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रामपुर जैसी जगहों पर, जहाँ चावल और गेहूँ मुख्य आहार होते हैं, खाद्य सुदृढ़ीकरण (food fortification) का महत्वपूर्ण रोल हो सकता है, छुपी हुई भूख को रोकने और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने में। इसका मतलब है, खाद्य उत्पादों में विटामिन और खनिज अर्थात सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) जोड़ना, जो या तो स्वाभाविक रूप से उसमें नहीं होते या प्रसंस्करण के दौरान खो जाते हैं, ताकि उनकी पोषण गुणवत्ता बेहतर हो सके और लोगों में होने वाली कमी को दूर किया जा सके।
भारत में, कुछ सामान्य खाद्य खाद्य सुदृढ़ीकरण उदाहरणों में खाद्य सुदृढ़ीकरण दूध, गेहूँ का आटा, खाने के तेल, चावल, नमक (iodized and double-fortified), और नाश्ते के अनाज शामिल हैं, जो अक्सर आयरन, आयोडीन, विटामिन A, विटामिन D और फ़ोलिक एसिड (Folic Acid) जैसे विटामिन और खनिजों से समृद्ध होते हैं।
तो आज, हम छुपी हुई भूख और इसके हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव को विस्तार से समझेंगे। हम ‘खाद्य खाद्य सुदृढ़ीकरण’ के बारे में भी जानेंगे। इसके बाद, हम भारत में सामान्य सुदृढ़ीकृत खाद्य पदार्थों की सूची और खाद्य सुदृढ़ीकरण के प्रयासों की वर्तमान स्थिति पर बात करेंगे। अंत में, हम भारत में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न खाद्य सुदृढ़ीकरण तरीकों की चर्चा करेंगे और देश के खाद्य खाद्य सुदृढ़ीकरण सिस्टम को सुधारने के लिए आवश्यक कदमों पर रोशनी डालेंगे।
छुपी हुई भूख और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव:
“छुपी हुई भूख” एक लोकप्रिय शब्द है, जो माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को बताने के लिए उपयोग किया जाता है। इनकी कमी एक प्रकार का कुपोषण है, जो विटामिन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की अपर्याप्त मात्रा से होता है। यह समस्या उन क्षेत्रों में आम है, जहाँ मुख्य आहार अनाज पर आधारित होता है, लेकिन अब यह विकसित देशों में भी बढ़ रही है, जहाँ लोग कम विविध आहार ले रहे हैं। आज, दुनिया भर में दो अरब से अधिक लोग ‘छुपी हुई भूख’ से प्रभावित हैं।
भोजन की कमी से होने वाला कुपोषण दिखाई देता है, लेकिन माइक्रोन्यूट्रिएंट का कुपोषण दिखाई नहीं देता, इसलिए इसे ‘छुपी हुई भूख’ कहा जाता है। हालांकि यह पहली नज़र में दिखाई नहीं देता, इनकी कमी मानव शरीर पर गंभीर प्रभाव डालती है। यह प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System), स्वास्थ्य और खुशहाली पर महत्वपूर्ण असर डालती है। यह बच्चों के लिए विशेष रूप से हानिकारक होती है। जहाँ माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी ज़्यादा है, वहाँ बच्चों में ‘नन्हे शरीर के विकास (stunting)’ की समस्या अधिक होती है, जो तब होती है जब बच्चे अपनी उम्र के अनुसार लंबाई में कम होते हैं।
पोषण संवर्धित खाद्य पदार्थ क्या होते हैं?
पोषण संवर्धित खाद्य पदार्थ वे होते हैं जिनमें विटामिन, खनिज और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जोड़े जाते हैं। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं। आपका शरीर खुद से इन पोषक तत्वों को नहीं बना सकता, ये आपके आहार से आने चाहिए।
खाद्य निर्माता उत्पादन के दौरान अपने उत्पादों में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जोड़ते हैं। वे ऐसे रसायन बनाते हैं जिनमें विटामिन और खनिज होते हैं। जब इन रसायनों को खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है, तो इनमें कोई विशेष स्वाद, बनावट या गंध नहीं होती।
कुछ खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, लेकिन पकाने या स्टोर करने के दौरान ये खो जाते हैं। खाद्य समृद्धि (enrichment) तब होती है जब खाद्य निर्माता उन पोषक तत्वों को वापस डालते हैं। पोषण संवर्धित खाद्य पदार्थों में यह विशेषता होती है कि इनमें स्वाभाविक रूप से ये पोषक तत्व नहीं होते, बल्कि उन्हें जानबूझकर जोड़ा जाता है।
भारत में सामान्य सुदृढ़ीकृत खाद्य पदार्थ:
ज़्यादातर सुदृढ़ीकृत खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड और पैक किए हुए होते हैं। भारत में सामान्य सुदृढ़ीकृत खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
भारत में खाद्य खाद्य सुदृढ़ीकरण की वर्तमान स्थिति
