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अधिकांश मनुष्यों और जानवरों के अस्तित्व के लिए गंध काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें भोजन और पानी को खोजने और यहां तक कि संवाद करने में भी मदद करती है। यद्यपि हमारी गंध की शक्ति अन्य जानवरों की तरह तीव्र नहीं है, लेकिन हम जानते हैं कि मनुष्य 10,000 अलग-अलग गंध के अणुओं का पता लगाने में सक्षम रहते हैं। गंध अगर सुगंधित हो तो वह सबके द्वारा काफी पसंद की जाती है। मनुष्यों द्वारा सुगंधित इत्र का प्रयोग आदिकाल से होता आ रहा है। कई भारतीय कर्मकाण्डों व धार्मिक अनुष्ठानों में भी इत्र का काफी प्रयोग होता है।
रामपुर में इत्र का व्यापार भारत के अन्य स्थानों से होता था। राजकुमारी मेहरुन्निसा खान अपनी जीवनी में विभिन्न इत्रों का वर्णन करती हैं। रामपुर के कोठी खास बाग व अन्य स्थानों पर कई बगीचों का निर्माण किया गया जो कि सुगंध से सम्बन्धित हैं। सुगंध के महत्व के साथ रामपुर का समृद्ध इतिहास रहा है।
क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि कैसे हमारी नाक एक पल में ही यह भेद कर लेती है कि कौन सी गंध सुगंधित है और कौन सी गंध दुर्गंध है? वहीं कई लोगों को कुछ गंध सुगंधित लगती हैं तो वहीं दूसरे उसे असहनीय पाते हैं। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण है जीन (Gene) में पाए जाने वाले एक एमिनो एसिड (Amino Acid) में अंतर या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, आपके द्वारा पसंद की जाने वाली गंध आपके डीएनए (DNA) से कुछ संबंध रखती है और कोई अन्य व्यक्ति उस गंध का अनुभव आपकी तरह नहीं करता है। प्रत्येक व्यक्ति की सूंघने वाली प्रणाली अलग होती है। लगभग 400 जीन गंध का संकेत देते हैं जिनमें 9,00,000 संभावित भिन्नताएं हो सकती हैं और अमीनो एसिड के अंतर से यह निर्धारित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति एक निश्चित गंध को कैसे अनुभव करता है।
अब आपके मन में यह प्रश्न ज़रूर आया होगा कि कई ऐसी गंध होती हैं जो सबको समान रूप से अच्छी व गंदी लगती हैं। यह आनुवंशिक संकेत, सूंघने वाले रिसेप्टर्स (Receptors), या सीखे हुए व्यवहार के कारण होता है। विश्वव्यापी सुगंध हैं - पेट्रीकर (Petrichor- बारिश के बाद की गंध), ताज़ा पकाई हुई कुकीज़ (Cookies) या ब्रेड (Bread), वेनिला (Vanilla), कॉफी (Coffee) और खट्टे फल आदि। वहीं विश्वव्यापी दुर्गंध हैं – खराब दूध, स्कंक (Skunk), मल, खराब भोजन, शरीर की गंध और हाइड्रोजन सल्फाइड (Hydrogen Sulphide) आदि।
जब भोजन खराब हो जाता है या तीखा लगने लगता है, तो यह अक्सर जीवाणु, खमीर और मोल्ड (Mold) जैसे रोगाणुओं की वृद्धि के कारण होता है। यह दुर्गंध दो स्रोतों से आती है: भोजन से निकलने वाले रसायन से, क्योंकि रोगाणुओं द्वारा उसे सड़ा दिया गया होता है या रसायनों का उत्पादन स्वयं रोगाणुओं द्वारा किया जाता है। वहीं कुछ गंध यदि घर में आएं तो उन्हें नज़रंदाज नहीं करना चाहिए, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
1. दुर्गन्ध : यदि आपकी रसोई, गुसलखाने, या तहखाने से दुर्गन्ध आ रही हो तो इस पर विशेष ध्यान दें और किसी पेशेवर को बुलवाकर जांच करवाएं।
2. धुआँ और जलने की गंध : इच्छानुरूप लगाई गई आग की गंध काफी प्रिय होती है, लेकिन घर में यदि कहीं से धुआँ या जलने की गंध आएं तो सावधान हो जाना चाहिए।
3. बाथरूम की गंध : कोई भी अपने घर में कहीं भी मल की तरह गंध नहीं आने देना चाहता है। यदि ऐसा कुछ होता है तो जल्द ही प्लम्बर (Plumber) को बुलाएं। क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है।
4. गैसीय गंध : गैस (Gas) में तकनीकी रूप से कोई गंध नहीं होती है, लेकिन इसमें स्कंक जैसी गंध लाने के लिए एडिटिव्स (Additives) डाले जाते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि यदि कोई रिसाव हो तो आप उसे सूंघ सकें।
5. सिगरेट : तंबाकू के अवशेष सतहों और कालीनों पर चिपक जाते हैं और इनसे कभी भी दुर्गंध आने लगती है। आप इस गंध से छुटकारा पाने के लिए और अपने स्वास्थ्य पर किसी भी प्रकार के प्रभाव को रोकने के लिए अपने कालीन को गहराई से साफ करें।
हम लोग रोज़मर्रा के जीवन में गंध का उपयोग करते हैं और सोचते हैं कि हम वास्तव में अपनी आंखों और कानों के सहारे अपना जीवन यापन करते हैं। मनुष्यों के विकास और अस्तित्व में गंध एक अभिन्न अंग रहा है। यद्यपि वर्तमान समय में मनुष्य जीवित रहने के लिए गंध पर कम भरोसा करते हैं लेकिन भोजन का आनंद गंध की मदद से ही लिया जाता है।

संदर्भ:
1. https://www.dana.org/article/ah-sweet-skunk-why-we-like-or-dislike-what-we-smell/
2. https://www.air-aroma.com/blog/why-is-smell-important
3. https://bit.ly/2kJJLf7
4. https://now.tufts.edu/articles/why-does-rotting-food-smell-bad
5. https://www.littlethings.com/dangerous-house-smells/7