लखनऊ के बदलते कदम: क्या मन को साधेगा योग या तन को तराशेगा जिम?

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
21-06-2025 09:22 AM
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लखनऊ के बदलते कदम: क्या मन को साधेगा योग या तन को तराशेगा जिम?

लखनऊ सिर्फ़ नवाबी तहज़ीब और सांस्कृतिक धरोहर के लिए ही नहीं, बल्कि योग की समृद्ध परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है। यह शहर सदियों से भारतीय जीवनशैली के स्वास्थ्यवर्धक आयामों का केंद्र रहा है, जिसमें योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। योग, जो कि शारीरिक व्यायाम से कहीं अधिक मानसिक और आत्मिक अनुशासन है, आज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अपने प्रभाव को स्थापित कर चुका है।

इस लेख में हम सबसे पहले यह जानेंगे कि भारत में योग की शुरुआत कैसे हुई और यह कैसे एक साधना से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अभ्यास बन गया। इसके बाद हम देखेंगे कि योग हमारे शरीर को किस प्रकार से लाभ पहुंचाता है — जैसे लचीलापन बढ़ाना, हृदय और फेफड़ों को मज़बूत बनाना और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करना। फिर हम समझेंगे कि योग हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे संबल प्रदान करता है, जिसमें तनाव, चिंता और अवसाद में कमी और एकाग्रता में वृद्धि शामिल है। हम यह भी जानेंगे कि योग को अपने दैनिक जीवन में कैसे सरलता से जोड़ा जा सकता है ताकि हम शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से स्वस्थ रह सकें। अंत में, हम जिम और योग के बीच अंतर को विस्तार से समझेंगे और यह विचार करेंगे कि किस अभ्यास से हमें दीर्घकालिक और संतुलित लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

भारत में योग की शुरुआत कैसे हुई और उसका ऐतिहासिक विकास

भारत में योग की शुरुआत केवल व्यायाम या शारीरिक क्रिया के रूप में नहीं हुई, बल्कि यह आत्मज्ञान की दिशा में एक आध्यात्मिक साधना थी। ऋग्वेद, उपनिषद और भगवद गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों में योग का व्यापक वर्णन मिलता है। पतंजलि मुनि ने योगसूत्र में योग को "चित्त वृत्ति निरोधः" कहकर परिभाषित किया, जिसका तात्पर्य है मन की चंचलता पर नियंत्रण। बाद में गोरखनाथ और अन्य हठयोगियों ने इसे शरीर और प्राण की साधना से जोड़ा। योग न केवल भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर बना, बल्कि आज यह वैश्विक स्तर पर जीवनशैली और चिकित्सा प्रणाली का अभिन्न अंग बन गया है। 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' घोषित करना इसी का प्रमाण है।

योग के नियमित अभ्यास से मिलने वाले गहरे शारीरिक लाभ

योग केवल मांसपेशियों को खींचने का नाम नहीं, बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली को संतुलित करने की क्रिया है। प्रतिदिन योग करने से शरीर में रक्त परिसंचरण सुचारू रहता है, अंगों की कार्यक्षमता बढ़ती है और ऊर्जा का स्तर ऊँचा बना रहता है। यह रीढ़ की हड्डी को सुदृढ़ बनाता है, हॉर्मोन संतुलन को बनाए रखता है, पाचन क्रिया को बेहतर करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, वृक्षासन और भुजंगासन जैसे योगासन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। नियमित योग से न केवल वर्तमान स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि भविष्य की कई बीमारियों से भी सुरक्षा मिलती है।

मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन के लिए योग का प्रभाव

आज की तेज रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक तनाव और भावनात्मक असंतुलन आम समस्या बन गई है। योग, विशेषतः ध्यान (Meditation) और प्राणायाम, मन को स्थिर और शांत रखने का सर्वोत्तम उपाय हैं। माइंडफुल योग (Mindfulness Yoga) हमें स्वयं के विचारों और भावनाओं को स्वीकार करना सिखाता है, जिससे हम तनाव, चिंता, अवसाद और क्रोध पर नियंत्रण पा सकते हैं। शोध बताते हैं कि नियमित ध्यान से दिमाग में डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे सकारात्मक रसायनों की मात्रा बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का मूड और मानसिक स्पष्टता बेहतर होती है। यह एकाग्रता, निर्णय-क्षमता और स्मरण शक्ति को भी तेज करता है।

योग को रोज़मर्रा की दिनचर्या में शामिल करने का महत्व और विधि

योग का असली प्रभाव तभी देखने को मिलता है जब यह केवल एक अभ्यास न रहकर जीवनशैली का हिस्सा बन जाए। सुबह-सुबह खाली पेट 30 मिनट योगासन, 10 मिनट प्राणायाम और 5 मिनट ध्यान करना किसी अमृत तुल्य दिनचर्या जैसा है। इससे दिनभर ऊर्जा बनी रहती है, मन प्रसन्न रहता है और कार्यक्षमता में सुधार होता है। योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए किसी महंगे साधन या स्थान की जरूरत नहीं होती – केवल एक योग मैट, थोड़ी शांति और समर्पण पर्याप्त है। सप्ताह में 5 दिन नियमित अभ्यास से जीवन में स्थायित्व, अनुशासन और आत्मविश्वास आता है।

जिम और योग के बीच मुख्य अंतर और क्या है आपके लिए उपयुक्त?

हालाँकि जिम और योग दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, परंतु उनके उद्देश्य और प्रभाव अलग हैं। जिम शरीर की मांसपेशियों के निर्माण और स्टेमिना बढ़ाने पर केंद्रित होता है, जबकि योग पूरे शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर। जिम में मशीनों और वजन उपकरणों की जरूरत होती है, जबकि योग न्यूनतम साधनों में, किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। जिम युवा और सक्रिय लोगों के लिए उपयुक्त है, वहीं योग हर उम्र के व्यक्ति – वृद्ध, महिला, बच्चे और बीमारों के लिए भी सुरक्षित और लाभकारी है। योग शरीर को भीतर से ठीक करता है, जबकि जिम बाहरी सौंदर्य और ताकत पर ध्यान देता है। अगर आप मानसिक शांति और दीर्घकालिक स्वास्थ्य चाहते हैं, तो योग आपके लिए अधिक उपयुक्त मार्ग है।



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