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लखनऊ भारत के एक प्रमुख स्थान के रूप में जाना जाता है तथा यह भारत के सबसे ज्यादा जनसँख्या वाले प्रदेश यानी कि उत्तर प्रदेश की राजधानी भी है। यहाँ पर अवध के नवाबों ने वास्तु के कई नमूनों और अजूबों को बनाने का कार्य किया था जो कि आज भी यहाँ पर मौजूद हैं। इन वास्तु के नमूनों में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, भूलभुलैया, छतरमंजिल आदि हैं। ये वास्तु के शिखर आज भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का कार्य करते हैं। जब हम वास्तु की बात करते हैं तो एक वास्तु का ऐसा भी पहलु है जिसे हम नजरअंदाज़ कर देते हैं और वह पहलू है कार्यस्थल का वास्तु। हमारे विकास के साथ साथ हमें कई ऐसे पहलुओं का ज्ञान मिलना शुरू हो गया है जो कि विभिन्न बिन्दुओं को प्रदर्शित करने का कार्य करता है और इसी पहलू में से एक है कार्यस्थल। कार्यस्थल सीधे तौर पर हमारे जीवन से सम्बंधित है यह उत्पाद और उत्पादक दोनों के साथ में कार्य करता है। इस लेख में हम विभिन्न वास्तु के मानकों के बारे में पढेंगे तथा उत्पादकता और उच्च ऊर्जा कार्यस्थल के मध्य के रिश्ते को समझेंगे।
जैसे कि हमें एक बिंदु प्रमुख तौर पर समझने की आवश्यकता है और वह बिंदु है कार्य प्रणाली का, मनुष्य का मस्तिष्क इस बिंदु पर कार्य करता है कि किस प्रकार के वातावरण में वह क्या कार्य कर रहा है। जब हम लखनऊ के पुराने वास्तु को देखते हैं तो वो एक मानसिक शान्ति देने का प्रयत्न करते हैं उसी प्रकार से यह भी सिद्ध है कि एक कार्यस्थली का भी वैसा ही होना जरूरी है। किसी भी कार्यस्थल का निर्माण करने से पहले हमें यह देखना चाहिए कि उसका निर्माण किस वातावरण में हो रहा है। किसी भी कार्यस्थल का निर्माण तमाम सुविधाओं को नजर में रखकर करने की आवश्यकता होती है। कार्यस्थल को एक आरामदायक तथा शांत माहौल का होना चाहिए तथा कर्मचारियों और पर्यवेक्षकों के मध्य एक सहयोग की भावना का होना भी अत्यंत आवश्यक है। कार्यस्थल ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहाँ से आसानी से खाने, घूमने, आने-जाने आदि की सुविधा उपलब्ध हो। कार्यस्थल के छत की उंचाई ज्यादा होनी चाहिए तथा दिन की रौशनी को भी कार्यक्षेत्र में पहुँचने की आवश्यकता है तथा यह खुला भी होना चाहिए। रंगों का सही प्रयोग भी कार्यक्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी कार्यक्षेत्रों का एक ध्येय होता है और वह है कार्य शैली में और उत्पाद में बेहतरी।
ऊपर दिए गए कथन को प्रमाणिकता प्रदान करने के लिए हम दोनों प्रकार के कार्यक्षेत्रों को देख सकते हैं पहला वह जो उपरोक्त लिखा गया है और दूसरा जो कि दिए गए से पूर्ण रूप से भिन्न हो। विभिन्न संस्थाओं के शोध से यह पता चलता है कि यदि किसी कार्यालय में पौधों आदि को रखा जाता है तो वहां पर कार्य में करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलती है इसका सीधा कारण है पौधों से मानसिक तनाव में कमी आती है, साथ ही पौधों द्वारा वातावरण को तरोताज़ा करने के साथ-साथ वायु गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। कैलिफोर्निया (California) के एप्पल (Apple Inc.) के मुख्यालय में इसी बात का अंदाजा लगा कर करीब 10,000 पौधों को लगाया गया है। कार्यक्षेत्र में रौशनी होने से ऊर्जा की बचत तो होती है और साथ ही साथ घुटन का भी प्रतिशत कम हो जाता है। समुचित रौशनी के प्रबंध से कर्मचारियों के नजर में कमी नहीं आने पाती है। उपरोक्त लिखित मानक से यदि कार्यशाला का निर्माण किया जाए तो उत्पाद के साथ साथ कार्य और उत्पादकता में भी तेज़ी आती है।
सन्दर्भ:
1. https://hmcarchitects.com/news/office-architecture-concepts-how-workplace-design-affects-human-behavior-2019-07-05/
2. https://www.pickthebrain.com/blog/could-architecture-be-impacting-how-productive-you-are/
3. https://www.spacesworks.com/how-office-design-can-increase-productivity/
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