गणपति बप्पा की प्राचीन मूरत और रामपुर

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
23-09-2018 12:12 PM
गणपति बप्पा की प्राचीन मूरत और रामपुर

आज अनंत चतुर्दशी है और आज ही के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार 10 दिनों तक मनाते हैं, और इस त्यौहार के 11 वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं। मूर्ति को एक नदी या समुद्र में डुबोया जाता है। मान्यता यह है कि भगवान् गणेश को समुद्र में डुबो के कैलाश पर्वत की और भेजा जाता है और जाते-जाते भगवान् गणेश हमारे दुःख और परशानियाँ साथ ले जाते हैं।


आज इस शुभ अवसर पर हम आपको रामपुर और गणपति के मध्य छिपे एक रोचक तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं। क्योंकि इस त्यौहार में मूर्ती का ख़ास महत्त्व है, तो आपको बताते हैं कि 5वीं शताब्दी की गणेश जी की एक मूर्ती, रामपुर में आकर बसने वाले रोहिल्लाओं के मूल स्थान गरदेज़, अफगानिस्तान में पाई गई है। गार्देज़ अफगानिस्तान के पूर्वी दिशा में बसा हुआ शहर है जो कि हिन्दू-कुश के पहाड़ों और रेगिस्तानों से घिरा हुआ है। यह मूर्ति पांचवी शताब्दी की है और इसका चित्र आप ऊपर देख सकते हैं।

वर्तमान में यह मूर्ति काबुल के दरगाह पीर रतन नाथ में है। शिलालेखों के अनुसार इस "महागणेश की उत्कृष्ट और सुन्दर मूर्ति" को हेफथलाइट् (Hephthalite) वंश के शासक खिंगल ने स्थापित किया था।

संदर्भ:
1.https://www.reddit.com/r/IndiaSpeaks/comments/8czd0l/5th_century_ad_lord_ganesha_idol_found_in_gardez/
2.https://goo.gl/kV7wUo