| Post Viewership from Post Date to 14- Feb-2021 (5th day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2034 | 1460 | 0 | 3494 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
लेकिन एक ओर जहां यह विशेषता साबित होती है तो दूसरी ओर किन्हीं परिस्थितियों में दाढ़ी आदमी को बहुत बड़ी मुसीबत में भी डाल सकती है। अक्सर देखा गया है कि दाढ़ी वाले पुरुषों से लोग डर जाते है, कई बार विषम परिस्थितियों में दाढ़ी वाले इंसान को ही अपराधी भी समझ लिया जाता है। दाढ़ी वाले पुरुषों को अक्सर अधिक क्रोधी, आक्रामक और अपराधी के रूप में देखा जाता है। भले ही उस व्यक्ति में इन सभी लक्षणों में से कोई न हो। परंतु कई अन्य संस्कृतियों में दाढ़ी रखना आधिकारिक तौर पर अनिवार्य नहीं माना जाता है। दाढ़ी अस्वच्छता, असभ्य, खतरनाक अवगुण का प्रतीक भी मानी जाती है। यहां तक कि कोरोना वायरस के इस दौर में भी सुरक्षा को देखते हुये चेहरे पर दाढ़ी रखना जोखिम भरा माना गया है क्योंकि दाढ़ी रखना संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है। महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य कर्मियों का दाढ़ी रखना एक मुसीबत बन गया है। क्योंकि N95 मास्क (N95 Mask) कर्मियों के चेहरों के लिए कस्टम फिट होते हैं और दाढ़ी रखने से ये ठीक से फिट नहीं हो पाते। कोरोनो वायरस श्वसन की बूंदों (droplets) के माध्यम से फैलता है, और ये श्वसन की बूंदों आमतौर पर सतहों पर, लोगों के हाथों पर, यहां तक कि हवा में भी पायी जा सकती हैं। एक व्यक्ति जिसकी दाढ़ी हो, कोरोनो वायरस के लिये एक वाहक का कार्य कर सकता है, जो संभवतः ही आपके मुंह या नाक में जा सकता है और आपको बीमार कर सकता है। इसका मतलब है, यदि आप अपने दाढ़ी मूंछ रखी है तो आपको स्वच्छता का विशेष ध्यान देना होगा या कोरोनो वायरस से बचने के लिये शेविंग (shaving) ही कराना सही होगा। यदि आप धार्मिक महत्व की वजह से अपनी दाढ़ी मूंछ नहीं हटा सकते तो आपको स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सभी धर्मों में शेविंग को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं जैसे की हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में पुजारियों को बालों का त्याग करते हुये देखा गया है, ईसाई धर्म में ननों (nuns) द्वारा भी सिर के बालों का त्याग किया जाता है। ये उनके सांसारिक फैशन को त्यागने का प्रतीक माना जाता है। हिंदुओं में, एक बच्चे के जन्म के बालो को मुंडवा देना एक धार्मिक मान्यता है। इस्लाम में सुन्नी वर्ग में भी जबड़े और गाल से दाढ़ी हटा देना एक पाप के रूप में गिना जाता है। शिया विद्वानों के अनुसार, दाढ़ी की लंबाई मुट्ठी की चौड़ाई से अधिक नहीं होनी चाहिए। शेविंग करने के इतिहास को देखे तो हम पाते है कि दाढ़ी बनाने का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मनुष्य के अस्तित्व में होने का है। यह पाषाण कालीन सभ्यता से चला आ रहा है। हर काल में दाढ़ी को अलग-अलग अंदाज में देखा गया है।
प्राचीन इतिहास में शेविंग
30,000 ईसा पूर्व की प्राचीन गुफा चित्रों में अक्सर दाढ़ी के बिना पुरुषों को चित्रित किया जाता हैं, जिससे पता चलता है की उस समय में भी लोग अनचाहे बालों को हटा देते थे जिसके लिये वे धारदार पत्थर का उपयोग करते थे, जिन्हें जरूरतों के हिसाब से अलग अलग आकारों में ढाल लिया जाता था। इसके अलावा दो सीपियों को मिला कर उन्हें चिमटी का रूप दे दिया जाता था, जिससे अनचाहे बालों को हटाया जा सके। फिर धीरे-धीरे आया नया जमाना। जहां समय तेज रफ्तार से चलने लगा और दाढ़ी बनाने के लिए नई-नई चीजों का आविष्कार होने लगा जैसे- रेजर (Razor)। 3000 ईसा पूर्व तक भारत और मिस्र में तांबे के रेजर का उपयोग दिखा जाने लगा। मिस्र के लोगों द्वारा दाढ़ी और सिर का मुंडन करवाने का एक रिवाज था जो जो सिकंदर महान के शासनकाल के दौरान 330 ईसा पूर्व में यूनानियों और रोमियों द्वारा अपनाया गया था। मिस्रवासियों को शरीर की स्वच्छता का एक व्यक्तिगत जुनून था, उन्होंने अपनी दिनचर्या में शेविंग को दैनिक कार्य के रूप में जगह दी जोकि एक प्रथा बन गई। मिस्र में पुजारियों का मानना था कि शरीर में बाल होना एक शर्मनाक बात है जो हमें अशुद्ध बनाते है। शरीर के बालों को हटाने का एक और कारण यह भी था कि बाल रहित होने से लोगों को शरीर के विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से मुक्ति मिलती थी। 3000–332 ईसा पूर्व में प्राचीन मिस्र के रईसों ने अपने सिर का मुंडन करवाया था। हालांकि, कुछ महान पुरुष दिव्यता के संकेत के रूप में कृत्रिम दाढ़ी पहनते हैं। 2900-500 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया के शासकों और कुलीनों ने दाढ़ी रखी थी, जो उनकी मर्दानगी और ताकत का संकेत थी। 800 ई.पू.-600 ई. तक प्राचीन यूनानियों को अपनी दाढ़ी पर गर्व था। उस समय पूरी दाढ़ी बढ़ाना उच्च स्थान और ज्ञान का प्रतीक थी। ग्रीक (Greek) के लोग केवल शोक के समय अपनी दाढ़ी काटते थे। 400–300 ईसा पूर्व में अलेक्जेंडर द ग्रेट (Alexander the Great) ने अपने सैनिकों को लड़ाई से पहले शेविंग करने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि लड़ाई में दाढ़ी से दुश्मनों द्वारा पकड़े जाने का जोखिम बना रहता था। 50 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर (Julius Caesar) ने अपनी दाढ़ी के बाल उखाड़ दिए थे, और कई रोमन पुरुषों ने भी इस रिवाज का पालन किया था। रेजर सभी रोम के निवासियों द्वारा प्रयोग में लिए गए औजारों में से एक था।
आधुनिक इतिहास में शेविंग
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.