रामपुर के निकट स्थित नगरिया में हुआ उल्कापात क्या बयां करता है?

खनिज
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रामपुर के निकट स्थित नगरिया में हुआ उल्कापात क्या बयां करता है?

बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी की सतह पर उल्कापिंड गिरना, वास्तव में दुर्लभ ब्रह्मांडीय घटनाएं होती हैं। यह पृथ्वी की सतह पर कुछ पत्थर या वस्तुएं छोड़ जाती हैं, जो अन्यथा पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं। वर्ष 1875 में एक उल्लेखनीय उल्कापिंड पृथ्वी पर गिरा था, जो नगरिया में हुआ उल्कापात था। हमारे शहर रामपुर के निकट स्थित नगरिया गांव में गिरा उल्कापिंड हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के 39 स्वीकृत उल्कापिंडों में से एक है।जबकि, यह भारत के 144 स्वीकृत उल्कापिंडों में से भी एक है।
नगरिया में गिरा उल्कापिंड एक यूक्राइट (Eucrite) पत्थर था, जिसका वजन 12 किलो था। यह उल्कापात 24 अप्रैल 1875 को प्रातः 7.30 बजे हुआ था। अगर आप में से किसी ने नगरिया गांव का नाम कभी सुना या पढ़ा नहीं हैं, तो बता दें कि, अंग्रेज सरकार के काल में नगरिया गांव आगरा जिले की फतेहाबाद तहसील में स्थित था, जबकि आज यह फर्रुखाबाद जिले में आता है। ब्रिटिश संग्रहालय(British Museum) में हमारे देश के उल्कापिंड नमूनों के साथ रखी गई उस समय के संयुक्त प्रांत (Untited Provinces) के उल्कापिंडों की सूची में 26वें स्थान पर नगरिया उल्कापिंड है।हम इन उल्कापातों की वास्तविक आवृत्ति के बारे में कुछ तथ्य भी जानते हैं। संयुक्त प्रांत(United Province) जो कि, ब्रिटिश भारत सरकार के आगरा एवं अवध प्रांत थे, में हुए उल्कापातों की जानकारी भी उपलब्ध है। तब नगरिया भी इसी प्रांत का एक गांव था। इस प्रांत में 1831-1930 की सदी के दौरान घटित 24 उल्कापातों में से 12 उल्कापात पहले पचास वर्षों के दौरान हुए थे जबकि, समान संख्या में अगले पचास वर्षों के दौरान उल्कापात हुए। आश्चर्य की बात है कि इस प्रांत के कुल क्षेत्रफल, अर्थात् 1,07,000 वर्ग मील, जो वर्तमान में हमारे उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य से बनता है, में से 11,000 वर्ग मील के हिमालय और दक्षिण मिर्ज़ापुर के कम आबादी वाले इलाकों में उल्कापात की कोई भी घटना दर्ज नहीं की गई थी। हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में गिरे, 39 उल्कापिंड दर्ज हैं। आप उनकी सूची नीचे प्रस्तुत लिंक के माध्यम से देख सकते हैं:
https://tinyurl.com/mvskmj8j
उल्कापिंड के गिरने के बाद, स्वचालित उपकरणों द्वारा इन्हें देखा जा सकता हैं।उल्कापिंडों के डेटाबेस(Database) में 1,300 से अधिक प्रलेखित उल्कापात सूचीबद्ध हैं, जिनमें से अधिकांश उल्कापातों के नमूनों के रूप में कुछ उल्कापिंड आधुनिक संग्रह में संग्रहित किए गए हैं।
