं। इस प्रक्रिया से बीज का विकास अधिक सफल होता है और नए पौधे अपने प्राकृतिक स्थान से दूर तक फैल सकते हैं। यह दर्शाता है कि चींटियां केवल भोजन पाने के लिए नहीं, बल्कि पौधों के अस्तित्व में भी अहम भूमिका निभाती हैं।

एंट-प्लांट और चींटियों का पारस्परिक लाभ
एंट-प्लांट और चींटियों का संबंध केवल भोजन और आश्रय तक सीमित नहीं है। यह कई तरीकों से पौधों और पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुँचाता है:

  • भोजन और पोषक तत्व: चींटियां पौधों को नाइट्रोजन युक्त मल और अन्य पोषक तत्व प्रदान करती हैं, जो पौधों की जड़ों और तने के माध्यम से अवशोषित होते हैं।
  • सुरक्षा: चींटियां शाकाहारी कीड़ों और अतिक्रमणकारी पौधों से पौधों की रक्षा करती हैं।
  • प्रकाश और स्थान का नियंत्रण: चींटियां आसपास की प्रतिस्पर्धी लताओं और पौधों को काटकर अपने साथी पौधे के लिए पर्याप्त प्रकाश और स्थान सुनिश्चित करती हैं।
  • बीज संरक्षण: चींटियां बीजों को सुरक्षित जगह पर ले जाकर नए पौधों के विकास में योगदान करती हैं।

एंट-प्लांट में विभिन्न अंतःक्रियाएं

  1.  डोमेसिया (Domatia): कई एंट-प्लांट में खोखले थैलीनुमा हिस्से होते हैं, जहां चींटियां रह सकती हैं और प्रजनन कर सकती हैं।
  2. खाद्य निकाय: पौधे द्वारा उत्पन्न छोटी संरचनाएं, जिन्हें चींटियां भोजन के रूप में उपयोग करती हैं।
  3. एक्सट्राफ़्लोरल नेक्टरीज़ (Extrafloral Nectaries): फूलों के अलावा मकरंद ग्रंथियां, जो लगातार भोजन का स्रोत प्रदान करती हैं।
  4. सुरक्षा: चींटियां पौधों को शाकाहारी और प्रतिस्पर्धी पौधों से सुरक्षित रखती हैं।
  5. पोषक तत्व चक्र: मृत कीड़े और कार्बनिक पदार्थ लाकर मिट्टी को समृद्ध करती हैं, जिससे पौधों के विकास में मदद मिलती है।

एकेशिया पेड़ और चींटियों का विशेष उदाहरण
पूर्वी मेक्सिको और अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले एकेशिया कॉर्निगेरा (Acacia cornigera) पेड़ और स्यूडोमाइर्मेक्स फेरुगिनियस (Pseudomyrmex ferrugineus) चींटियों का संबंध इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है। एकेशिया के पत्तियों के सिरों पर बेल्टियन बॉडीज़ (Beltian bodies) नामक प्रोटीन युक्त संरचनाएं होती हैं, जिन्हें चींटियां अपने लार्वा के लिए भोजन के रूप में उपयोग करती हैं। इस प्रकार, पौधे और चींटियों का सहजीवी संबंध न केवल पौधे के अस्तित्व में योगदान देता है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के पोषण और संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संदर्भ- 
https://tinyurl.com/4cm7mush 
https://tinyurl.com/2n6ujrfw 
https://tinyurl.com/yryy9zba 
https://tinyurl.com/4nwdtxej 
https://tinyurl.com/4ex77n3p 
https://tinyurl.com/mryya64m 



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