लखनऊ सहित भारत में 3698 केंद्रीय ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करता है ए एस आई

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
02-06-2025 09:24 AM
लखनऊ सहित  भारत में 3698 केंद्रीय ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करता है  ए एस आई

अपनी नवाबी विरासत के लिए प्रसिद्ध हमारा शहर लखनऊ, बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और रूमी दरवाज़ा जैसे ऐतिहासिक स्मारकों का घर है, जो इसकी समृद्ध मुगल-अवधी वास्तुकला और जीवंत सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। लखनऊ के इन ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ, देश के अन्य प्राचीन स्मारकों एवं पुरातात्विक स्थलों सहित देश की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा तथा संरक्षण और भारत में पुरातात्विक अनुसंधान का कार्य और ज़िम्मेदारी, संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के अधीन 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India (ASI))' की है। यह संस्थान बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से भारत में स्मारकों का संरक्षण करता है, जिसमें संरचनात्मक मरम्मत, वैज्ञानिक अध्ययन, कानूनी सुरक्षा और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग शामिल है, जो सभी 'प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958' (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act (AMASR)) द्वारा निर्देशित हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र के तहत देश में 3698 केंद्रीय संरक्षित स्मारक/स्थल आते हैं। तो आइए, आज ए एम ए एस आर अधिनियम, 1958 के बारे में विस्तार से जानते हुए, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यों पर प्रकाश डालते हैं। इसके साथ ही, हम ए एस आई द्वारा प्रबंधित कुछ सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों जैसे सांची स्तूप, एलोरा गुफ़ाएं और कुतुब मीनार के बारे में जानेंगे। इसके अलावा, हम अपने ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए भारत के बजट और भारत के विश्व धरोहर स्थलों पर खर्च के बारे में चर्चा करेंगे। अंत में, हम भारत के ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए ए एस आई द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण विधियों और तकनीकों की जांच करेंगे।

बड़ा इमामबाड़ा परिसर | चित्र स्रोत : Wikimedia 

प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम या ए एम ए एस आर अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 1958 में पारित एक अधिनियम है जो राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों तथा अवशेषों के संरक्षण, पुरातात्विक उत्खनन के विनियमन और मूर्तियों, नक्काशी और अन्य समान वस्तुओं की सुरक्षा का प्रावधान करता है।  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्य करता है। इस नियम के अनुसार, किसी ऐतिहासिक स्मारक के 100 मीटर के दायरे का क्षेत्र निषिद्ध क्षेत्र है। इसके अलावा, उस स्मारक के 200 मीटर के भीतर का क्षेत्र एक विनियमित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में किसी भी इमारत की मरम्मत या संशोधन के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्य:

  • नियमित रूप से पुरातत्व अन्वेषण और उत्खनन का संचालन।
  • पुरालेख अनुसंधान, साइट संग्रहालयों की स्थापना और पुनर्गठन एवं पुरातत्व में प्रशिक्षण का विकास कार्य।
  • स्मारकों के साथ एकीकरण कर सांस्कृतिक एवं पर्यावरण-पर्यटन का विकास।
  • विश्व धरोहर  स्थलों (World Heritage Sites) और पुरावशेषों सहित केंद्रीय संरक्षित स्मारकों  का संरक्षण और पर्यावरणीय विकास।
  • पुरातत्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण का संचालन।
  • केंद्रीय संरक्षित स्मारकों और स्थलों के आसपास उद्यानों का रखरखाव और नए उद्यानों का विकास।
  • पुरावशेष और कला खज़ाना अधिनियम (1972) का कार्यान्वयन।
  • देश में सभी पुरातात्विक गतिविधियों को प्राचीन प्रावधानों के अनुसार विनियमित करना।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण गोवा | चित्र स्रोत : Wikimedia 

ए एस आई द्वारा प्रबंधित सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल:

ए एस आई भारत भर में कई पुरातात्विक स्थलों का प्रबंधन करता है। यहां भारत में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों की सूची दी गई है:

पुरातात्विक स्थलस्थानमहत्वखोज का वर्षयुगयूनेस्को विश्व धरोहर
सांची स्तूपमध्य प्रदेशसम्राट अशोक द्वारा निर्मित प्रतिष्ठित बौद्ध स्तूप, जो बौद्ध शिक्षाओं का प्रतीक  है।1818तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व

1989

 

एलोरा गुफ़ाएंमहाराष्ट्रहिंदू, बौद्ध और जैन वास्तुकला वाली रॉक-कट गुफ़ाएं;  कैलाश मंदिर का घर।

1819 

 

