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हवा में उड़ता पक्षी देख हम सभी का मन करता है कि काश खुले आकाश में आज़ादी से हम भी अपने पंख फड़फड़ा के उड़ सकते। और ऐसा सोचना कोई नई बात नहीं है अपितु वर्षों से मनुष्य इस सोच में पड़ा हुआ है। तो आइये आज जानते हैं मानव के उड़ान भरने के सफ़र के बारे में।
ऊपर दिया गया वीडियो अतीत के उस पहलू से शुरू होता है जब किसी मानव ने हवा में उड़ने की तरकीब खोजने की जिज्ञासा में न सिर्फ ख्वाब देखे बल्कि उन्हें पूरा करने की भी कोशिश की। इनमें से पहले थे लियोनार्डो डा विन्ची, जिन्होंने एक पक्षी की उड़ान से ही प्रेरणा ले कर मानव उड़ान को संभव बनाने का सोचा। अफ़सोस, वे असफल रहे। उनकी असफलता की वजह को भी वीडियो में समझाया गया है।
फिर आया दौर गुब्बारे से प्रेरणा लेकर हवाई सफ़र करने का, जो कुछ हद तक सफल भी हुआ। समय बीता और इज़ात हुआ उड़ने वाले ज़ेपलिन का। परन्तु सन 1937 में हुए एक हादसे ने हवाई उड़ान की लालसा को थोड़ा थाम दिया। परन्तु मानव तो मानव है, आखिर कब तक सहमा रहता।
अगले थे सर जॉर्ज केली जिन्होंने उड़ान के मूल सिद्धांतों को गहराई से समझा और एक ऐसा उड़न खटोला बनाया जिससे आगे चलकर हेलीकाप्टर के आविष्कार को प्रेरणा मिली। वे इन्सान को उड़ाने वाले पहले कामयाब ग्लाइडर (Glider) के रचयिता थे।
समय के साथ साथ तकनीकी को और बेहतर करते हुए मानव इन हवाई जहाज़ों में बदलाव करता आया है। वर्तमान में मौजूद हवाई जहाज़ों ने काफी लम्बा सफ़र तय किया है। तो क्लिक कीजिये ऊपर दिए गए वीडियो पर और इस रविवार को बनाइये और भी मनोरंजक।
सन्दर्भ:
1.https://www.youtube.com/watch?v=5eTARTP979Q