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बिहार के जहानाबाद ज़िले में, मखदूमपुर के पास की पहाड़ियों में छुपा हुआ है एक बेहद खास ऐतिहासिक स्थल, बराबर की गुफाएँ। अगर आप कभी इस क्षेत्र में घूमने जाएँ, तो यहाँ की चुप्पी और गूंजते पत्थरों को सुनना एक अलग ही अनुभव होगा। ये गुफाएँ भारत की सबसे पुरानी चट्टानों को काटकर बनाई गई संरचनाओं में से एक मानी जाती हैं, जिनका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। बराबर की गुफाएँ मौर्यकाल के समय बनी थीं और इनका उपयोग खासकर आजीवक संप्रदाय के साधकों द्वारा ध्यान और साधना के लिए किया जाता था। यह वह समय था जब बौद्ध, जैन और अन्य दार्शनिक धाराएँ एक साथ विकसित हो रही थीं।
पहले वीडियो और नीचे दिए गए वीडियो में हम बराबर गुफाओं के बारे में जानेंगे।
इन गुफाओं की बनावट बेहद अनोखी है। हर गुफा में दो मुख्य कक्ष होते हैं, पहला सभा के लिए और दूसरा अंदर बने स्तूप की पूजा के लिए। इन कक्षों को पूरी तरह से ग्रेनाइट (granite) चट्टान में काटकर बनाया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनके अंदर की दीवारें इतनी चिकनी हैं कि आवाज़ अंदर गूंजने लगती है, यानी यहाँ प्राकृतिक प्रतिध्वनि प्रभाव (echo effect) सुनाई देता है, जो इसे और रहस्यमयी बना देता है। यहाँ भी कई हिंदू और जैन मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं, जो इस क्षेत्र में धार्मिक सहअस्तित्व और सांस्कृतिक समृद्धि की कहानी कहती हैं।
नीचे दिए गए वीडियो में हम बराबर गुफाओं की बाहरी वास्तुकला को देखेंगे।
यहीं पर एक और ऐतिहासिक धरोहर है, बाबा सिद्धनाथ मंदिर, जिसे गुप्तकाल में 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर शिव को समर्पित है और मान्यता है कि इसे बाण राजा ने बनवाया था, जो राजगीर के राजा जरासंध के ससुर थे। बराबर की गुफाएँ केवल पुरातात्विक महत्व की चीज़ नहीं हैं, ये उस युग का दस्तावेज़ हैं जब धर्म, दर्शन और स्थापत्य एक साथ सांस लेते थे। यह जगह आज भी हमें याद दिलाती है कि इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि पत्थरों में भी लिखा होता है।
नीचे दिए गए वीडियो में हम बराबर गुफाओं को करीब से और विस्तार से देखेंगे।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/bdahh7th
https://tinyurl.com/4kcapyx7
https://shorturl.at/2lTgu
https://shorturl.at/zBUqX
https://shorturl.at/agiqj
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