ईस्टर जिसे पुनरुत्थान दिवस या पुनरुत्थान रविवार भी कहा जाता है, एक त्यौहार और अवकाश दिवस है जो यीशु के पुनर्जीवित होने की याद दिलाता है, नए नियम के अनुसार यीशु को रोमनों (Romans) के द्वारा सूली या क्रूस (cross) पर चढ़ाया गया और दफना दिया गया जिसके ठीक तीन दिन बाद यीशु फिर से जी उठे। ईस्टर की कहानी को हम ईसाई धर्म का हृदय या प्रमुख केंद्र कह सकते हैं। यीशु के कई शत्रु थे जो उनसे छुटकारा पाना चाहते थे। यीशु जानते थे कि उनके पास कुछ ही समय शेष बचा है। अपनी मृत्यु के तीन दिन पहले यीशु ने अपने शिष्यों को अपने साथ भोजन करने के लिए आमंत्रित किया। यह अपने शिष्यों के साथ उनका अंतिम भोजन था। यीशु ने अपने शिष्यों से कहा "जब तुम रोटी खाते हो और शराब पीते हो" उस समय मुझे याद करो। मैं स्वर्ग में अपने पिता के साथ रहने जा रहा हूं, लेकिन आप जहां भी जाएंगे मैं आपके साथ रहूंगा। “शुक्रवार को सैनिकों ने यीशु को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। यीशु ने परमेश्वर से कहा: “पिता, इन्हें क्षमा करना। ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।” जब यीशु की मृत्यु हो गई, तो उनके शिष्यों ने उनके शरीर को एक गुफा में रखा और गुफा के प्रवेश द्वार को एक बड़ी सी चट्टान से ढक दिया। रविवार को, मैरी मैग्डलीन (Mary Magdalene) नामक यीशु की एक मित्र गुफा में गयी। चट्टान वहां से लुढ़क गई थी! गुफा खाली थी! वहां एक देवदूत प्रकट हुआ और उसने कहा: “शांति तुम्हारे साथ है। यीशु मरे हुओं में से जी उठा है!” यीशु अपने दोस्तों से मिलने आया। उसने उनसे कहा कि वे परमेश्वर के प्रेम के बारे में सिखाएँ। "लोगों को बताएं," यीशु ने कहा, "मुझ पर विश्वास रखें भले ही आप मुझे नहीं देख सकते हो" और फिर यीशु अपने पिता के साथ रहने के लिए स्वर्ग चले गए। आइए इस छोटी फिल्म के माध्यम से ईस्टर की चमत्कारी कहानी को देखते हैं।