600-1000 ईसवी1983
अजंता गुफ़ाएंमहाराष्ट्रबौद्ध गुफ़ाएं, जो उत्कृष्ट भित्तिचित्रों और मूर्तियों के साथ, प्राचीन भारतीय कला का प्रतिनिधित्व करती हैं।1819दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व-480 ईसवी 

1983

 

हम्पीकर्नाटकविजयनगर साम्राज्य की राजधानी, द्रविड़ वास्तुकला और भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध।1800 14वीं-16वीं शताब्दी ईसवी

1986

 

खजुराहो के मंदिरमध्य प्रदेशहिंदू और जैन मंदिरों पर जटिल नक्काशी और प्रतीकात्मक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।1838 950-1050 ईसवी 

1986

 

नालंदा विश्वविद्यालयबिहारदुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय; शिक्षा और बौद्ध धर्म के लिए केंद्र।19155वीं-12वीं शताब्दी 

2016

 

कोणार्क सूर्य मंदिरओडिशाजटिल नक्काशी और पहियों के साथ एक रथ के आकार का मंदिर, जो सूर्य  देवता को समर्पित है।19वीं सदी की शुरुआत13वीं शताब्दी 1984
राखीगढ़ीहरियाणासिंधु घाटी शहरीकरण और प्रथाओं को प्रदर्शित करने वाला भारत में सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल ।19602600-1900 ईसा पूर्व

अभी तक नहीं

 

महान जीवित चोल मंदिर द्रविड़ वास्तुकला और चोल सांस्कृतिक उपलब्धियों के  प्रतीकप्रारंभिक 20वीं शताब्दी10वीं-12वीं शताब्दी

1987

 

कुतुब मीनारदिल्लीदुनिया की सबसे ऊंची ईंट की मीनार, जो इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।1871-72प्रारंभिक 13वीं शताब्दी

1993

 

ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए भारत का बजट:

वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए, भारत सरकार द्वारा ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए संस्कृति मंत्रालय को ₹1102.83 करोड़ आवंटित किए गए। इस बजट में संरचनात्मक बहाली, पर्यावरण उन्नयन और आगंतुक सुविधा संवर्द्धन सहित विभिन्न गतिविधियाँ शामिल  थे। हालाँकि, यह आवंटन सभी साइटों को पर्याप्त रूप से बनाए रखने और पुनर्स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों के अनुसार आवश्यकता का केवल एक अंश मात्र है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जारी भारत के विरासत स्मारकों के लिए एक पुराना टिकट | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में विश्व धरोहर स्थलों पर व्यय:

दिसंबर 2022 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षण के तहत 24 विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण और सुविधाओं के विकास पर ₹32.6 करोड़ खर्च किए गए। संभवतः कोविड-19 (COVID-19) के प्रभाव के कारण, यह राशि, 2021-22 में खर्च किए गए ₹44.5 करोड़ से कम थी। 2017-18 से 2021-22 तक के पांच वर्षों में सबसे अधिक खर्च 55.32 करोड़ रुपये 2018-19 में किया गया था। यह खर्च अधिकतर हम्पी और लाल किला परिसर जैसे स्थलों पर किया गया।

ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए ए एस आई द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण विधियाँ और तकनीकें:

  • जलवायु-लचीले संरक्षण तरीके (Climate-Resilient Conservation Methods): ए एस आई ने स्मारकों की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक संरक्षण तकनीकों को अपनाया है।
  • स्वचालित मौसम स्टेशन (Automated Weather Stations (AWS)): कुछ महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर तापमान, हवा, वर्षा और वायुमंडलीय दबाव की निगरानी के लिए, इसरो (ISRO) के सहयोग से ये स्टेशन स्थापित  किए गए हैं।
  • वायु प्रदूषण निगरानी प्रयोगशालाएं (Air Pollution Monitoring Labs): प्रदूषण के स्तर पर नज़र रखने के लिए ताज महल (आगरा) और बीबी का मकबरा (औरंगाबाद) जैसे स्मारकों के पास वायु प्रदूषण निगरानी प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं हैं
  • अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग: ए एस आई, सांस्कृतिक स्थलों के आपदा प्रबंधन के लिए रणनीति विकसित करने हेतु 'राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण' और यूनेस्को के साथ मिलकर काम करता है।
  • कानूनी सुरक्षा को  मज़बूत करना: प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम (1958) के तहत, स्मारकों को अतिक्रमण और दुरुपयोग से संरक्षित किया जाता है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/5a2t8cer

https://tinyurl.com/5n6m73fz

https://tinyurl.com/3734sjd4

https://tinyurl.com/38rnmxeb

https://tinyurl.com/2kshk52e

मुख्य चित्र में ए एस आई के लोगो और लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा का स्रोत : Wikimedia, flickr  

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