1. चावल: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food and Public Distribution) ने “चावल खाद्य सुदृढ़ीकरण और इसका वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से” नामक एक केंद्रीय प्रायोजित पायलट योजना शुरू की थी । यह योजना, 2019-20 में तीन साल के पायलट रन के लिए शुरू की गई थी। यह योजना 2023 तक चली और चावल लाभार्थियों को 1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दिया गया ।
2. गेहूँ: गेहूँ खाद्य सुदृढ़ीकरण का निर्णय 2018 में लिया गया था और इसे भारत के प्रमुख पोषण अभियान, “पोषण अभियान” के तहत 12 राज्यों में लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य, बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच पोषण सुधारना है।
3. खाने का तेल: खाने के तेल को खाद्य सुदृढ़ीकरण करना भी 2018 में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा पूरे देश में अनिवार्य कर दिया गया था।
4. दूध: दूध को खाद्य सुदृढ़ीकरण करना 2017 में शुरू हुआ था, जिसके तहत, भारतीय राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) कंपनियों से विटामिन डी जोड़ने का प्रयास कर रहा है।
भारत में उपयोग किए जाने वाले खाद्य खाद्य सुदृढ़ीकरण के विभिन्न तरीके
1. बायो-खाद्य सुदृढ़ीकरण (Bio-fortification): बायो-खाद्य सुदृढ़ीकरण का मतलब है जब खाद्य फ़सलें उगाई जा रही होती हैं, तब उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को शामिल करना। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि जो फसल बोई जा रही है, उसमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की उपलब्धता हो। इसमें पौधों की प्रजनन और जेनेटिक संशोधन की प्रक्रिया शामिल है ताकि उनके पोषण तत्वों की मात्रा और/या अवशोषण को सुधारा जा सके। उदाहरण के लिए, नारंगी शकरकंद या किलकारी शकरकंद एक अच्छा स्रोत है विटामिन ए का, जो अच्छी दृष्टि, स्वस्थ इम्यून सिस्टम और विभिन्न अंगों जैसे हृदय और फेफड़ों के सही कार्य के लिए आवश्यक होता है।
2. औद्योगिक खाद्य सुदृढ़ीकरण (Industrial Fortification): औद्योगिक खाद्य सुदृढ़ीकरण में खाद्य उत्पादों जैसे आटा, चावल, खाना पकाने का तेल, सॉस और अन्य में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को जोड़ना शामिल है, जब इन्हें निर्मित किया जा रहा होता है। उदाहरण के लिए, खाद्य नमक पर पोटेशियम आयोडेट (potassium iodate) या पोटेशियम आयोडाइड (potassium iodide) का घोल छिड़कना। इसी तरह, चावल खाद्य सुदृढ़ीकरण में फ़ोर्टिफ़ाइड राइस कर्नेल्स (Fortified Rice Kernels) को सामान्य या नॉन-फोर्टिफाइड चावल में 1:100 के अनुपात में मिलाकर किया जाता है। फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स चावल के आटे को आवश्यक पोषक तत्वों के साथ मिलाकर बनाए जाते हैं।
3. घर पर खाद्य सुदृढ़ीकरण (Home Fortification): घर पर खाद्य सुदृढ़ीकरण माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को आयरन स्प्रिंकल्स (iron sprinkles), पाउडर या टैबलेट्स के रूप में शामिल करने का सबसे आसान तरीका माना जाता है। फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों या माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को खाना पकाते समय या खाने के दौरान जोड़ा जा सकता है।
भारत में खाद्य सुदृढ़ीकरण प्रणाली को सुधारने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कदम
1. खाद्य प्रणाली – खाद्य सुरक्षा और खाद्य संप्रभुता के मुद्दों को संबोधित करने के अलावा, केंद्रीय और राज्य सरकारों को स्वस्थ आहार के लिए एक मज़बूत नियामक और नीति ढांचा स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा, सरकारों को बायो-खाद्य सुदृढ़ीकरण में निवेश बढ़ाना चाहिए, जो कुपोषण को कम करने और पोषक तत्वों को स्वाभाविक रूप से उपलब्ध कराने का सबसे लागत-कुशल तरीका है।
2. पोषण अर्थशास्त्र – एक नया और सक्रिय वित्तीय तंत्र विकसित करना ज़रूरी है जो मौजूदा स्रोतों को पूरा कर सके। पोषण संबंधी असमानताएँ अभी भी समुदायों और राज्यों में मौजूद हैं, इसलिए संसाधनों का आवंटन डेटा द्वारा साक्ष्य-आधारित और लागत-कुशल समाधानों के माध्यम से किया जाना चाहिए।
3. स्वास्थ्य प्रणाली – समुदाय आधारित कार्यक्रमों जैसे “ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस” का समर्थन करना महत्वपूर्ण है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें और पोषण, परिवार नियोजन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। गंभीर तीव्र कुपोषण वाले कई बच्चों का इलाज उनके समुदायों में किया जा सकता है, बजाय उन्हें अस्पताल या चिकित्सीय फ़ीडिंग कार्यक्रम में भेजने के।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia
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