2010 के बाद से 31 अगस्त 2021 तक, 90 उल्कापात पाए गए हैं। जनवरी 2019 तक, मौसम संबंधी डेटाबेस में 1,180 उल्कापातों की पुष्टि की गई थी। जबकि, फरवरी 2023 तक, मौसम संबंधी डेटाबेस में कुल 1372 उल्कापातों की पुष्टि की गई थी। जिन उल्कापिंडों को हम गिरते हुए देखते हैं, वे कई कारणों से महत्वपूर्ण होते है। आइए जानते हैं: प्रत्यक्ष देखे गए उल्कापातों के पिंडों को स्थलीय अपक्षय के अधीन नहीं रखा गया है।इससे यह खोज वैज्ञानिक अध्ययन के लिए बेहतर विकल्प बन गई है। ऐतिहासिक रूप से, देखे गए उल्कापात, उल्कापिंडों की उत्पत्ति का समर्थन करने वाले सबसे सम्मोहक साक्ष्य होते है। इसके अलावा, देखे गए उल्कापातों की खोजें पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंडों के प्रकारों का बेहतर प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण के लिए, लौह उल्कापिंडों को खराब होने में अधिक समय लगता है तथा अन्य पिंडों की तुलना में उन्हें असामान्य वस्तुओं के रूप में पहचानना आसान होता है।
यह पाए गए उल्कापातों(4.4%) की तुलना में,लौह उल्कापिंडों के बढ़े हुए अनुपात (6.7%) को समझा सकता है। इसके अलावा, उल्कापिंड वर्गीकरण के आधार पर भी उल्कापातों के विस्तृत आँकड़े उपलब्ध हैं। जर्मनी(Germany) देश के एक भौतिक विज्ञानी अर्न्स्ट च्लाडनी(Ernst Chladni) को उल्कापिंड का जनक माना जाता है। क्योंकि, आधुनिक पश्चिमी विचार में (1794 में),इस विचार को प्रकाशित करने वाले वह पहले व्यक्ति थे कि, उल्कापिंड अंतरिक्ष से गिरने वाली चट्टानें हैं। हालांकि, पहले से ही कई प्रलेखित मामले मौजूद थे। कुछ सबसे पहले मामलों में से एक 467 ईसा पूर्व का एगोस्पोटामी(Aegospotami) उल्कापिंड था, जो अगले 500 वर्षों के उल्कापिंड अधययन के लिए एक मील का पत्थर बन गया। यूनानियों(Greek people) को बहुत पहले ही यह अंदाजा हो गया था कि, उल्कापिंड अंतरिक्ष से गिरने वाली चट्टानें होती हैं।
अधिकांश पुष्ट उल्कापातों में एक किलोग्राम से कम से लेकर कई किलोग्राम के बीच द्रव्यमान वाले उल्कापिंड शामिल होते हैं। जबकि, कुछ पिंड 100 किलोग्राम या उससे भी अधिक वजन के हो सकते हैं। कुछ उल्कापिंडों के टुकड़े ऐसे होते हैं, जिनके वजन का कुल योग एक मीट्रिक टन से भी अधिक होता है। सबसे बड़ी खोज, 60 टन का होबा(Hoba) उल्कापिंड था। इसके अलावा, कैंपो डेल सिएलो(Campo del Cielo) उल्कापिंड का 30.8 टन वाला गैन्सेडो (Gancedo)टुकड़ा और 28.8 टन का एल चाको(El Chaco) टुकड़ा तथा केप यॉर्क(Cape York) उल्कापिंड का 30.9 टन का टुकड़ा, अह्निघिटो(Ahnighito) भी, कुछ सबसे वजनदार पिंड दर्ज किये गए हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mvskmj8j
https://tinyurl.com/yt8u85sm
https://tinyurl.com/ycx39fbb
https://tinyurl.com/3ja6ywxt

चित्र संदर्भ

1. नगरिया उल्कापिंड के मानचित्र को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. नगरिया में गिरा उल्कापिंड एक यूक्राइट (Eucrite) पत्थर था, को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. रॉयल ओंटारियो संग्रहालय में वेले इंको लिमिटेड गैलरी ऑफ मिनरल्स में प्रदर्शित पलासाइट उल्कापिंड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. एनडब्ल्यूए 859 लौह उल्कापिंड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. धरती की ओर बढ़ते उल्कापिंडों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. 60 टन के होबा(Hoba) उल्कापिंड को दर्शाता चित्रण (wikimedia)